एयरलाइंस के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में भी पहचान बनायी प्रदीप सिंधू ने
खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,
जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है,
लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ,
जितनी गहराई अन्दर है, बाहर उतना तूफ़ान बाकी है…
अपनी हिम्मत और लगन के बदौलत प्रदीप सिंधू आज एयरइंडिया में सीनियर इनफ्लाइट सुपरवाईजर के तौर पर अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुये है लेकिन इन कामयाबियों को पाने के लिये उन्हें अथक परिश्रम का सामना भी करना पड़ा है। हरियाणा के रोहतक जिले में जन्में प्रदीप सिंधू के पिता और आर्मी से रिटायर्ड श्री दयानंद सिंधू पुत्र को इंजीनियर बनाने की ख्वाहिश रखते थे। उनकी मां श्रीमती सरोज देवी सामाजिक कार्यकता है। वर्ष 2004 में प्रदीप सिंधू ने मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की।
वर्ष 2007 में प्रदीप इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद पिता की आज्ञा को सिरोधार्य मानकर इंजीनीयरिंग की तैयारी के लिये राजधानी दिल्ली चले गये। वर्ष 2010 में दिल्ली यूनविर्सिटी से प्रदीप ने विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद प्रदीप ने निजी कंपनियों में काम किया। इस दौरान प्रदीप की रूचि एयरलाइंस की ओर हो गयी और इस क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने वर्ष 2012 में एयर इंडिया में केबिन क्रू के तौर पर ज्वाइन कर लिया।आज अपनी मेहनत और लगन के बदौलत वह सीनियर इनफ्लाइट सपरवाईजर के पद पर काम कर रहे हैं।
प्रदीप सिंधू की मां श्रीमती सरोज देवी सामाजिक सरोकार से जुड़ी हुयी है और वह इस दिशा में काम कर रही है। प्रदीप सिंधू भी इस क्षेत्र में समय मिलने पर अपनी मां का हाथ बंटाते हैं।प्रदीप को क्रिकेट के साथ ही फिल्में देखने का बेहद शौक है। वह फिटनेस का भी खास ख्याल रखते है।
प्रदीप ने बताया कि वह बॉलीवुड के माचो मैन जॉन अब्राहम और डिंपल गर्ल दीपिका पादुकोण के फैन हैं और उनकी तकरीबन हर फिल्में उन्होंने देखी है।
प्रदीप सिंधू अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता के साथ हीं अपने बड़े भाई और शिक्षक संदीप सिंधू को दिया है जिन्होंने उन्हें हर कदम पर प्रोत्साहित किया है। प्रदीप अपनी सफलता का श्रेय इन पंक्तियों में समेटे हुये हैं।
ज़िन्दगी की असली उड़ान अभी बाकी है,
ज़िन्दगी के कई इम्तेहान अभी बाकी है,
अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीं हमने,
अभी तो सारा आसमान बाकी है…
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