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MRINALINI AKHOURI को मिला महादेवी वर्मा सम्मान

मृणालिनी अखौरी
मृणालिनी अखौरी

मृणालिनी अखौरी को मिला महादेवी वर्मा सम्मान

ज़िन्दगी की असली उड़ान अभी बाकी है,

ज़िन्दगी के कई इम्तेहान अभी बाकी है,

अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीं हमने,

अभी तो सारा आसमान बाकी है…

पटना, 30 मार्च ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस (जीकेसी) के सौजन्य से महान कवियित्री और सुविख्यात लेखिका महादेवी वर्मा की जयंती 26 मार्च के अवसर पर मृणालिनी अखौरी को महादेवी वर्मा सम्मान से अंलकृत किया गया।

जीकेसी के सौजन्य से राजधानी पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर में महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर लोकगायन के क्षेत्र में उल्लेखनीय देने के लिये मृणालिनी अखौरी को महादेवी वर्मा सम्मान से सम्मानित किया गया। मृणालिनी अखौरी जीकेसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजीव रंजन प्रसाद और जीकेसी की प्रबंध न्यासी श्रीमती रागिनी रंजन के प्रति आभार प्रकट करती हैं जिन्होंने इतने बड़े स्तर पर महादेवी वर्मा सम्मान का आयोजन किया और उन्हें सम्मान से नवाजा। अपनी हिम्मत और लगन के बदौलत मृणालिनी अखौरी आज लोगगायन के क्षेत्र अपनी सशक्त पहचान बनाने में कामयाब हुयी है] लेकिन इन कामयाबियों को पाने के लिये उन्हें अथक परिश्रम का सामना भी करना पड़ा है।

बिहार के औरगांबाद जिले में जन्मीं अखौरी प्रमोद कृष्ण और मंजू बाला की छोटी पुत्री मृणालिनी अखौरी की रूचि बचपन के दिनों से ही गीत-संगीत की ओर थी। सुश्री मृणालिनी अखौरी के पिता सिंचाई विभाग में वरीय अधिकारी के तौर पर कार्यरत थे। मृणालिनी अखौरी के नाना श्री विद्यानंद सहाय आकाशवाणी पटना में लोकगायक थे।मृणालिनी जब महज चार वर्ष की थी तभी उन्होंने घर में आयोजित एक कार्यक्रम में गाना राम तेरी गंगा मैली सुना। मृणालिनी ने इस गाने को सुर के साथ जब गाना शुरू किया तब उनके पिता काफी प्रभावित हुये और उन्होंने निश्चय किया कि वह बेटी को संगीत की तालीम देंगे। इसके बाद मृणालिनी ने शास्त्रीय संगीत की प्रारंभिक शिक्षा श्री मांझिल पाठक और श्री दिनेश पांडेय ने लेनी शुरू की। इस बीच मृणालिनी ने श्री सुनील पाठक से गजल गायकी की भी तालीम हासिल की। वर्ष 1999 में मृ़णालिनी अपने परिवार के साथ झारखंड की राजधानी रांची आ गयी। इसके बाद मृणालिनी ने व्यवसायिक तौर पर शोज करने शुरू किये जिससे उन्हें काफी ख्याति मिली। पार्श्वगायन के क्षेत्र में मृणालिनी स्वर कोकिला लता मंगेश्कर और आवाज की दुनिया के बेताज बादशाह मोहम्मद रफी को अपना आदर्श मानती है। मृणालिनी, जगजीत सिंह, गुलाम अली, हरिहरन और चंदन दास की गजल गायिकी से बेहद प्रभावित है। मृणालिनी अखौरी ने प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से संगीत के क्षेत्र में एमए की पढ़ाई पूरी की है। म़ृणालिनी लंबे अरसे से आकाशवाणी और दूरदर्शन पर प्रस्तुति दे रही हैं। इसके अलावा मृणालिनी अपने तरन्नुम संगीत संस्थान के जरिये करीब दो दशक से लोगों को संगीत की शिक्षा दे रही है।मृणालिनी इन दिनों रांची वुमेंस कॉलेज में असिस्टेट प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत है। मृणालिनी को अपने अबतक के करियर के दौरान काफी नाम-सम्मान मिला है। उन्हें मिले महत्वपूर्ण सम्मानों में गुरू सम्मान, अपराजिता सम्मान, काटयानी सम्मान, सोनपुर सम्मान, थावे सम्मान, लाहिया नाट्य अकाडमी सम्मान, कला संस्कृति सम्मान, प्रयाग संगीत समिति सम्मान , राजरप्पा सम्मान, झारखंड सिने अवार्ड और कजरी सम्मान समेत कई अन्य शामिल है।मृणालिनी पार्श्वगायन के क्षेत्र में अपनी अलहदा पहचान बनाने में कामयाब हुयी है लेकिन उनके सपने यूं ही नही पूरे हुये हैं यह उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है।म़ृणालिनी ने बताया कि वह अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय अपने परिवार के सभी सदस्यों को देती हैं जिन्होंने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया है।

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Ankit Piyush

Ankit Piyush is the Editor in Chief at BhojpuriMedia. Ankit Piyush loves to Read Book and He also loves to do Social Works. You can Follow him on facebook @ankit.piyush18 or follow him on instagram @ankitpiyush.

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