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शिक्षा और सौन्दर्य के साथ ही सामाजिक सरोकार से भी जुड़ी है कृष्णा शगुन

BHOJPURI MEDIA ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18 शिक्षा और सौन्दर्य के साथ ही सामाजिक सरोकार से भी जुड़ी है कृष्णा शगुन जानी मानी शिक्षिका और समाज सेविका कृष्णा शगुन आज शिक्षा के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में भी अपनी सशक्त पहचान बना चुकी है लेकिन इसके लिये उन्हें अथक परिश्रम का भी सामना करना पड़ा है। कृष्णा […]

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ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18

शिक्षा और सौन्दर्य के साथ ही सामाजिक सरोकार से भी जुड़ी है कृष्णा शगुन

जानी मानी शिक्षिका और समाज सेविका कृष्णा शगुन आज शिक्षा के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में भी अपनी सशक्त पहचान बना चुकी है लेकिन इसके लिये उन्हें अथक परिश्रम का भी सामना करना पड़ा है। कृष्णा शगुन ने अबतक के अपने करियर के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर कामयाबी का परचम लहराया। कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं। इस बात को साबित कर दिखाया है कृष्णा शगुन ने।

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बिहार के मधुबनी जिले में जन्मी कृ़ष्णा सगुन के पिता श्री लक्ष्मण महासेठ और मां रूकमणि देवी ने घर की लाडली को उच्चअधिकारी बनाने का ख्वाब देखा करते थे। बचपन के दिनों से ही कृष्णा शगुन काफी मेघावी छात्रा थी। कृष्णा शगुन जब काफी छोटी थी तभी उन्हें पढ़ाई के लिये लखीसराय के बालिका विधापीठ भेज दिया गया जहां उन्होंने होस्टल में रहकर मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की।इस बीच उनकी शादी दरभंगा के जाने माने दवा व्यवसायी श्री सतीश चंद्रा से हो गयी। जहां आम तौर पर युवती की शादी के बाद उसपर कई तरह की बंदिशे लगा दी जाती है लेकिन कृष्णा शगुन के साथ ऐसा नही हुआ। कृष्णा शगुन के पति के साथ ही ससुराल पक्ष के लोगों उन्हें हर कदम सर्पोट किया।

   उसे गुमाँ है कि मेरी उड़ान कुछ कम है
        मुझे यक़ीं है कि ये आसमान कुछ कम है

कृष्णा शगुन अपनी पहचान खुद बनाना चाहती थी और इसलिये शादी के बाद दरभंगा से बीए की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वह राजधानी दिल्ली चली गयी जहां उन्होंने ब्यूटिशियन और पर्सनालिटी डेवलपमेंट का एक वर्षीय कोर्स पूरा किया। कृष्णा शगुन यदि चाहती तो दिल्ली में ही नौकरी करते हुये अपना अलग मुकाम हासिल कर सकती थी लेकिन वह बिहार के लिये कुछ करना चाहती थी। कृष्णा शगुन अपनी बिहार की जन्मभूमि को कर्मभूमि मानते हुये राजधानी पटना आ गयी। राजधानी पटना में क़ृष्णा शगुन ने अपनी खुद की ब्यूटी क्लिनीक और हेल्थ क्लब की शुरूआत की जिसमें वह योगा सिखाया करती।

     जुनूँ है ज़हन में तो हौसले तलाश करो
        मिसाले-आबे-रवाँ रास्ते तलाश करो
        ये इज़्तराब रगों में बहुत ज़रूरी है
        उठो सफ़र के नए सिलसिले तलाश करो

इस बीच कृष्णा शगुन के व्यवसायिक जीवन में अहम मोड़ लेकर आया । पटना के प्रतिष्ठित वुमेन्स कॉलेज जहां उनका सपना पढ़ने  का था वहां उन्हें यूजीसी कोर्स के द्वारा संचालित ब्यूटी और हेल्थ के बारे में पढ़ाने का अवसर मिला। कृ़ष्णा शगुन का कहना है कि समाज के विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है इसलिए जरूरी है कि समाज के सभी लोग शिक्षित हो। शिक्षा ही विकास का आधार है। समाज के लोग ध्यान रखें कि वह अपने बेटों ही नहीं बल्कि बेटियों को भी बराबर शिक्षा दिलवाएं।वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षा की महत्ता सर्वविदित है. स्पष्ट है कि सामाजिक सरोकार से ही समाज की दशा एवं दिशा बदल सकती है। करीब 15 साल तक वुमेन्स कॉलेज में पढाने के बाद कृष्णा शगुन ने पारिवारिक कारणों से वुमेन्स कॉलेज की नौकरी छोड़ दी। इसके बाद कृष्ण शगुन ने एयर होस्टेस एकादमी और फ्रैंकलिन जैसी कंपनियों में ग्रुमर के तौर पर भी काम किया।

वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँ
                    हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है

कृष्णा शगुन महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देना चाहती थी और इसी को देखते हुये वह महिला सशक्तीकरण की दिशा में काम करने वाली दैनिक जागरण संगिनी क्लब से जुड़ गयी और इस दिशा में आज भी काम कर रही है। कृषणा शगुन का मानना है कि महिलाएं अपनी शक्ति पहचानें। अब महिलाएं सशक्त हो रही हैं, वे किसी भी क्षेत्र में पुरूषों से कम नहीं हैं। जरूरत इस बात की है कि महिलाओं के प्रति समाज की सोच बदली जाए। आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनना महिलाओं के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण कदम है। वे विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए जीवन पथ पर अग्रसर हो।

कृष्णा शगुन सामाजिक क्षेत्र में भी उल्लेखनीय भूमिका निभा रही है। कृष्णा शगुन दिव्यांगो के लिये काम कर रही संस्था सक्षम से जुड़कर काम कर रही है। कृष्णा शगुन को उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये जगजननी सम्मान , संस्कृति फाउंडेशन की ओर से सम्मान ,प्राउड ऑफ बिहार सम्मान , रियालबल इंडिया सम्मान , सीसीएल सम्मान समेत कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। कृष्णा सगुन ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी को डांस में अपनी प्रेरणा मानती है। कृष्ण शगुन कत्थक में निपुण है। कृष्णा  शगुन हर जरूरतमंद लोगो की मदद के लिये हमेशा आगे रहती है। लोगो के चेहरे पर मुस्कान देखना उनके लिये सबसे बड़ी खुशी है।

परिंदो को मिलेगी मंज़िल एक दिन
        ये फैले हुए उनके पर बोलते है
        और वही लोग रहते है खामोश अक्सर
        ज़माने में जिनके हुनर बोलते है

कृष्ण शगुन आज कामयाबी की बुलंदियों पर हैं लेकिन उनके सपने यूं ही नही पूरे हुये हैं यह उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है।कृष्णा शगुन ने बताया कि वह अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय कभी न थकने की प्रवृति को मानती और अपने पति को देती हैं जिन्होंने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया है।क़ृष्णा अपने अपने पति को रियल हीरो मानती है उन्हें याद कर गुनगुनाती है , आये हो मेरी जिंदगी में तुम बहार बन के मेरे दिल में यूहीं रहना तुम प्यार-प्यार बन के।

 

 

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