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बिहार में प्राइवेट स्कूल चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसियेशन के संयुक्त सचिव बने चिरंतन कुमार

बिहार में प्राइवेट स्कूल चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसियेशन के संयुक्त सचिव बने चिरंतन कुमार अपने मनोबल को इतना सशक्त कर, कठिनाई भी आने से न जाए डर। आत्मविश्वास रहे तेरा हमसफर, बड़े-बड़े कष्ट न डाल पाएं कोई असर।।  हौसला अपना बुलंद कर लो,साहस व हिम्मत को संग कर लो। निर्भय होकर आत्मविश्वास से बढ़ो, संयम व धैर्य […]
बिहार में प्राइवेट स्कूल चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसियेशन के संयुक्त सचिव बने चिरंतन कुमार
अपने मनोबल को इतना सशक्त कर, कठिनाई भी आने से न जाए डर। आत्मविश्वास रहे तेरा हमसफर, बड़े-बड़े कष्ट न डाल पाएं कोई असर।।
 हौसला अपना बुलंद कर लो,साहस व हिम्मत को संग कर लो।
निर्भय होकर आत्मविश्वास से बढ़ो, संयम व धैर्य से सफलता की सीढ़ी चढ़ो।
हार न मानने का जज्बा तुम्हें उठाएगा, तुम्हारा अडिग हौसला तुम्हें बढ़ाएगा।
आखिरकार देखना तुम्हारे आगे, धरती हिल जाएगी, आसमां झुक जाएगा।
        बिहार के आइरॉन मैन के नाम से मशहूर और सबके दिलो की धड़कन चिरतंन कुमार सिर्फ़ सामाजिक क्षेत्र में धूमकूतु की तरह छाये हुये हैं , बल्कि फैशन की दुनिया के क्षितिज पर भी सूरज की तरह चमके। उनकी ज़िन्दगी संघर्ष, चुनौतियों और कामयाबी का एक ऐसा सफ़रनामा है, जो अदम्य साहस का इतिहास बयां करता है। अपने कार्यकाल में उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर कामयाबी का परचम लहराया। चिरंतन कुमार को उनके कर्मठता को देखते हुये चिल्ड्रेन वेलफेयर ऐशोसियेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष् श्री सैय्यद शमाइल अहमद के द्वारा बिहार में प्राइवेट स्कूल चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसियेशन का संयुक्त सचिव बनाया गया है। चिरंतन कुमार का कहना है कि
        कभी गम, तो कभी खुशी है ज़िन्दगी कभी धूप, तो कभी छाँव है ज़िन्दगी . . . . . . .
        विधाता ने जो दिया, वो अद्भुत उपहार है ज़िन्दगी
        कुदरत ने जो धरती पर बिखेरा वो प्यार है ज़िन्दगी .
        अगर जिन्दगी है तो ख्वाब है,ख्वाब है तो मंजिलें हैं,मंजिलें हैं तो रास्ते हैं,
       रास्ते हैं तो मुश्किलें हैं,मुश्किलें हैं तो हौसले हैं, हौसले हैं तो विश्वास है, कि जीत हमारी है |
चिरंतन कुमार इन दिनों मनीषा दयाल के साथ मिलकर बिहार की पावन धरती पर सीसीएल 2 का आयोजन कर रहें हैं जो अबतक तक बिहार का सबसे बड़ा एवेंट माना जा रहा है।श्री चिरंतन कुमार ने बताया कि बिहार में सीसीएल 2 जैसे बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया जाने से बिहार की अलग पहचान बनेगी। सीसीएल 2  की परिकल्पना Say NO to DRUGS  और  Say NO to DOWRY और स्वच्छ भारत निर्माण को ध्यान में रखकर की गयी है।
        बिहार की राजधानी पटना में वर्ष 1984 जन्में चिरंतन कुमार के पिता श्री प्रेन नाथ दास इंडियन एम्बैसी सउदी अरबिया में कार्यरत थे और पुत्र को भी उच्चअधिकारी बनाने का सपना देखा करते थे। वर्ष 1999 में मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद आंखो में बड़े सपने लिये चिरंतन कुमार दिल्ली चले गये जहां उन्होंने एमबीए फायनांस की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होने आइसीआईसीआई होमलोन में बतौर मार्केटिंग हेड वर्ष 2006 से वर्ष 2008 तक काम किया। चिरंतन कुमार यदि चाहते तो वह दिल्ली में रहते हुये गुजर बसर कर सकते थे लेकिन वह अपनी जन्म भूमि को कर्मभूमि मानते हुये बिहार के लिये कुछ कर गुजरना चाहते थे। चिरंतन कुमार वर्ष
