नवोदित क्रिकेटरों के लिए किरण बने प्रभाकर आलोक बंदे है हम उसके हम पर किसका जोर | उम्मीदो के सूरज, निकले चारो और || इरादे है फौलादी, हिम्मती है कदम ||| अपने हाथो किस्मत लिखने आज चले है हम। अपनी हिम्मत और लगन के बदौलत क्रिकेट की दुनिया में नये युग […]
नवोदित क्रिकेटरों के लिए किरण बने प्रभाकर आलोक
बंदे है हम उसके हम पर किसका जोर | उम्मीदो के सूरज, निकले चारो और ||
इरादे है फौलादी, हिम्मती है कदम ||| अपने हाथो किस्मत लिखने आज चले है
हम।
अपनी हिम्मत और लगन के बदौलत क्रिकेट की दुनिया में नये युग का सूत्रपात करने वाले प्रभाकर आलोक अपने मोबाइल एप्स माई 22 यार्डस के जरिये आज नवोदित क्रिक्रेटरों के लिये आलोक की किरण बनकर उभरे हैं लेकिन इसके लिये
उन्हें अथक परिश्रम का सामना भी करना पड़ा है।
प्रभाकर आलोक को हाल ही में एनजीटाउन का फाउंडेशन डे और सीसीएल 2 के जर्सी लांच पर यंग अचीवर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया है। इस समारोह का आयोजन एनजी टाउन के सीएमडी (संजय सिंह और नमिता सिंह ) द्वारा प्रायोजित कॉर्पोरेट क्रिकेट लीग (सी.सी.एल.) सीजन-2 की जर्सी लॉन्चिंग के उपलक्ष्य में किया गया जिसमे यंग अचीवर्स अवार्ड से उन 25 महिलाओं एवं पुरुषों को सम्मानित किया गया जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में राज्य एवं देश का नाम रौशन करने के साथ-साथ समाज के लिए प्रेरणादायी
कार्य किया है।
बिहार की राजधानी पटना में जन्में प्रभाकर आलोक बचपन के दिनों से हीक्रिकेटर बनने का सपना देखा करते थे। प्रभाकर के पिता प्रवीण कुमार अपने पुत्र को भी इंजीनियर के तौर पर देखने की ख्वाहिश रखते थे । पिता की आज्ञा को सर आंखो पर लेते हुये प्रभाकर जयपुर चले गये और बीटेक किया।इसी दौरान साफ्टवेयर के क्षेत्र में अग्रणी विप्रो में उन्हें काम करने का अवसर मिला लेकिन उन्हें दिल में कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश थी । वह क्रिकेट की दुनिया में पहचान बनाना चाहते थे। प्रभाकर यदि चाहते तो विप्रो जैसी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कंपनी में काम करते हुये जीवन बसर कर सकते थे लेकिन वह कुछ अलग करना चाहते थे। लहरों के साथ तो कोई भी तैर लेता है ..पर असली इंसान वो है जो लहरों को चीरकर आगे बढ़ता है। प्रभाकर अपने घर पटना वापस आ गये।
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती
प्रभाकर बिहार के उन क्रिकेटरों को आगे लाना चाहते थे जिन्हें सही मंच नही मिल पा रहा था। भले ही प्रभाकर बतौर क्रिकेटर अपनी पहचान नही बना सके लेकिन वह नवोदित क्रिकेटरों के लिये कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश रखते थे।जो लोग अपने सपने पूरे नहीं करते ना …..वो दूसरों के सपने पूरे करते हैं। प्रभाकर ने जल्द ही मोबाइल एप्स माई 22 यार्डस का निर्माण किया जो क्रिकेट के क्षेत्र में एक नयी क्रांति थी। प्रभाकर ने बताया कि आम तौर पर बिहार में स्थानीय खिलाड़ियों को बढ़ावा नही मिल पाता , इसके साथ ही स्थानीय क्रिकेट मैच के बारे में भी उन्हें जानकारी नही मिल पाती । इसी को देखते हुये माई 22 यार्डस का निर्माण किया गया है। इसके जरिये क्रिकेट
प्रेमी जिलों में होने वाले मैच के आंकड़ो की जानकारी एप्स के जरिये आसानी से ले सकेंगे।
प्रभाकर के बनाये इस एप्स को काफी सराहना मिल रही है। केन्द्र सरकार और बिहार सरकार की ओर से भी इसे काफी सराहा गया है।
ज़िन्दगी की असली उड़ान अभी बाकी है,
ज़िन्दगी के कई इम्तेहान अभी बाकी है,
अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीं हमने,
अभी तो सारा आसमान बाकी है…
प्रभाकर क्रिकेट की दुनिया में नये युग का सूत्रपात करना चाहते हैं और इस दिशा में अथक परिश्रम कर रहे हैं। प्रभाकर अपनी सफलता का श्रेय अपने दादा जी और पूर्व पुलिस उपाधीक्षक श्री जगदीश साह को देते हैं जिन्होंने उन्हें हर कदम पर प्रोत्साहित किया है। प्रभाकर अपने जीवन में इन पंक्तियों को समाये हुये हैं। ज़िंदगी में अगर कुछ बनना हो..कुछ हासिल करना हो…कुछ जीतना हो….तो हमेशा दिल की सुनो…और अगर दिल कोई जवाब न दे, तो आँखे बंद करके अपनी माँ और पापा का नाम लो ….फिर देखना हर मंजिल पार कर जाओगे….हर मुश्किल आसान हो जाएगी…….जीत तुम्हारी होगी…सिर्फ तुम्हारी।
प्रभाकर अपने दादा जी को याद करते हुये भावुक हो गये और गुनगुनाते है “
जिंदगी हर कदम एक नयी जंग है जीत जायेंगे हम अगर आप संग हो , तुम साथ हो
जब अपने दुनिया को दिखा देंगे , हम मौत को जीने का अंदाज सीखा देंगे।
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