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शिक्षा के साथ में खास पहचान बना चुकी है सुशीला सिंह

BHOJPURI MEDIA ANKIT PIYUSH शिक्षा के साथ में खास पहचान बना चुकी है सुशीला सिंह खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,         जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है,         लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ,         जितनी गहराई अन्दर है, […]

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ANKIT PIYUSH

शिक्षा के साथ में खास पहचान बना चुकी है सुशीला सिंह

खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,
        जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है,
        लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ,
        जितनी गहराई अन्दर है, बाहर उतना तूफ़ान बाकी है…

अपनी हिम्मत और लगन के बदौलत सुशीला सिंह आज शिक्षा के क्षेत्र के साथ अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुयी है लेकिन इन कामयाबियों को पाने के लिये उन्हें अथक परिश्रम का सामना भी करना पड़ा है।

बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बगहा में जन्मी सुशीला सिंह के पिता श्री विजय साह और मां श्रीमती लक्ष्मी घर की बड़ी लाडली बेटी को अपनी राह खुद चुनने की आजादी दे रखी थी। बचपन के दिनों से ही सुशीला सिंह का रूझान फैशन और इंटरियर डिजाइनिंग की ओर था और वह इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाना चाहती थी। सुशीला सिंह की मां शिक्षिका थी और वह अपनी बेटी को इस क्षेत्र में आने के लिये प्रोत्साहित किया करती। इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद सुशीला सिंह ने नर्सरी टीचर्स ट्रेनिंग ली। इसके बाद सुशीला सिंह ने राजधानी पटना के डॉनबॉस्को प्राइमरी स्कूल में दो साल तक शिक्षिका के तौर पर काम किया।

इस बीच सुशीला सिंह की शादी बिजनेस मैन श्री विक्रम सिंह के साथ हो गयी।जहां आम तौर पर युवती की शादी के बाद उसपर कई तरह की बंदिशे लगा दी जाती है लेकिन सुशीला सिंह के साथ ऐसा नही हुआ। सुशीला सिंह के पति के साथ ही ससुराल पक्ष के लोगों उन्हें हर कदम सर्पोट किया।  कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं। इस बात को साबित कर दिखाया है सुशीला सिंह ने  ।

जिंदगी में कुछ पाना हो तो खुद पर ऐतबार रखना
        सोच पक्की और क़दमों में रफ़्तार रखना
        कामयाबी मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें
        बस खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार रखना।

सुशीला सिंह यदि चाहती तो विवाह के बंधन में बनने के बाद एक आम नारी की तरह जीवन गुजर बसर कर सकती थी लेकिन वह खुद की पहचान बनाना चाहती थी।सुशीला सिंह को चूकिं  पढने का शौक बचापन से ही था और इसी को देखते हुये उन्होंने बीएड की भी पढ़ाई पूरी की। सुशीला सिंह का कहना है कि समाज के विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है इसलिए जरूरी है कि समाज के सभी लोग शिक्षित हो। शिक्षा ही विकास का आधार है। समाज के लोग ध्यान रखें कि वह अपने बेटों ही नहीं बल्कि बेटियों को भी बराबर शिक्षा दिलवाएं।वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षा की महत्ता सर्वविदित है. स्पष्ट है कि सामाजिक सरोकार से ही समाज की दशा व दिशा बदल सकती है।

जुनूँ है ज़हन में तो हौसले तलाश करो
मिसाले-आबे-रवाँ रास्ते तलाश करो
ये इज़्तराब रगों में बहुत ज़रूरी है
उठो सफ़र के नए सिलसिले तलाश करो

सुशीला सिंह ने ग्लोब टोटर्स बिरला प्री स्कूल के प्रिसिंपल के तौर पर काम करना शुरू किया। सुशीला सिंह अबतक कई बच्चों को  निशुल्क शिक्षा देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना चुकी है। सुशीला सिंह शिक्षा के क्षेत्र में खास पहचान बना चुकी है लेकिन उनके सपने यूं ही नही पूरे हुये हैं यह उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है।

सुशीला सिंह बताया कि वह अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय अपने पति को देती है जिन्होंने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया है।सुशीला अपने पति को रियल हीरो मानती है उन्हें याद कर गुनगुनाती है , मिले हो तुम हमको बड़े नसीबों से चुराया है मैंने किस्मत की लकीरों से , सदा ही रहना तुम मेरे करीब होके चुराया है मैंने किस्मत की लकीरों से।