BHOJPURI MEDIA. ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18 पार्श्वगायन के क्षेत्र में खास पहचान बना चुकी है डा़ नीतू कुमारी नवगीत आज बादलों ने फिर साज़िश की जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की अगर फलक को जिद है ,बिजलियाँ गिराने की तो हमें भी ज़िद है ,वहीं पर आशियाँ […]
BHOJPURI MEDIA.
ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18
पार्श्वगायन के क्षेत्र में खास पहचान बना चुकी है डा़ नीतू कुमारी नवगीत
आज बादलों ने फिर साज़िश की
जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की
अगर फलक को जिद है ,बिजलियाँ गिराने की
तो हमें भी ज़िद है ,वहीं पर आशियाँ बनाने की
पटना 07 अगस्त बिहार कोकिला के नाम से मशहूर डा नीतु कुमारी नवगीत आज के दौर में पार्श्वगायन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुकी है। उनकी ज़िन्दगी संघर्ष, चुनौतियों और कामयाबी का एक ऐसा सफ़रनामा है, जो अदम्य साहस का इतिहास बयां करता है। नीतु कुमारी नवगीत ने अपने करियर के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर कामयाबी का परचम लहराया।
दुनिया के सबसे बेहतरीन और मशहूर लोग वो होते है जिनकी अपनी एक अदा होती है…. वो अदा जो किसी की नक़ल करने से नही आती… वो अदा जो उनके साथ जन्म लेती है…!! डा नीतू कुमारी नवगीत की शख्सियत भी कुछ ऐसी ही है। झारखंड के रांची में जन्मी नीतू कुमारी नवगीत के पिता श्री रवीन्द्र भगत और मां श्रीमती शैल बाला घर की लाडली सबसे बड़ी बेटी को इंजीनियर बनाना चाहते थे हालांकि नीतू को संगीत के क्षेत्र में गहरी रूचि थी और आशा भोंसले से प्रभावित रहने की वजह से उन्हीं की तरह गायिकी के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाना चाहती थी।
जुनूँ है ज़हन में तो हौसले तलाश करो
मिसाले-आबे-रवाँ रास्ते तलाश करो
ये इज़्तराब रगों में बहुत ज़रूरी है
उठो सफ़र के नए सिलसिले तलाश करो
वर्ष 1993 में नीतु कुमारी नवगीत ऑल इंडिया रेडियो के ऑडिशन में चुन ली गयी और उन्होंने दूरदर्शन और रेडियो द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों की समीक्षा लिखने के साथ ही कार्यक्रमों में हिस्सा लेना शुरू किया।इसी दौरान नीतु कुमारी नवगीत ने आनंद मोहन पाठक से पांच वर्ष तक शास्त्रीय संगीत भी सीखा। वर्ष 1996 में रांची के प्रसिद्ध संत जेवियर्स कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद आंखो में बड़े सपने लिये नीतु कुमारी नवगीत राजधानी दिल्ली चली गयी जहां उन्होंने लेडी श्रीराम कॉलेज से एमए की पढ़ाई पूरी की।
अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल
हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया
इसके बाद नीतु कुमारी नवगीत दैनिक हिंदुस्तान में बतौर कला रिर्पोटर काम करने लगी। वर्ष 2001 में नीतु कुमार नवगीत की शादी रेलवे में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारी श्री दिलीप कुमार से हो गयी। जहां आम तौर पर युवती की शादी के बाद उसपर कई तरह की बंदिशे लगा दी जाती है लेकिन नीतु कुमारी के साथ ऐसा नही हुआ। नीतु के पति के साथ ही ससुराल पक्ष के लोगों उन्हें हर कदम सर्पोट किया। पति के तबादले की वजह से नीतु अपने पति के साथ त्रिचिरापल्ली चली आयी। यहां वह रेलवे की ओर से आयोजित पाठयक्रम प्रज्ञा ,प्रवीण और प्रबोध की शिक्षा रेलवे कर्मचारियों को देनी शुरू की।
खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,
जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है,
लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ,
जितनी गहराई अन्दर है, बाहर उतना तूफ़ान बाकी है…
वर्ष 2008 नीतु कुमारी नवगीत के करियर के लिये अहम मोड़ लेकर आया। कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं। इस बात को साबित कर दिखाया है नीतु कुमारी नवगीत ने । टीसीरीज के बैनर तले नीतु कुमारी नवगीत का अलबम मोरी बाली उमरिया लांच किय गया। अलबम की अपार सफलता के बाद नीतु कुमारी नवगीत ने बिटिया है अनमोल , बहंगी लचकत जाये ,छोटी बिटिया समेत कई अलबमो मे अपनी आवाज दी है। नीतु कुमारी नवगीत ने प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से संगीत के क्षेत्र में सात वर्षीय कोर्स प्रभाकर पूरा किया है। इसके साथ ही उन्होंने पीएचडी भी किया है। नीतु कुमारी नवगीत आज कामयाबी की मंजिले तय कर सफलता के नये आयामों को छू रही है। उन्होंने इसके लिये काफी हौसला रखा है।
रख हौसला वो मन्ज़र भी आएगा,
प्यासे के पास चल के समंदर भी आयेगा;
थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर,
मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आयेगा।
नीतु कुमारी नवगीत को उनके करियर में पार्श्वगायन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये सैकडों पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। इनमें बिहार कोकिला पुरस्कार , राष्ट्रीय युवा कला सम्मान ,जीवी की ओर से सर्वश्रेष्ठ सिंगर का पुरस्कार समेत कई अन्य पुरस्कार शामिल है। नीतु कुमारी नवगीत को हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सम्मानित किया है। इन सबके साथ ही नीतु कुमारी नवगीत को पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ,पूर्व कला एवं संस्कृति मंत्री शिवचंदर राम से भी सम्मान मिला है। नीतु कुमारी नवगीत को लेखन में भी गहरी रूचि रही है। उन्होंने साठोत्तरी हिंदी कविता का सामाजिक पक्ष लिखा जिसका लोकापर्ण बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने किया है।
उसे गुमाँ है कि मेरी उड़ान कुछ कम है
मुझे यक़ीं है कि ये आसमान कुछ कम है
नीतु कुमारी नवगीत अबतक हरिहर क्षेत्र महोत्सव , मेंहदार महोत्सव , थावे महोत्सव , केसरिया महोत्सव ,राजगीर मलमास मेला , चंपारण संकल्प यात्रा उत्सव , विधापति धाम महोत्सव , चंपारण सत्याग्रह शताब्दी उत्सव ,पाटलिपुत्रा महोत्सव ,बाबू वीर कुंअर सिंह विजयोत्सव समेत कई महोत्सव में शिरकत कर चुकी है।नीतु कुमारी नवगीत पार्श्वगायन के क्षेत्र में खास पहचान बना चुकी है लेकिन उनके सपने यूं ही नही पूरे हुये हैं यह उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है। नीतु कुमारी नवगीत ने बताया कि वह अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय अपने परिवार वालों और शुभचितंको के साथ ही अपने पति को देती है जिन्होंने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया है।नीतु कुमारी नवगीत अपने पति को रियल हीरो मानती है उन्हें याद कर गुनगुनाती है ,अब तो तुमसे है हर खुशी अपनी , तुमपे मरना है जिंदगी अपनी
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