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शिक्षा के साथ ही फैशन और सामाजिक क्षेत्र में पहचान बनायी मीनाक्षी सिन्हा ने

BHOJPURI MEDIA ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18 शिक्षा के साथ ही फैशन और सामाजिक क्षेत्र में पहचान बनायी मीनाक्षी सिन्हा ने ज़रा पंख खोलो ,फिर उड़ान देखना ज़रा मौका तो दो फिर आसमान देखना बराबर की लाइन तो खिँचो ज़रा फिर हिम्मत बड़ी या भगवान देखना   अपनी हिम्मत और लगन के बदौलत मीनाक्षी सिन्हा आज शिक्षा […]

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ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18

शिक्षा के साथ ही फैशन और सामाजिक क्षेत्र में पहचान बनायी मीनाक्षी सिन्हा ने

ज़रा पंख खोलो ,फिर उड़ान देखना
ज़रा मौका तो दो फिर आसमान देखना
बराबर की लाइन तो खिँचो ज़रा

फिर हिम्मत बड़ी या भगवान देखना

 

अपनी हिम्मत और लगन के बदौलत मीनाक्षी सिन्हा आज शिक्षा के क्षेत्र के साथ ही फैशन और सामाजिक क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुयी है लेकिन इन कामयाबियों को पाने के लिये उन्हें अथक परिश्रम का सामना भी करना पड़ा है। बिहार की राजधानी पटना में जन्मी मीनाक्षी सिन्हा के पिता श्री प्रेमचंद्र और मां श्रीमती यशोदा देवी घर की लाडली सबसे छोटी बेटी को उच्चअधिकारी बनाना चाहते थे लेकिन वह एयरहोस्टेस बनना चाहती थी। मीनाक्षी सिन्हा भले ही आसमान में कुलांचे नही भर सकी हो लेकिन वह महिलाओं और लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाकर उन्हें कामयाबी की मंजिल पर पहुंचाने के लिये कृत संकल्पित है।

FAMOUS YOURSELF IN SOCIAL MEDIA


मीनाक्षी सिन्हा ने स्नातक की पढ़ाई वर्ष 2005 में पूरी की। वर्ष 2008 में मीनाक्षी सिन्हा की शादी जाने माने कंस्ट्रकशन व्यवसायी मुकेश कुमार सिन्हा से हो गयी ।जहां आम तौर पर युवती की शादी के बाद उसपर कई तरह की बंदिशे लगा दी जाती है लेकिन मीनाक्षी सिन्हा के साथ के साथ ऐसा नही हुआ। मीनाक्षी के पति के साथ ही ससुराल पक्ष के सभी लोगो ने उन्हें काफी सपोर्ट किया।

जिंदगी में कुछ पाना हो तो खुद पर ऐतबार रखना
        सोच पक्की और क़दमों में रफ़्तार रखना
        कामयाबी मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें
        बस खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार रखना।

कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं। इस बात को साबित कर दिखाया मीनाक्षी सिन्हा ने । मीनाक्षी सिन्हा यदि चाहती तो विवाह के बंधन में बनने के बाद एक आम नारी की तरह जीवन गुजर बसर कर सकती थी लेकिन वह खुद की पहचान बनाना चाहती थी।

जिंदगी में कुछ पाना हो तो खुद पर ऐतबार रखना
        सोच पक्की और क़दमों में रफ़्तार रखना
        कामयाबी मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें

वर्ष 2011 में मीनाक्षी सिन्हा एक निजी कंपनी में बतौर एडमिन/एचआर के तौर पर काम करने लगी। करीब तीन वर्षो तक मीनाक्षी सिन्हा ने काम किया। मीनाक्षी सिन्हा शिक्षा के क्षेत्र में भी काम करना चाहती थी। मीनाक्षी सिन्हा का कहना है कि समाज के विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है इसलिए जरूरी है कि समाज के सभी लोग शिक्षित हो। शिक्षा ही विकास का आधार है। समाज के लोग ध्यान रखें कि वह अपने बेटों ही नहीं बल्कि बेटियों को भी बराबर शिक्षा दिलवाएं।वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षा की महत्ता सर्वविदित है. स्पष्ट है कि सामाजिक सरोकार से ही समाज की दशा व दिशा बदल सकती है।

जुनूँ है ज़हन में तो हौसले तलाश करो
        मिसाले-आबे-रवाँ रास्ते तलाश करो
        ये इज़्तराब रगों में बहुत ज़रूरी है
        उठो सफ़र के नए सिलसिले तलाश करो

वर्ष 2016 में मीनाक्षी सिन्हा ने एम 2 एडूकेशन कंपनी की स्थापना की जिसके तहत उन्होंने कई छात्र-छात्रों को आगे बढ़ने का अवसर दिया।मीनाक्षी सिन्हा शिक्षा के साथ ही महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देना चाहती थी और इसी को देखते हुये वह दैनिक जागरण संगिनी क्लब और स्वंय सेवी संगठन सामायिक परिवेश से जुड़ गयी और महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर काम किया। मीनाक्षी सिन्हा दैनिक जागरण संगिनी क्लब की उपाध्यक्ष भी बनायी गयी हैं।

वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान से
        वो और थे जो हार गए आसमान से

वर्ष 2017 में मीनाक्षी सिन्हा ने पटना में द प्रीताज क्लेकशन बुटिक खोला है जिसके लिये उन्हें काफी तारीफें मिल रही है। मीनाक्षी सिन्हा का कहना है कि बिहार प्रतिभा के मामले में किसी भी दूसरे राज्य से कम नहीं है। फिर चाहे वह फिल्‍म हो, फैशन हो या फिर कला का क्षेत्र हर जगह बिहार के लोगों ने अपनी सफलता के झंडे गाड़े हैं।मीनाक्षी सिन्हा आज कामयाबी की बुलंदियों पर हैं लेकिन उनके सपने यूं ही नही पूरे हुये हैं यह उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है। मीनाक्षी सिन्हा बताया कि वह अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय अपने पति के साथ ही परिवार के सभी सदस्यों को देती हैं जिन्होंने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया है। मीनाक्षी सिन्हा ने बताया कि उन्हें डांस और अभिनय का भी शौक है।मीनाक्षी अपनी सफलता का मूल मंत्र इन पंक्तियों में समेटे हुये है।

जब टूटने लगे हौंसले तो बस ये याद रखना,
        बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते,
        ढूंड लेना अंधेरों में मंजिल अपनी,
        जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते।