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Shruti Institue of Performing Arts के सौजन्य से सात दिवसीय कथक कार्यशाला ऋदम शुरू

श्रुति इंस्टीच्यूट ऑफ परफार्मिग आर्ट के सौजन्य से सात दिवसीय कथक कार्यशाला ऋदम शुरू
श्रुति इंस्टीच्यूट ऑफ परफार्मिग आर्ट के सौजन्य से सात दिवसीय कथक कार्यशाला ऋदम शुरू

श्रुति इंस्टीच्यूट ऑफ परफार्मिग आर्ट के सौजन्य से सात दिवसीय कथक कार्यशाला ऋदम शुरू

नयी दिल्ली, 29 जून श्रुति इंस्टीच्यूट ऑफ परफार्मिग आर्ट के सौजन्य से सात दिवसीय कथक कार्यशाला ऋदम* की शुरूआत हो गयी है।
ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) कला-संस्कृति प्रकोष्ठ और श्रुति इंस्टीच्यूट ऑफ परफार्मिग आर्ट के सौजन्य से कथक कार्यशाला * ऋदम* का आयोजन 22 जून को किया गया था।इस कार्यशाला में ऑनलाइन लाइव कक्षा के माध्यम से कई कथक कला प्रेमियों ने सम्मिलित होकर कार्यक्रम को सफल बनाया. था।कई प्रतिभागियों के विशेष अनुरोध पर *ऋदम* की *सात दिवसीय* दूसरी कड़ी की शुरुआत हो गयी है। श्रुति सिन्हा एक मशहूर नृत्यांगना हैं और जीकेसी में कला- संस्कृति प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय कार्यवाहक अघ्यक्ष भी हैं।

श्रुति सिंन्हा ने बताया कि सात दिवसीय कथक वर्कशॉप श्रुति इंस्टिट्यूट ऑफ परफार्मिंग आर्ट्स के द्वारा आयोजित किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि इस सत्र में अस्मिता सिंह,वैष्णवी नेगी,जे़निथ अमर श्रीवास्तव,पीहू पीयूष,अंकिता सिंह,पुज्याश्री बोरा, लक्ष्मी ज्योति बोरा पीहू भारद्वाज,आकांक्षा नाथ, सृष्टि कोंवर,प्रणति प्रणव सिंहा, अभीप्सा एम.फूकन, आरोही शेन्दगे, प्रख्या सिन्हा,प्रशंसा कुमार,अंगिरा बोरुवा नाताशा बौरठाकुर,प्रियदर्शिनी भुयाँ,शुभान्शी पांडे,शुदेसना सरकार, निवेदिता शुक्ला, आनन्दिता शुक्ला, किमाया, आन्या, चन्द्रमिका दास, कनिका रावत कत्थक की शिक्षा ले रहे र्हैं।उन्होंने बताया कि श्रुति इंस्टिट्यूट ऑफ परफार्मिंग आर्ट्स* की तरफ से इस वर्कशॉप के बाद आपको सर्टिफ़िकेट भी मिलेगा।

गौरतलब है कि पंडित मुन्ना लाल शुक्ला (कथक सम्राट प० बिरजू महाराज के भांजे) की शिष्या, दिल्ली कथक केंद्र से प्रशिक्षित एवं अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नृत्यांगना श्रुति सिन्हा (निर्देशिका, सिपा SIPA) कथक की कार्यशाला ले रही हैं। श्रुति सिन्हा बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं, वह तबला, पखावज, गायन,योग के साथ नई दिल्ली दूरदर्शन की ग्रेडेड कलाकार हैं।SIPA बच्चों को कथक सिखाने के साथ गंधर्व महाविद्यालय से डिग्री भी प्रदान करती है। इस कोविड काल के दौरान बच्चों में कथक के द्वारा सकारात्मक सोच एवम प्रोत्साहन और नई ऊर्जा का संचार करती रहती है। कला क्षेत्र में नए प्रयोग करती रहती हैं।