BHOJPURI MEDIA ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18 .बहुमुखी प्रतिभा से खास पहचान बनायी राजन कुमार सिन्हा ने आसमां क्या चीज़ है वक्त को भी झुकना पड़ेगा अभी तक खुद बदल रहे थे आज तकदीर को बदलना पड़ेगा संभावनाओं की कोई कमी नहीं है और अगर आपके पास जूनून है तो कोई मंजिल दूर नहीं है। […]
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ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18
.बहुमुखी प्रतिभा से खास पहचान बनायी राजन कुमार सिन्हा ने
आसमां क्या चीज़ है
वक्त को भी झुकना पड़ेगा
अभी तक खुद बदल रहे थे
आज तकदीर को बदलना पड़ेगा
वक्त को भी झुकना पड़ेगा
अभी तक खुद बदल रहे थे
आज तकदीर को बदलना पड़ेगा
संभावनाओं की कोई कमी नहीं है और अगर आपके पास जूनून है तो कोई मंजिल दूर नहीं है।
अपनी हिम्मत और लगन के बदौलत राजन कुमार सिन्हा आज बिहार के नामचीन लोगों में में शुमार किये जाते हैं लेकिन इसके लिये उन्हें अथक परिश्रम का सामना भी करना पड़ा है।तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।महान कवि हरिवंश राय बच्चन की रचित इन पंक्तियों को जीवन में उतारने वाले राजन सिन्हा कामयाबी की डगर इतनी आसान नही रही और उन्हें इसके लिये अथक परिश्रम का सामना करना पड़ा। राजन सिन्हा आज के दौर में न सिर्फ मीडिया जगत में धूमकेतु की तरह छा गये हैं बल्कि राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में क्षितिज पर भी सूरज की तरह चमके रहे हैं। उनकी ज़िन्दगी संघर्ष, चुनौतियों और कामयाबी का एक ऐसा सफ़रनामा है, जो अदम्य साहस का इतिहास बयां करता है। राजन सिन्हा ने अपने करियर के दौरान
कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर कामयाबी का परचम लहराया।
कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर कामयाबी का परचम लहराया।
बिहार के सीवान जिले में जन्में राजन कुमार सिन्हा के पिता मेदनी रंजन प्रसाद सिन्हा और मां इंदु सिन्हा घर के लाडले सबसे बड़े पुत्र को उच्चाधिकारी बनाने का ख्वाब देखा करती। राजन कुमार सिन्हा की दिलचस्पी राजनीति के प्रति रही थी ।उन दिनों जय प्रकाश नारायण से प्रभावित होने की वजह से उन्होंने 1974 में जेपी आंदोलन में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। राजन कुमार सिन्हा का मानना है कि युवाओं में ऊर्जा का भंडार होता है उनके अंदर इच्छाशक्ति होती है। युवाओं को राजनीति में भी भाग्य आजमाना चाहिए। युवाओं में उतनी क्षमता होती है कि वह दूषित राजनीति को शुद्ध कर सके। युवाओं को मिल कर कार्य करना होगा। देश की तरक्की के लिए युवाओं का सकारात्मक ढंग से कार्य करना जरूरी है।युवा चाहे तो देश की तकदीर बदल सकता है।युवाओं को भ्रष्टाचार, नशाखोरी एवं सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ
लड़ाई लडऩी चाहिए। राजनीति में युवाओं की भागीदारीबढ़ाने की जरूरत है। युवाओं को भी आगे बढ़ कर राजनीति में आते हुए देश व समाज के विकास में कार्य करना चाहिए।
लड़ाई लडऩी चाहिए। राजनीति में युवाओं की भागीदारीबढ़ाने की जरूरत है। युवाओं को भी आगे बढ़ कर राजनीति में आते हुए देश व समाज के विकास में कार्य करना चाहिए।
वर्ष 1990 राजन सिन्हा के व्यवसायिक जीवन के साथ ही पारिवारिक जीवन में अहम पड़ाव लेकर आया। राजन सिन्हा , कंचन सिन्हा के साथ शादी के अटूट बंधन में बंध गये। इसके बाद वह आंखो में बड़े सपने लिये राजधानी पटना आ गये और एड ऐजेंसी की स्थापना की ।
अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल
हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया
