BHOJPURI MEDIA ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18 चिकित्सा के साथ ही सामाजिक सरोकार से भी जुड़ी है डा.शची गुंजन जरा पंख खोलो फिर उड़ान देखना ,ज़रा मौका तो दो फिर आसमान देखना , बराबर की लाइन तो खींचो ज़रा फिर हिम्मत बड़ी या भगवान देखना , जानी मानी ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट डॉ. शची गुंजन आज के दौर में […]
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ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18
चिकित्सा के साथ ही सामाजिक सरोकार से भी जुड़ी है डा.शची गुंजन
जरा पंख खोलो फिर उड़ान देखना ,ज़रा मौका तो दो फिर आसमान देखना ,
बराबर की लाइन तो खींचो ज़रा फिर हिम्मत बड़ी या भगवान देखना ,
बराबर की लाइन तो खींचो ज़रा फिर हिम्मत बड़ी या भगवान देखना ,
जानी मानी ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट डॉ. शची गुंजन आज के दौर में चिकित्सा के क्षेत्र में सूरज की तरह चमक रही हैं। उनकी ज़िन्दगी
संघर्ष,चुनौतियों और कामयाबी का एक ऐसा सफ़रनामा है, जो अदम्य साहस का इतिहास बयां करता है। डा शची गुंजन ने अपने करियर के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर कामयाबी का परचम लहराया।
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस 08 मार्च को जन्मी डा.शची गुंजन के पिता श्री शिवशंकर सिंह और मां इंदु तिवारी घर की लाडली और तीन भाइयों के बीच बड़े लाड़ प्यार से पली बढ़ी अपनी बेटी को चिकित्सक बनाना चाहते थे। शची के नाना अपनी बेटी इंदु तिवारी को चिकित्सक बनाना चाहते थे लेकिन किन्ही वजहों से यह नही हो पाया। जो लोग अपने सपने पूरे नहीं करते ना …..वो दूसरों के सपने पूरे करते हैं। शची की मां चाहती थी कि बेटी शची चिकित्सक बने। इसी को देखते हुये शची ने डॉक्टर बनने का निश्चय कर लिया।
संघर्ष,चुनौतियों और कामयाबी का एक ऐसा सफ़रनामा है, जो अदम्य साहस का इतिहास बयां करता है। डा शची गुंजन ने अपने करियर के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर कामयाबी का परचम लहराया।
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस 08 मार्च को जन्मी डा.शची गुंजन के पिता श्री शिवशंकर सिंह और मां इंदु तिवारी घर की लाडली और तीन भाइयों के बीच बड़े लाड़ प्यार से पली बढ़ी अपनी बेटी को चिकित्सक बनाना चाहते थे। शची के नाना अपनी बेटी इंदु तिवारी को चिकित्सक बनाना चाहते थे लेकिन किन्ही वजहों से यह नही हो पाया। जो लोग अपने सपने पूरे नहीं करते ना …..वो दूसरों के सपने पूरे करते हैं। शची की मां चाहती थी कि बेटी शची चिकित्सक बने। इसी को देखते हुये शची ने डॉक्टर बनने का निश्चय कर लिया।
जिंदगी में कुछ पाना हो तो खुद पर ऐतबार रखना
सोच पक्की और क़दमों में रफ़्तार रखना
कामयाबी मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें
बस खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार रखना।
सोच पक्की और क़दमों में रफ़्तार रखना
कामयाबी मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें
बस खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार रखना।
डा.शची गुंजन ने आईएससी इन जुलोजी की शिक्षा उतीर्ण करने के बाद पास करने के बाद पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल से ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट का साढ़े चार वर्षीय कोर्स पूरा किया। वर्ष 2003 डा. शची गुंजन के जीवन में अहम पड़ाव लेकर आया। डा.शची गुंजन की शादी मशहूर चिकित्सक डा.रमित गुंजन से हो गयी। जहां आम तौर पर युवती की शादी के बाद उसपर कई तरह की बंदिशे लगा दी ती है लेकिन डा.शची के साथ ऐसा नही हुआ। डा.शची के पति के साथ ही मायके और ससुराल पक्ष के लोगों न उन्हें हर कदम सर्पोट किया। कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं। इस बात को साबित कर दिखाया डा.शची गुंजन ने ।
