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एक्टर बनना सबके बस की बात नहीं हैः निशांत कुमार

एक्टर बनना सबके बस की बात नहीं हैः निशांत कुमार मुंबई. निशांत कुमार अपकमिंग फिल्म ‘यह है जजमेंट हैंग्ड टिल डेथ’ के जरिए बॉलीवुड में डेब्यू करने जा रहे हैं। याकूब मेनन की लाइफ से इंस्पायर इस फिल्म में अपने कैरेक्टर को वह बेहद चैलेंजिंग बता रहे हैं। वह बॉलीवुड में अपनी अलग छाप छोड़ना […]
एक्टर बनना सबके बस की बात नहीं हैः निशांत कुमार

मुंबई. निशांत कुमार अपकमिंग फिल्म ‘यह है जजमेंट हैंग्ड टिल डेथ’ के जरिए बॉलीवुड में डेब्यू करने जा रहे हैं। याकूब मेनन की लाइफ से इंस्पायर इस फिल्म में अपने कैरेक्टर को वह बेहद चैलेंजिंग बता रहे हैं। वह बॉलीवुड में अपनी अलग छाप छोड़ना चाहते हैं। फिल्म और कैरेक्टर से जुड़े सवाल निशांत कुमार से।
Nishant kumar actor (3)
बॉलीवुड में ऑफ बीट फिल्मों के जरिए डेब्यू करने का चांस बहुत कम एक्टर्स को ही मिलता है। हालांकि ऐसी फिल्मों में काम करना चैलेंजिंग होता है लेकिन इसमें उन्हें अपने एक्टिंग टैलेंट को दिखाने का भरपूर मौका मिलता है। कुछ ऐसी ही सोच और हीरो के बजाय एक्टर के रूप में अपनी छाप छोड़ने की ख्वाहिश लेकर निशांत कुमार ‘यह है जजमेंट हैंग्ड टिल डेथ’से बॉलीवुड में डेब्यू करने को तैयार हैं। याकूब मेमन की लाइफ से इंस्पायर इस फिल्म में निशांत लीड रोल में हैं। फिल्म से जुड़ी बातचीत निशांत कुमार से।
आप थोड़ा अपने बारे में बताएं?
मैं बिहार की राजधानी पटना से हूं। बचपन से ही फिल्मों का शौक रहा है। मेरे पिता जी प्रमोद शर्मा पिछले 25 वर्षों से पटना में ही हिंदी फिल्मों के डिस्ट्रिब्यूटर रहे हैं। पटना से ही मैंने पढ़ाई की। बाद में यूपी के नोएडा से मैंने मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन किया। फिर एक साल का डिप्लोमा कोर्स सिनेमा में किया। उसी दौरान मेरे भीतर एक्टिंग का जुनून सवार हो गया। कुछ वर्ष दिल्ली में थिएटर से जुड़ा रहा।
यह फिल्म आपको कैसे मिली?
दरअसल, एक्टिंग के जुनून के चलते मैंने 2011 में मायानगरी मुंबई का रुख किया। यहां मैंने अनुपम खेर के एक्टिंग इंस्टिट्यूट से एक्टिंग की बारीकियां सीखीं। उसके बाद मैंने ऑडिशन देना शुरू किया। प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टर्स से मिलने लगा। कई लोगों से मुलाकात हुई, लेकिन काम नहीं मिल रहा था। कई बार निराशा भी घेर लेती थी, लेकिन हौसला नहीं छोड़ा। फिर एक ऑडिशन के दौरान ही डायरेक्टर मन कुमार से मुलाकात हुई और उन्होंने मुझे यह फिल्म ऑफर कर दी।
Nishant kumar actor (2)
‘यह है जजमेंट हैंग्ड टिल डेथ’ किस तरह की फिल्म है?
यह पूरी तरह से एक फिक्शनल स्टोरी है, लेकिन डायरेक्टर-राइटर मन कुमार ने याकूब मेमन की लाइफ से इंस्पायर होकर इसकी स्क्रिप्ट लिखी है। मैं यह नहीं कह सकता कि यह फिल्म याकूब मेमन की बायोपिक है, जिसे 1993 के मुंबई ब्लास्ट केस में फंसी दे दी गई थी।
फिल्म में क्या आप के कैरेक्टर का नाम भी याकूब ही है?
नहीं। जैसा मैंने कहा कि यह एक फिक्शनल कैरेक्टर है। फिल्म में मेरे कैरेक्टर का नाम अशरफ है। मुझे फिल्म के डायरेक्टर ने इसका नैरेशन बखूबी दिया था। फिर स्क्रिप्ट इतनी गहराई से लिखी हुई थी कि मुझे कैरेक्टर समझने और उसे पेश करने में बड़ी आसानी रही।
Hanged Till Death nishant kumar 2
अपने कैरेक्टर के लिए आपको किस तरह की तैयारियां करनी पड़ीं?
मैंने याकूब मेमन पर काफी रिसर्च की। गूगल से मुझे याकूब के बारे में काफी जानकारी मिली। यू-ट्यूब पर उसके कुछ वीडियोज देखे। उसकी बॉडी लैंग्वेज और बातचीत करने के तरीके को सही से समझा। फिर कुछ दिनों तक मैंने इसकी खूब प्रैक्टिस भी की। फिल्म में अशरफ की पूरी लाइफ जर्नी दिखाई गई है। उसकी कॉलेज लाइफ से लेकर जेल जाने तक और फिर फांसी होने तक के सफर को कैप्चर किया है। पहले मैं कॉलेज ब्वॉय बना हूं, इसके बाद बिजनेसमैन के रूप में नजर आऊंगा, फिर मैं कैदी के रूप में दिखाई दूंगा। कुल मिलाकर मेरे लिए डेब्यू फिल्म और मेरा कैरेक्टर बेहद चैलेंजिंग रहे। मैं अपने डायरेक्टर का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा कि उन्होंने मुझे ऐसा टफ कैरेक्टर प्ले करने में मेरी बेहद मदद की।
Hanged Till Death
फिल्म में आपके को-स्टार्स कौन हैं?
फिल्म में नीतू वाधवा मेरी को-स्टार हैं। उन्होंने मेरी वाइफ रुखसार का कैरेक्टर प्ले किया है। इसके अलावा फिल्म में अमित सिंह, अमरजीत शाह, दीपक आनंद, करण अहुजा, गुलशन तुशीर, प्राजक्ता शिंदे और प्रकाश कुकड़े भी हैं।
बॉलीवुड में खुद के लिए क्या पॉसिबिलिटीज देखते हैं? 
मैं बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान कायम करना चाहता हूं। मेरा मानना है कि हीरो तो कोई भी बन सकता है, लेकिन एक्टर बनना सबके बस की बात नहीं है। मैं बतौर एक्टर बेहतरीन छाप छोड़ना चाहता हूं। सिल्वर स्क्रीन पर हीरो तो कुछ लम्हो के लिए ही नजर आता है, लेकिन एक्टर को दर्शक लंबे अरसे तक याद रखते हैं। मैं ऐसी फिल्में और ऐसे ही कैरेक्टर प्ले करना चाहूंगा, जिन्हें लोग वर्षों याद रखें।

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Ankit Piyush

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