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ब्राइटर माइंड्स के प्रशिक्षण का असर,आंखे बंद कर भी बच्चे पहचानते हैं रंग और अक्षर

Effect of Brighter Minds training, children recognize colors and letters even with eyes closed
Effect of Brighter Minds training, children recognize colors and letters even with eyes closed

ब्राइटर माइंड्स के प्रशिक्षण का असर,आंखे बंद कर भी बच्चे पहचानते हैं रंग और अक्षर

पटना ,बच्चों की ब्रेन डेवलपमेंट कराने वाली संस्था ब्राइटर माइंड्स ने पटना के स्थानीय कालिदास रंगालय में ब्राइटर माइंड्स कला और हमारा है बचपन ‘नाटक का मंचन किया गया। संस्था द्वारा विकसित और निर्देशित नाटक हमारा है बचपन मनोरंजक तो था ही, साथ ही साथ अंधविश्वासों और धार्मिक पाखंडों पर करारा चोट भी करता है। इस नाटक के माध्यम से बच्चों की आज की हालत दिखाने की कोशिश की गई है, जिसमें अभिभावक अपने बच्चों में हर तरह के गुण (जैसे नृत्य कला, संगीत कला ,चित्रकारी) डालना चाहते हैं, लेकिन बहुत कम यह जान पाते हैं कि आखिर बच्चे क्या चाहते हैं? वह हर हाल में अपने बचपना को जीना चाहते हैं बिना किसी स्ट्रेस के, बिना किसी प्रेशर के! इस नाटक की खास बात यह है की इसमें अभिनय करने वाले सारे बच्चे ब्राइटर माइंड्स द्वारा प्रशिक्षित हैं। इन बच्चों के अभिभावकों की माने तो ब्राइटर माइंड्स कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद इनकी रीडिंग कैपेसिटी, मेमोरी, और फोकस में काफी सुधार आया है।

ब्राइटर माइंड्स बच्चों में एक साथ कई तरह के कार्य करने की क्षमता को बढ़ा देता है, साथ ही ये बच्चे, आंख पर पट्टी बांधकर चीजों को छूकर या स्मेल कर उसके कलर को और पूरी किताब को पढ़ सकते हैं। देखने से ये बिल्कुल जादू की तरह लगता है लेकिन यह पूरे तरीके से विज्ञान पर आधारित प्रशिक्षण है।
खुशी की बात यह है कि बाकी बड़े शहरों की तरह अब बिहार में भी ब्राइटर माइंड्स का प्रशिक्षण शुरू हो चुका है और आप भी अपने बच्चों को यह लाइफ टाइम गिफ्ट दे सकते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि बिहार की वरिष्ठ महिला साहित्यकार ममता मेहरोत्रा ने दीप प्रज्वलित कर किया। संस्था की ओर से मुख्य अतिथि ममता मेहरोत्रा, विशिष्ट अतिथि पर्यावरण लेडी ऑफ बिहार डा. नम्रता आनंद और आईएएस अधिकारी नंदकिशोर को पुस्तक देकर सम्मानित किया गया। अपने संबोधन में ममता मेहरोत्रा ने कहा कि ब्राइटर माइंड्स बहुत ही नेक कार्य कर रहा है। खास कर उन बच्चों के लिए यह बेहद जरूरी है जिनके मेमोरी और आई क्यू वीक होते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि बिहार की वरिष्ठ महिला साहित्यकार ममता मेहरोत्रा ने दीप प्रज्वलित कर किया। संस्था की ओर से मुख्य अतिथि ममता मेहरोत्रा, विशिष्ट अतिथि पर्यावरण लेडी ऑफ बिहार डा. नम्रता आनंद और आईएएस अधिकारी नंदकिशोर को पुस्तक देकर सम्मानित किया गया।

