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दीदीजी फाउंडेशन संस्कारशाला में कुटीर उद्योग शुरू, महिलाओं को मिला रोजगार

दीदीजी फाउंडेशन संस्कारशाला में कुटीर उद्योग शुरू, महिलाओं को मिला रोजगार
दीदीजी फाउंडेशन संस्कारशाला में कुटीर उद्योग शुरू, महिलाओं को मिला रोजगार

दीदीजी फाउंडेशन संस्कारशाला में कुटीर उद्योग शुरू, महिलाओं को मिला रोजगार

पटना, 23 अप्रैल सामाजिक संगठन दीदीजी फाउंडेशन के कुरथौल स्थित फुलझड़ी गार्डन में संचालित संस्कारशाला में महिलाओं को कुटीर उद्योग के जरिये
रोजगार के अवसर मिलने शुरू हो गये हैं।दीदीजी फाउंडेशन की संस्थापिका डा. नम्रता आनंद ने बताया कि संस्कारशाला में महिलाओं को नि.शुल्क सिलाई का प्रशिक्ष्ण दिया जाता है, जिससे वे आम्मनिर्भर बन सकें। संस्कारशाला में दस से अधिक बैच हो चुके हैं, जिसमें 400 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। संस्कारशाला में महिलाओं को तीन महीने तक सिलाई का प्रशिक्षण दिया जाता है।

उन्होंने बताया कि सिलाई प्रशिक्षण केंद्र से महिलाओं को स्वावलंबन आत्मनिर्भर बनने का मौका मिल रहा है। प्रशिक्षित महिलाओं को सलवार, समीज, ब्लाउज, पेटीकोट, चूड़िदार सलवार, पैजामा, बेबी फ्राक बनाने का काम दिया जा रहा है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। उन्होंने बताया कि महिलाएं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, तथा कहीं अन्य स्थान पर जाकर रोजगार नहीं कर सकती। ऐसे में दीदीजी फाउंडेशन ने उन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कारगर कदम उठाए हैं। महिलायें सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने घर में ही बैठकर सिलाई कार्य करके अपना जीवन उपार्जन कर सकती है।

डा. नम्रता आनंद ने बताया कि सिलाई का काम महिलाओं के लिए यह बहुत ही अच्छा व्यवसाय और आत्मनिर्भर होने के लिए अच्छा विकल्प है।ऐसे में इसे उद्योग के रूप में चुनकर खुद को उद्योग क्षेत्र में एक सफल महिला के रूप में स्थापित कर सकती हैं। जिसके अंदर सिलाई करने का गुण है वह सिलाई उद्योग का चुनाव कर सकती है। कुटीर उद्योगों का विकास होगा तो महिलाएं सशक्त होंगी तथा उनकी आर्थिक, सामाजिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी। जब महिलाएं कुटीर उद्योगों द्वारा आय अर्जित करती हैं तो वे स्वयं तो आत्मनिर्भर होती ही हैं, साथ ही उससे परिवार तथा समाज भी लाभान्वित होते हैं। महिलाओं के भीतर आत्मविश्वास पनपता है तथा उनमें स्वयं निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है। उन्हें किसी दूसरे के सहारे की जरूरत नहीं होती,अपितु वे दूसरे को सहारा प्रदान करती हैं।महिलाओं द्वारा कुटीर उद्योग अपनाये जाने से उनके घरों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है और महिलाओं के आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी हुई है।

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Ankit Piyush

Ankit Piyush is the Editor in Chief at BhojpuriMedia. Ankit Piyush loves to Read Book and He also loves to do Social Works. You can Follow him on facebook @ankit.piyush18 or follow him on instagram @ankitpiyush.

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