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बस अब बहुत हो गया’ फिल्म मेकिंग प्रतियोगिता की विनर बनी अनघा गोरीवाले

BHOJPURI MEDIA ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18   ‘बस अब बहुत हो गया’ फिल्म मेकिंग प्रतियोगिता की विनर बनी अनघा गोरीवाले मुंबई/पटना/लखनऊ : पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई), फरहान अख्तर की पहल मर्द, मेन अगेंस्ट रेप एंड डिस्क्रीमेनेशन) और प्रसिद्ध निर्देशक फिरोज अब्बास खान की अगुवाई में ललकार कंसर्ट द्वारा आयोजित ‘बस अब बहुत हो गया’ फिल्म मेकिंग प्रतियोगिता की विनर मुंबई […]

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ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18

 

‘बस अब बहुत हो गया’ फिल्म मेकिंग प्रतियोगिता की विनर बनी अनघा गोरीवाले

मुंबई/पटना/लखनऊ : पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई), फरहान अख्तर की पहल मर्द, मेन अगेंस्ट रेप एंड डिस्क्रीमेनेशन) और प्रसिद्ध निर्देशक फिरोज अब्बास खान की अगुवाई में ललकार कंसर्ट द्वारा आयोजित ‘बस अब बहुत हो गया’ फिल्म मेकिंग प्रतियोगिता की विनर मुंबई की अनघा गोरीवाले बनीं। उन्‍होंने मुंबई में आयोजित इस प्रतियोगिता में पहला स्‍थान प्राप्‍त किया, जिसे लिए उन्‍हें पुरस्‍कार स्‍वरूप तीन लाख को चेक मशहूर एक्‍ट्रेस शबाना आजमी ने प्रदान किया गया। वहीं, दूसरा स्‍थान पर बंगलुरू के बिशप कॉटंस वीमेंस क्रिश्चियन कॉलेज की सुश्री ज्योत्सना वेंकटेश रहीं, जिन्‍हें दो लाख रूपए का चेक देकर सम्‍मानित किया गया।  तीसरा स्‍थान पर मुंबई का ‘स्कैब’ ग्रुप को एक लाख का चेक दिया गया, जिसके लीडर आकाश थे।  विजेतओं को पुरस्‍कार की राशि इस प्रतियोगिता की ज्‍यूरी मेंबर शबाना आजमी, शेखर कपूर, डॉ किरण कर्णिक और फिरोज अब्बास खान ने प्रदान की।

इस प्रतियोगिता के लिए देशभर से  600 कॉलेजों ने हिस्सा लिया और करीब 1700 एंट्रीज (प्रविष्टियां) आईं थीं। लेकिन ज्‍यूरी ने अनघा गोरीवाले को उनकी फिल्म ‘परफेक्ट चेंज’के लिए पहला स्‍थान दिया, जो एक आदर्श परिवर्तन का वर्णन करती है, जिससे प्रत्येक महिला को खुद को बदलने के लिए गुज़रना पड़ता है। वहीं, ज्‍यूरी ने दूसरे स्‍थान के लिए ज्योत्स्ना की फिल्म ‘कॉल ऑफ हेल्प’ को चुना। यह उस महिला की हिम्मत को दिखाती है, जो हिंसा से पीडि़त होने पर भी बहादुर प्रयास करती है। और तीसरे स्‍थान के लिए ‘स्कैब’ ग्रुप की फिल्‍म ‘द ब्लाइंड लोकल’ का चुनाव हुआ। इसमें दिखाया गया है कि महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा से लड़ने का काम किसी एक लिंग ( न तो अकेले सिर्फ पुरुष और न अकेले सिर्फ महिलाओं) का काम नहीं है। वहीं, फिल्मों के अलावा 40 शैक्षणिक परिसरों में इस मुद्दे पर पैनल डिस्कशन हुए।

बाद में अवार्ड सेरेमनी के दौरान इस पहल में एक चेंज पार्टनर फिरोज अब्‍बास खान ने कहा कि हमारे पास आई सुंदर फिल्मों में से 3 विजेताओं का चयन करना आसान नहीं था। हम इस बात से हैरान हैं कि इन युवाओं ने किस तरह एक संवेदनशील मुद्दे के समाधान के लिए सिनेमा का इस्तेमाल किया। हम महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने की दिशा में इस पहले कदम के लिए विजेताओं को बधाई देते है। तो पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तरेजा कहती हैं कि ललकार रचनात्मकता, प्रतिभा और अंतहीन प्रेरणा का एक सही संयोजन साबित हुआ है। इस अभियान ने युवाओं को एक मंच पर ला दिया है और महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा को प्रोत्साहित किया है। यह उन युवाओं के प्रयासों, युवाओं द्वारा महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए उठाए गए कदम का उत्सव है।

गौरतलब है कि 30 मई को पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इन्डिया, फरहान अख्तर की मर्द और फिरोज अब्बास खान द्वारा शुरू किये गए ‘बस अब बहुत हो गया’ –एनफ इज एनफ अभियान का मकसद, भारत में महिलाओं के सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंडों में सकारात्मक बदलाव लाने के साथ ही इन मुद्दों पर बहस शुरू करवाना है। मशहूर राष्ट्रीय हस्तियां इस अभियान में शामिल हुए। इन हस्तियों ने ये सन्देश दिया कि युवा लड़कियों को हिंसा के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और लड़कों को दिखाना चाहिए कि मर्दानगी का हिंसा से कोई रिश्ता नहीं होता।

 

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