अपने संबोधन में ममता मेहरोत्रा ने कहा कि ब्राइटर माइंड्स बहुत ही नेक कार्य कर रहा है। खास कर उन बच्चों के लिए यह बेहद जरूरी है जिनके मेमोरी और आई क्यू वीक होते हैं। डा. नम्रता आनंद ने कहा कहा कि ब्राइटर माइंड्स बच्चों को प्रशिक्षित कर एक तरह से देश सेवा ही कर रहा है। आईएएस नंदकिशोर ने भी ब्राइटर माइंड्स के इस तकनीकी प्रशिक्षण की प्रशंसा की। कार्यक्रम में ब्राइटर माइंड्स से प्रशिक्षित बच्चों ने अपना डेमो दिया। इस डेमो में यह दिखाया गया था कि आंखे बंद कर या आंखों पर पट्टी बांधकर भी बच्चे कैसे रंगों और अक्षरों की पहचान सही सही करते है। इस डेमों को देखकर दीर्घा में बैठे दर्शक आश्चर्यचकित रह गए। यह डेमो एक तरह से जादू का आभाष करा रहा था लेकिन संस्था की बिहार संचालिका अनामिका सिन्हा ने स्पष्ट किया कि यह कोई जादू नहीं यह विज्ञान आधारित तकनीकी प्रशिक्षण का ही प्रतिफल है। ब्राइटर माइंड्स कला और हमारा है बचपन ‘नाटक का मंचन किया गया। संस्था द्वारा विकसित और निर्देशित नाटक हमारा है बचपन मनोरंजक तो था ही, साथ ही साथ अंधविश्वासों और धार्मिक पाखंडों पर करारा चोट भी करता है। इस नाटक के माध्यम से बच्चों की आज की हालत दिखाने की कोशिश की गई है, जिसमें अभिभावक अपने बच्चों में हर तरह के गुण (जैसे नृत्य कला, संगीत कला ,चित्रकारी) डालना चाहते हैं, लेकिन बहुत कम यह जान पाते हैं कि आखिर बच्चे क्या चाहते हैं? वह हर हाल में अपने बचपना को जीना चाहते हैं बिना किसी स्ट्रेस के, बिना किसी प्रेशर के! इस नाटक की खास बात यह है की इसमें अभिनय करने वाले सारे बच्चे ब्राइटर माइंड्स द्वारा प्रशिक्षित हैं। इन बच्चों के अभिभावकों की माने तो ब्राइटर माइंड्स कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद इनकी रीडिंग कैपेसिटी, मेमोरी, और फोकस में काफी सुधार आया है।

ब्राइटर माइंड्स बच्चों में एक साथ कई तरह के कार्य करने की क्षमता को बढ़ा देता है, साथ ही ये बच्चे, आंख पर पट्टी बांधकर चीजों को छूकर या स्मेल कर उसके कलर को और पूरी किताब को पढ़ सकते हैं। देखने से ये बिल्कुल जादू की तरह लगता है लेकिन यह पूरे तरीके से विज्ञान पर आधारित प्रशिक्षण है।

खुशी की बात यह है कि बाकी बड़े शहरों की तरह अब बिहार में भी ब्राइटर माइंड्स का प्रशिक्षण शुरू हो चुका है और आप भी अपने बच्चों को यह लाइफ टाइम गिफ्ट दे सकते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि बिहार की वरिष्ठ महिला साहित्यकार ममता मेहरोत्रा ने दीप प्रज्वलित कर किया। संस्था की ओर से मुख्य अतिथि ममता मेहरोत्रा, विशिष्ट अतिथि पर्यावरण लेडी ऑफ बिहार डा. नम्रता आनंद और आईएएस अधिकारी नंदकिशोर को पुस्तक देकर सम्मानित किया गया। अपने संबोधन में ममता मेहरोत्रा ने कहा कि ब्राइटर माइंड्स बहुत ही नेक कार्य कर रहा है। खास कर उन बच्चों के लिए यह बेहद जरूरी है जिनके मेमोरी और आई क्यू वीक होते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि बिहार की वरिष्ठ महिला साहित्यकार ममता मेहरोत्रा ने दीप प्रज्वलित कर किया।

संस्था की ओर से मुख्य अतिथि ममता मेहरोत्रा, विशिष्ट अतिथि पर्यावरण लेडी ऑफ बिहार डा. नम्रता आनंद और आईएएस अधिकारी नंदकिशोर को पुस्तक देकर सम्मानित किया गया। अपने संबोधन में ममता मेहरोत्रा ने कहा कि ब्राइटर माइंड्स बहुत ही नेक कार्य कर रहा है। खास कर उन बच्चों के लिए यह बेहद जरूरी है जिनके मेमोरी और आई क्यू वीक होते हैं। डा. नम्रता आनंद ने कहा कहा कि ब्राइटर माइंड्स बच्चों को प्रशिक्षित कर एक तरह से देश सेवा ही कर रहा है। आईएएस नंदकिशोर ने भी ब्राइटर माइंड्स के इस तकनीकी प्रशिक्षण की प्रशंसा की। कार्यक्रम में ब्राइटर माइंड्स से प्रशिक्षित बच्चों ने अपना डेमो दिया। इस डेमो में यह दिखाया गया था कि आंखे बंद कर या आंखों पर पट्टी बांधकर भी बच्चे कैसे रंगों और अक्षरों की पहचान सही सही करते है। इस डेमों को देखकर दीर्घा में बैठे दर्शक आश्चर्यचकित रह गए। यह डेमो एक तरह से जादू का आभाष करा रहा था लेकिन संस्था की बिहार संचालिका अनामिका सिन्हा ने स्पष्ट किया कि यह कोई जादू नहीं यह विज्ञान आधारित तकनीकी प्रशिक्षण का ही प्रतिफल है।


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