दुनियां में बहुत सी ऐसी बातें होती हैं जो नामुमकिन नज़र आती हैं
…. लेकिन अगर इंसान हिम्मत से काम करे और वो सच्चा है ……तो जीत उसी की होती है।
हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया
दुनियां में बहुत सी ऐसी बातें होती हैं जो नामुमकिन नज़र आती हैं
…. लेकिन अगर इंसान हिम्मत से काम करे और वो सच्चा है ……तो जीत उसी की होती है।
वर्ष 2005 में राजन सिन्हा मीडिया के क्षेत्र में प्रवेश कर गये और न्यूज प्लस चैनल की शुरूआत की। इसी वर्ष राजन सिन्हा ने पटना पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से समता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा हालांकि वह विजयी नही बन सके।
ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय कभी ये हसाए कभी ये रूलाये…
वर्ष 2007 राजन सिन्हा के जीवन में तूफान आ गया ।पत्नी की अकास्मात मौत ने राजन सिन्हा को अंदर से तोड़ दिया। वह काफी समय तक डिप्रेशन में रहे।यदि इरादें मजबूत हों तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता। जोश और जूनून के साथ हर मंजिल हासिल की जा सकती है।
राजन सिन्हा एक बार फिर से नयी उमंग के साथ उठ खड़े हुये। राजन सिन्हा ने पत्नी की याद में वर्ष 2008 से कंचन रत्न समारोह का आयोजन करना शुरू किया जो करीब दस वर्षो से अनवरत जारी है।
राजन सिन्हा एक बार फिर से नयी उमंग के साथ उठ खड़े हुये। राजन सिन्हा ने पत्नी की याद में वर्ष 2008 से कंचन रत्न समारोह का आयोजन करना शुरू किया जो करीब दस वर्षो से अनवरत जारी है।
काम करो ऐसा कि पहचान बन जाये;
हर कदम चलो ऐसे कि निशान बन जाये;
यह जिन्दगी तो सब काट लेते हैं;
जिन्दगी ऐसे जियो कि मिसाल बन जाये |
हर कदम चलो ऐसे कि निशान बन जाये;
यह जिन्दगी तो सब काट लेते हैं;
जिन्दगी ऐसे जियो कि मिसाल बन जाये |
राजन सिन्हा ने वर्ष 2012 में मासिक भोजपुरी मैगजीन भोजपुरिया झलक की शुरूआत की। उसे गुमाँ है कि मेरी उड़ान कुछ कम है मुझे यक़ीं है कि ये आसमान कुछ कम है। राजनीति के क्षेत्र में सुनील शास्त्री को आदर्श मानने वाले राजन सिन्हा की राजनीति के प्रति जागरूकता को देखते हुये उन्हें हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) का प्रदेश महासचिव बनाया गया है।
रख हौसला वो मन्ज़र भी आएगा,
प्यासे के पास चल के समंदर भी आयेगा;
थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर,
मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आयेगा।
प्यासे के पास चल के समंदर भी आयेगा;
थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर,
मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आयेगा।
राजन सिन्हा को उनके कार्यकाल के दौरान मान-सम्मान भी बहुत खूब मिला। राजन सिन्हा को वर्ष 2012 में नागालैंड के गर्वनर निखिल कुमार ने ज्योति अवार्ड से नवाजा। इसके बाद वह दशरथ मांझी पत्रकार सम्मान ,बिहार पत्रकार रत्न सम्मान ,पाटलिपुत्र समाज सेवा सम्मान समेत कई सम्मान से नवाजा जा चुका है। राजन सिन्हा आज सफलता के मुकाम पर है। राजन सिन्हा अपनी सफलता का श्रेय दिवंगत पत्नी कंचन सिन्हा को देते हैं। राजन सिन्हा का कहना है कि आज वे जो कुछ हैं उसमें पत्नी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनकी पत्नी ने उनका हर कदम पर न सिर्फ साथ दिया, बल्कि उन्हें आगे बढ़ने का प्रोत्साहन भी खूब दिया। उन्होने कहा कंचन ने एक दोस्त की तरह प्रेरित किया। न सिर्फ सुख में, बल्कि दुख-दर्द और निराशा के समय में भी मेरी पत्नी हमेशा मेरे साथ खड़ी रहीं।
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