BHOJPURI MEDIA ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18 डॉक्टर बनना चाहती थी देवयानी दुबे काम करो ऐसा कि पहचान बन जाये; हर कदम चलो ऐसे कि निशान बन जाये; यह जिन्दगी तो सब काट लेते हैं; जिन्दगी ऐसे जियो कि मिसाल बन जाये | जनता दल यूनाईटेड कलमजीवी प्रकोष्ठ की महासचिव और दैनिक जागरण […]
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ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18
डॉक्टर बनना चाहती थी देवयानी दुबे
काम करो ऐसा कि पहचान बन जाये;
हर कदम चलो ऐसे कि निशान बन जाये;
यह जिन्दगी तो सब काट लेते हैं;
जिन्दगी ऐसे जियो कि मिसाल बन जाये |
जनता दल यूनाईटेड कलमजीवी प्रकोष्ठ की महासचिव और दैनिक जागरण संगिनी क्लब की उपाध्यक्ष देवयानी दुबे सामाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करीब एक दशक से महिला पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ और महिला सशक्तिकरण के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य करने में लगी हुयी है और आज की युवा पीढ़ी के लिये मिसाल बन गयी है। देवयानी दुबे अपनी जीवनशैली से समय निकालकर
समाजसेवा में भी अपना पूरा योगदान देती हैं।
बिहार की राजधानी पटना की रहने वाली देवयानी दुबे बचपन के दिनों में डॉक्टर बनने का सपना देखा करती थी हालांकि उनका यह ख्वाब पूरा नही हो सका। देवयानी दुबे ने वर्ष 2005 में बीकॉम की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद एमबीए की भी पढ़ाई पूरी की।इसी दौरान उन्हें रेडियो मिर्ची से भी जुड़कर काम करने का अवसर मिला।वर्ष 2006 में देवयानी शादी के अटूट बंधन में बंध गयी। उनके पति अक्षय उन्हें हर कदम सर्पोट करते हैं। जहां आम तौर पर युवती की शादी के बाद उसपर कई तरह की बंदिशे लगा दी जाती है लेकिन देवयानी के साथ ऐसा नही हुआ।देवयानी दुबे ने इसके बाद आइसीआई प्रुडेंशियल में मार्केटिंग मैनेजर के तौर पर भी काम किया।
जिंदगी में कुछ पाना हो तो खुद पर ऐतबार रखना
सोच पक्की और क़दमों में रफ़्तार रखना
कामयाबी मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें
बस खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार रखना।
देवयानी दुबे को समाज सेवा में भी गहरी रूचि थी। देवयानी महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देना चाहती थी और इसी को देखते हुये वह वर्ष 2015 में स्वंय सेवी संगठन से जुड़ गयी और महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर काम किया। देवयानी दुबे का कहना है कि चाहे खेल कूद हो अथवा अंतरिक्ष विज्ञान, हमारे देश की महिलाएं किसी से पीछे नहीं हैं। वे आगे बढ़ रही हैं और अपनी उपलब्धियों से देश का गौरव बढ़ा रही हैं।”नारी सशक्तिकरण के बिना मानवता का विकास अधूरा है। वैसे अब ये मुद्दा Women Development का नहीं रह गया, बल्कि Women-Led Development का है।””यह जरूरी है कि हम स्वयं को और अपनी शक्तियों को समझें। जब कई कार्य एक समय पर करने की बात आती है तो महिलाओं को कोई नहीं पछाड़ सकता। यह उनकी शक्ति है और हमें इस
पर गर्व होना चाहिए।”
वर्ष 2017 में देवयानी दुबे को महिला सशक्तीकरण की दिशा में काम करने वाली दैनिक जागरण संगिनी क्लब से जुड़ गयी जहां उनकी काबलियत को देखते हुये उन्हें उपाध्यक्ष भी बनाया गया। देवयानी महिलाओं को आह्वान कर कहती है कोमल है कमजोर नहीं तू ,शक्ति का नाम ही नारी है !
जग को जीवन देने बाली , मौत भी तुझसे हारी है !
इल्म , हुनर में, दिल दिमाग में ,किसी बात में कम तो नहीं
बहुत हो चुका अब मत सहना ,तुझे इतिहास बदलना है !
नारी को कोई कह ना पाए , अबला है बेचारी है !
वर्ष 2018 में देवयानी दुबे को जनता दल यूनाईटेड कलमजीवी प्रकोष्ट का महासचिव भी बनाया गया । देवयानी आज कामयाबी की मंजिले तय कर सफलता के नये आयामों को छू रही है। देवयानी ने इसके लिये काफी हौसला रखा है।
रख हौसला वो मन्ज़र भी आएगा,
प्यासे के पास चल के समंदर भी आयेगा;
थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर,
मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आयेगा।
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