आज बादलों ने फिर साज़िश की
जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की
अगर फलक को जिद है ,बिजलियाँ गिराने की
तो हमें भी ज़िद है ,वहीं पर आशियाँ बनाने की
जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की
अगर फलक को जिद है ,बिजलियाँ गिराने की
तो हमें भी ज़िद है ,वहीं पर आशियाँ बनाने की
डा.शची गुंजन चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाना चाहती थी । वर्ष 2008 में शची गुंजन मशहूर चिकित्सक यू डी तिवारी के सानिध्य में आ गयी और उनके साथ काम करने लगी।वर्ष 2009 में डा.शची ने योग और फिजियोथेरेपी की पढ़ाई भी पूरी की। इस बीच डा.शची ने राम रतन हॉस्पिटल में भी काम किया। वर्ष 2010 में डा.शची गुंजन अपने पति डा रमित गुजन के दिव्य शक्ति आर्थोकेयर
,ट्रामा एंड रिहॉबिलेशन सेंटर से जुडकर काम करने लगी।
,ट्रामा एंड रिहॉबिलेशन सेंटर से जुडकर काम करने लगी।
जुनूँ है ज़हन में तो हौसले तलाश करो
मिसाले-आबे-रवाँ रास्ते तलाश करो
ये इज़्तराब रगों में बहुत ज़रूरी है
उठो सफ़र के नए सिलसिले तलाश करो
मिसाले-आबे-रवाँ रास्ते तलाश करो
ये इज़्तराब रगों में बहुत ज़रूरी है
उठो सफ़र के नए सिलसिले तलाश करो
डा.शची गुंजन चिकित्सा के क्षेत्र में कुछ अलग करना चाहती थी और इसी को देखते हुये उन्होंने अपने पति डा.रमित गुंजन के साथ मिलकर वर्ष 2017 में बिहार के पहले ऑक्युपेशनल थेरेपी सेंटर प्रौडिजी सेंसरी इंटीग्रेशन एंड रिहैब फाउंडेशन फार किड्स की शुरुआत की।डा.शची गुंजन ने बताया कि ऑटिज्मएक ऐसी जन्मजात बीमारी है जिसमें बच्चा समाज और घर के लोगों से जुड़ नहीं पाता और खुद में ही मगन रहता है।वहीं सेरेब्रल पाल्सी मस्तिष्क का एक ऐसा लकवा है जिसमें शरीर और दिमाग का सही और समुचित विकास नहीं हो पाता है। जबकि डाउन सिंड्रोम आनुवंशिक समस्या है जिसमें बच्चे का मानसिक विकास बाधित रहता है।
ऐसे बच्चों के लिए ऑक्युपेशनल थेरेपी काफी कारगर साबित होता है।इन तकलीफों से जूझ रहे बच्चों को ऑक्युपेशनल थेरेपी के माध्यम से प्रशिक्षण देकर उन्हें इतना काबिल बना रही हूँ जिससे कम से कम वे अपना काम कर सके। राज्य में यह पहला ऐसा प्रशिक्षण केंद्र खोला गया है जहां इन बीमारियों से पीड़ित बच्चों को ऑक्यूपेशनल थेरेपी से उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसके लिए पीड़ित बच्चों के अभिभावक को बच्चों लेकर बाहर जाना पड़ता था। इसके अलावा ओरो मोटर की समस्या। इसमें बोलने, भोजन करने में बच्चे को परेशानी होती है। डिस्लेक्सिया, बिहेवियरल प्राब्लम, एकाग्रता, लर्निंग डिसेबिलिटी में ऑक्यूपेशनल थेरेपी की जरूरत होती है। . शची गुंजन ने बताया कि ऑटिज्म के मरीजों की बढ़ती संख्या चिंताजनक हो गई है। आंकड़े बताते हैं कि देश में प्रत्येक 161 बच्चों में एक बच्चा ऑटिज्म से पीड़ित है। समय रहते इसका इलाज शुरू हो जाए तो बच्चे को समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है। इसके लिए साइंटिफिक तरीके से इलाज जरूरी है।
डॉ. शची ने बताया कि हर महीने हमारी संस्था में दिल्ली से भी विशेषज्ञ आकर बच्चों और उनके पेरेंट्स को स्पेशल ट्रेनिंग देंगे।
परिंदो को मिलेगी मंज़िल एक दिन ये फैले हुए उनके पर बोलते है और वही लोग रहते है खामोश अक्सर जमाने में जिनके हुनर बोलते है को चरितार्थ करती डा.शची गुंजन चिकित्सा के साथ ही नारी सशक्तीकरण और सामाजिक कार्यो में भी बढ़ चढ़कर योगदान देती है। शची गुंजन का मानना है कि वक्त का पहिया घूम चुका है। नारी शक्ति के रूप में एक सशक्त क्रांति दस्तक दे रही है। शुरुआत जरूर मंथर गति से हुई पर वह बहुत मजबूती से पांव जमा रही है। हर अग्नि परीक्षा से वह कुंदन बनकर निखर रही है। चाहे सीमाओं की निगहबानी हो, सागर के लहरों पर रोमांच हो या फिर ब्रह्मांड के रहस्यों का उद्घाटन, हर जगह वह अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रही है।डा. शची गुंजन को
