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वज्रपात पर आधारित जागरूकता कार्यक्रम संपन्न

वज्रपात पर आधारित जागरूकता कार्यक्रम संपन्न
वज्रपात पर आधारित जागरूकता कार्यक्रम संपन्न

वज्रपात पर आधारित जागरूकता कार्यक्रम संपन्न

पटना 22 सितंबर बज्रपात एक प्राकृतिक आपदा है। इससे बचने के लिए जागरूकता एवं उचित सुरक्षा व्यवस्था आवश्यक है। बज्रपात पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन ई0 एस0 ग्रुप के अर्थिंग सोल्युसन्स द्वारा दयानन्द विद्यालय, मिठापुर में किया गया। बज्रपात जिसे
आम बोल चाल के भाषा में ठनका भी कहा जाता है, बहुत ही घातक हो सकता है।

अर्थिंग सोल्युसन्स के ओर से के0 के0 वर्मा ने विस्तार से बताया। उन्होने कहा कि बज्रपात से केवल ध्न की हानी नहीं होती अपितु कई तरह के हानी हो सकती है जैसे उत्पादकता की हानी, संचित डाटा की हानी, हमारे ध्रोहर का क्षतिग्रस्त होना, जन सेवायें बाधित होना, और मनुष्य की जान भी जा सकती है।

बज्रपात में 50000 एम्पीयर करंट गिर सकता है। और यह 10 मील की दुरी तय कर सकता है। दुनिया भर में औसतन 40 बार बज्रपात प्रति सेकेण्ड होता है। सबसे उच्चे और नुकिले वस्तु पर बज्रपात होने की सम्भावना अध्कि होती है।जब भी आसमान के बादल गरजे और बज्रपात की सम्भावना हो तो घर मे या आस पास किसी मकान मे सुरक्षित रहना चाहिए। बज्रपात के समय घर के अन्दर भी सावधनी बरतने की आवश्यकता है। इस दौरान हमे पानी के नल, झड़ना या बिजली के उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बज्रपात के दौरान किसी उच्चे पेड़ के निचे कभी भी नहीं रहना चाहिए। इस दौरान तार से जूड़े पफोन, टेलिविजन का उपयोग संकट में डाल सकता है।

बज्रपात के दौरान मोबाइल पफोन, लैपटाप या टैव का उपयोग किया जा सकता है, बर्सते यह उपकरण बिजली से जूड़ा नहीं हो। मनुष्य के शरीर में बिजली के करंट का संचय नहीं होता है, अतः बज्रपात से ग्रसीत व्यक्ति को प्रथम चिकित्सा तुरंत देना चाहिए। इसमे ब्च्त् उपचार कारगर होता है। मनुष्य के शरीर पर बज्रपात का असर दो प्रकार के हो सकता है। पहला- अल्पकालिन जेसे शरीर का जल जाना या झुलस जाना, हदयाघात, कान शुन्य हो जाना। यहां तक कि मौत भी हो सकता है। दूसरा – दीर्घकालिन – जैसे आंख की रौशनी में कमी,
शरीर के किसी अंग में दर्द, अवसाद, व्यक्तित्व में बदलाव। बज्रपात से बचने के लिए मकान के उपर तड़िक चालक का उपयोग करना चाहिए। नई तकनीक के तंड़िक चालक बहुत बड़े क्षेत्रापफल ;107 मीटर रेडियसद्ध में सुरक्षा प्रदान करता है। इसे तड़िक चालक कहते है। एक नई तकनिक के उपकरण से हम यह भी जान सकते है कि कितनी बार बज्रपात हुआ। इस जागरूकता कार्यक्रम में 100 से अध्कि बच्चों ने भाग लिया। स्कूल के शिक्षकगण के अलावा अर्थिंग सोल्युसल्स के संगीता वर्मा, प्रेम कुमार, सुनित कुमार, प्रियंाक वर्मा आदि उपस्थित थे। संगीता वर्मा ने ध्न्यवाद ज्ञापन दिया। दयानन्द स्कूल के प्रिन्सीपल ने इस जागरूकता कार्यक्रम की सराहना की तथा भविष्य में स्कूल के सभी बच्चों के लिए जागरूकता कार्यक्रम करने की पेशकस की।