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पारंपरिक हार्ड कोर विलेन के टैग को अनटैग करते अवधेश मिश्रा

BHOJPURI MEDIA ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18 पारंपरिक हार्ड कोर विलेन के टैग को अनटैग करते अवधेश मिश्रा   वह डरता नहीं, डराता है। वह बाहुबली है। दबंग है। चालबाज है। उसकी आखें खौफनाक है। उसके भोंहे जब तन जाये, तो कयामत की कहानी लिखती है। गुस्‍से में आग सा धकधकता है। अवाज की खनक से बिजली गिरती है। […]

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ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18

पारंपरिक हार्ड कोर विलेन के टैग को अनटैग करते अवधेश मिश्रा

 

वह डरता नहीं, डराता है। वह बाहुबली है। दबंग है। चालबाज है। उसकी आखें खौफनाक है। उसके भोंहे जब तन जाये, तो कयामत की कहानी लिखती है। गुस्‍से में आग सा धकधकता है। अवाज की खनक से बिजली गिरती है। पता है, यह कौन है। ये हैं भोजपुरी सिनेमा के सुपर विलेन अवधेश मिश्रा, जो बड़े पर्दे पर अमूमन ऐसे नजर आते हैं। मगर इन दिनों विलेन के साथ – साथ अवधेश अपने दूसरे अवतार में भी नजर आ रहे हैं। इसमें न गुस्‍सा होता है और न रिवेंज लेने की तलब।

अवधेश मिश्रा इन दिनों  भोजपुरी फिल्‍म ‘डमरू’ की शूटिंग देव नगरी बनारस में कर रहे हैं, जिसमें उनके अभिनय का एक नया रंग देखने को मिल रहा है। अवधेश इस फिल्‍म में आधुनिक भगवान शंकर के किरदार में नजर आ रहे हैं, जो उनके पारंपरिक विलेन के टैग को अनटैग करता है। इसके अलावा उनकी एक और फिल्‍म ‘मैं सेहरा बांध के आउंगा’ फ्लोर पर है, जिसमें वे निगेटिव रोल से इतर एक ऐसे युवक की भूमिका में हैं, जो अपनी शादी के हसीन सपने देखता है। मगर शादी तो होती नहीं है, उम्र जरूर ढल जाती है। अवधेश अपनी इस भूमिका से लोगों को हंसाते भी नजर आयेंगे।

जानकार मानते हैं कि ये भोजपुरी सिनेमा के बदलाव का दौर है, जहां अब अवधेश मिश्रा जैसे मंझे हुए अभिनेता को नए रूप में लाने का प्रयोग किया जा रहा है। और यह प्रयोग काफी हद तक सफल भी नजर आ रहा है। अभी हाल आई फिल्‍म ‘मेंहदी लगा के रखना’ में उन्‍होंने पिता की भूमिका निभाई थी, जिसे दर्शकों ने और फिल्‍म क्रिटिक्‍स ने काफी सराहा था। इस फिल्‍म में उन्‍होंने पिता का मार्मिक कैरेक्‍ट प्‍ले किया था। जहां उन्‍हें 250 से 300 फिल्‍मों में हार्डकोर विलेन के किरदार में गाली और दुत्‍कार मिली थी, वहीं इस फिल्‍म में लोगों ने उन्‍हें अथाह प्‍यार और आशीर्वाद दिया। इसने लोगों का नजरिया ही बदल दिया। इसके बाद ‘मैं सेहरा बांध के आउंगा’ में वे अपने मूल कैरेक्‍टर से इतर नजर आ रहे हैं।

इसकी वजह है कि अब भोजपुरी सिनेमा इंडस्‍ट्री में भी खास अभिनेता को आधार बनाकर कहानी लिखने का चलन शुरू हुआ। ऐसा इस इंडस्‍ट्री में आज तक नहीं हुआ है। तभी तो अवधेश मिश्रा जैसे अभिनेता अपने निगेटिव रोल के बाद अब नए अवतार में कभी पिता, तो कभी दोस्‍त जैसी संवेदनशील भूमिका में नजर आने लगे हैं।या यूं कहें कि उनके लिए अब ऐसे इनोवेटिव राइटिंग शुरू हुई है, जो यकीनन भोजपुरी इंडस्‍ट्री को फिल्‍म मेकिंग के क्षेत्र में काफी आगे ले जाएगी। अवधेश मिश्रा ने बातचीत के क्रम में बताया कि खलनायकी मेरा पहला प्‍यार है। चूंकि मैं एक अभिनेता हूं, इसलिए हर प्रकार का चाइलेंजिंग रोल करना मेरे लिए काम है। जिसे मैं बखूबी करता हू।

 

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