उनके किये गये सामाजिक कार्यो के लिये ऑबीकियोन 2017 , फिजियोकॉन 2018 , सामायिक परिवेश , कुमुदनी एजुकेशनल ट्रस्ट , आशादीप , दिव्यांग बच्चों के लिये काम करने के लिये अम्बेडकर सेल बिहार , सीसीएल 02 समेत कई कार्यक्रमों में सम्मानित किया जा चुका है।
परिंदो को मिलेगी मंज़िल एक दिन ये फैले हुए उनके पर बोलते है और वही लोग रहते है खामोश अक्सर जमाने में जिनके हुनर बोलते है को चरितार्थ करती डा.शची गुंजन चिकित्सा के साथ ही नारी सशक्तीकरण और सामाजिक कार्यो में भी बढ़ चढ़कर योगदान देती है। शची गुंजन का मानना है कि वक्त का पहिया घूम चुका है। नारी शक्ति के रूप में एक सशक्त क्रांति दस्तक दे रही है। शुरुआत जरूर मंथर गति से हुई पर वह बहुत मजबूती से पांव जमा रही है। हर अग्नि परीक्षा से वह कुंदन बनकर निखर रही है। चाहे सीमाओं की निगहबानी हो, सागर के लहरों पर रोमांच हो या फिर ब्रह्मांड के रहस्यों का उद्घाटन, हर जगह वह अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रही है।डा. शची गुंजन को
उनके किये गये सामाजिक कार्यो के लिये ऑबीकियोन 2017 , फिजियोकॉन 2018 , सामायिक परिवेश , कुमुदनी एजुकेशनल ट्रस्ट , आशादीप , दिव्यांग बच्चों के लिये काम करने के लिये अम्बेडकर सेल बिहार , सीसीएल 02 समेत कई कार्यक्रमों में सम्मानित किया जा चुका है।
डा.शची गुंजन ने बताया कि संगीत से उन्हें बेहद प्यार है। समय मिलने पर वह बेगम अख्तर और जगजीत सिंह के गाये गानों को सुनना पसंद करती है। शची गंजन को पार्श्वगायन में भी रूचि है। डा.शची गुंजन ने कहा कि संगीत सभी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हमें खाली समय में व्यस्त रखता है और हमारे जीवन को शान्तिपूर्ण बनाता है।कई रोगों में जहाँ दवा काम नहीं करती वहाँ संगीत अपना जादुई असर दिखाता हैं। क्योंकि संगीत इंसान में जीने की भावना को जन्म देता हैं। शायद ही ऐसा कोई इन्सान हो जिसे संगीत से प्यार ना हो | हमारे सभी के जीवन में संगीत का महत्व हैं. जब अकेला महसूस हो तब संगीत सुन लेते हैं, जब मन दुखी हो तब संगीत सुन लेते हैं, जब किसी की याद आती है तब संगीत सुन लेते हैं पता नही क्यों लेकिन संगीत सुनने से हमारे अंदर एक ग़ज़ब का हौंसला पैदा हो जाता हैं।
डा.शची गुजन आज चिकित्सा के क्षेत्र में कामयाबी की बुलंदियों पर है। डा.शची गुंजन के के सपनें यूं ही नही पूरे हुये हैं यह उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है। डा.शची गुंजन का मानना है कि
मत घबराना जिंदगी में परेशानियों की पतझड़ से
मेहनत की बसंत खुशियों की बहार जरूर लाएगी,
खून पसीने से सींचना अपनी कोशिशों को
इन कोशिशों के बल पर ही कामयाबी आएगी।
मेहनत की बसंत खुशियों की बहार जरूर लाएगी,
खून पसीने से सींचना अपनी कोशिशों को
इन कोशिशों के बल पर ही कामयाबी आएगी।
डा.शची गुंजन ने बताया कि वह अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय अपने पति और ससुराल पक्ष और अपने मायके वालों को देती है जिन्होंने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया है।डा.शची अपने पति को रियल हीरो मानती है उन्हें याद कर गुनगुनाती है।एक तेरा साथ हम को दो जहां से प्यारा है तू है तो हर सहारा है ना मिले संसार, तेरा प्यार तो हमारा है तू है तो हर सहारा है।
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