मेहनत और लगन से शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में पहचान बनायी संजीव कुमार कर्ण ने
अपनी हिम्मत और लगन के बदौलत संजीव कुमार कर्ण ने आज शिक्षा के क्षेत्र के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई हैं ,लेकिन इन कामयाबियों को पाने के लिये उन्हें अथक परिश्रम का सामना भी करना पड़ा है। बिहार में समस्तीपुर जिले में जन्में संजीव कुमार
कर्ण के पिता श्री डी.एन.पी.कर्ण और मां श्रीमती उर्मिला लाल कर्ण बेटे को डॉक्टर या इंजीनियर बनाने का ख्वाब देखा करती थी। श्री कर्ण के पिता भारतीय स्टेट बैंक के वरिष्ठ अधिकारी थे। पिता के तबादले की वजह से श्री कर्ण परिवार वालों के साथ रांची चले गये जहां उन्होंने अपनी प्रारभिक शिक्षा पूरी की। मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद श्री कर्ण राजधानी पटना आ गये जहां उन्होंने अनुग्रह नारायण कॉलेज से स्नाकोत्तर एवम् एमबीए की पढ़ाई पूरी की।
माता-पिता की आज्ञा को सिरोधार्य मानते हुये श्री कर्ण ने एक निजी कंपनी में काम करना शुरू किया और करीब 15 वर्षो तक बड़े पदों पर सुशोभित हुये। वर्ष 2010 में श्री कर्ण पब्लिकेशन कंपनी स्टूडेंट फ्रेंडस के साथ जुड़े और जोनल मैनेजर के तौर पर काम करना शुरू किया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा से प्रभावित श्री कर्ण ने आरएसएस के कार्यकर्ता के तौर पर काम करना किया। इस दौरान वह आरएसएस की इकाई बनवासी कल्याण आश्रम से जुड़े। बनवासी कल्याण इकाई के माध्यम से गरीबों के उत्थान के लिये जरूरी कदम उठाये जाते हैं। इसी बीच श्री कर्ण बिहार शिक्षा परियोजना से भी जुडे गये। इस मिशन का उद्देश्य कक्षा सात से लेकर दस साल के बच्चों को स्कॉलरशिप मुहैया करायी जाती है। संस्थान की ओर से बिहार के अलावा झारखंड के एक हजार से अधिक छात्रों को स्कॉलरशिप दी जा चुकी है। इसके बैनर तले शिक्षक-छात्र सम्मान समेल्लन का आयोजन किया जाता है जिसमें राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक और कॉलेज के प्राधानाध्यापक को उनके उल्लेखनीय कार्य के लिये सम्मानित किया जाता है। श्री कर्ण डायबिटीज की रोकथाम से जुड़ी संस्था आस्था फाउंडेशन के समन्वयक की भूमिका भी बखूबी से निभा रहे हैं।
श्री संजीव कर्ण का मानना है कि समाज के विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है इसलिए जरूरी है कि समाज के सभी लोग शिक्षित हो। शिक्षा ही विकास का आधार है। समाज के लोग ध्यान रखें कि वह अपने बेटों ही नहीं बल्कि बेटियों को भी बराबर शिक्षा दिलवाएं।वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षा की महत्ता सर्वविदित है. स्पष्ट है कि सामाजिक सरोकार से ही समाज की दशा व दिशा बदल सकती है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राजनीति के क्षेत्र में अपना आदर्श मानने वाले श्री संजीव कर्ण ने श्री मोदी के स्वच्छ भारत मिशन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। बिहार शिक्षा परियोजना की इकाई ESWATIके सौजन्य से जरूरतमंद महिलाओं के लिये फ्री सेनेट्री नैपकिन का वितरण किया जाता है।
श्री कर्ण को उनके करियर में अबतक के उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये मान-सम्मान खूब मिला।श्री कर्ण को समाज सेवा के प्रति जागरूकता और कर्मठता को देखते बिहार विभूति , बिहार रत्न , साहित्य सम्मान और अंगिका सम्मान समेत कई सम्मानों से
अंलकृत किया जा चुका है।बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिये श्री कर्ण ने अपनी संस्था के निदेशक के साथ मुख्यमंत्री राहत कोष में एक लाख का चेक मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को सौंपा।वनवासी कल्याण आश्रम के साथ मिलकर एक ट्रक मच्छरदानी एवम् दवा बाढ़ पीड़ितों के लिए भेजा । इन सामाजिक काम में इनकी पत्नी आभा कर्ण,भाई सुमन कुमार, राजेश कुमार साथ देते हैं।
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