2009 में पटना आ गये।
        वर्ष 2009 में चिरंतन कुमार अपने पिता के स्कूल एवीएन से जुड़ गये और प्रबंधक के तौर पर काम करने लगे और अपनी मेहनत और लगन से स्कूल का नाम राजधानी पटना के मशहूर स्कूलों में दर्ज करा दिया। चिरंतन कुमार सामाजिक सरोकार से जुड़े व्यक्ति है और इसी को देखते हुये वह महिला सशक्तीकरण , वृद्ध आश्रम , बच्चों की शिक्षा ,झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली महिला-बच्चों की मुफ्त चिकित्सा समेत कई सामाजिक काम करने वाली अनुमाया ह्यूमन रिसोर्स फाउंडेशन (एचआरएफ)  से जुड़ गये और सचिव के तौर पर काम करने लगे।
        कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों   । चिरंतन कुमार फैशन की दुनिया में भी बिहार को वैश्विक मंच पर ले जाने का सपना देखा करते थे और इसी को देखते हुये उन्होंने बिहार में पहली बार बड़े पैमाने पर मिस्टर एंड मिस बिहार का आयोजन किया जो फैशन की दुनिया में बिहार के लिये नयी कांति थी। यह शो न सिर्फ सुपरडुपर हिट हुआ बल्कि लोगों के लिये प्रेरणाश्रोत भी बना। हम अकेले ही चले थे जानिब-ए-मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया।
        लक्ष्य न ओजल होने पाये,कदम मिलाकर चल मंजिल तेरे पग चूमेगी,आज नहीं तो कल ।चिरंतन कुमार पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी काम करना चाहते थे और इसी को देखते हुये उन्होंने वर्ष 2016 में कॉरपोरेट क्रिकेट लीग का आयोजन किया जिसे अभूतपूर्व सफलता मिली। चिरंतन कुमार आज भी उसी जोशो खरोश के साथ बिहार को वैश्विक मंच पर ले जाने का सपना संजाये हुये है और उन्हें
काफी हद तक कामयाबी भी मिली है। चिरंतन कुमार का कहना है कि  हर घड़ी, हर पहर, हर दिन, हर पल दर्द में, खुशी में, नींद में, ख्वाब में कश्मकश हैं कई, हल है कहीं नहीं चल रहा हूँ मैं, मगर दौड़ है जिदंगी। दोस्ती, दुश्मनी, रिश्तों की है ना कमी अपनों में ही खुद को तलाशती जिदंगी इस शहर से उस शहर, इस डगर से उस डगर थक जाता हूँ मैं, मगर थकती नहीं है जिदंगी। बने चिरंतन कुमार  अपने मनोबल को इतना सशक्त कर, कठिनाई भी आने से न जाए डर। आत्मविश्वास रहे तेरा हमसफर, बड़े-बड़े कष्ट न डाल पाएं कोई असर।।
 हौसला अपना बुलंद कर लो,साहस व हिम्मत को संग कर लो। निर्भय होकर आत्मविश्वास से बढ़ो, संयम व धैर्य से सफलता की सीढ़ी चढ़ो। हार न मानने का जज्बा तुम्हें उठाएगा, तुम्हारा अडिग हौसला तुम्हें बढ़ाएगा। आखिरकार देखना तुम्हारे आगे, धरती हिल जाएगी, आसमां झुक जाएगा।

        बिहार के आइरॉन मैन के नाम से मशहूर और सबके दिलो की धड़कन चिरतंन कुमार सिर्फ़ सामाजिक क्षेत्र में धूमकूतु की तरह छाये हुये हैं , बल्कि फैशन की दुनिया के क्षितिज पर भी सूरज की तरह चमके। उनकी ज़िन्दगी संघर्ष, चुनौतियों और कामयाबी का एक ऐसा सफ़रनामा है, जो अदम्य साहस का इतिहास बयां करता है। अपने कार्यकाल में उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर कामयाबी का परचम लहराया। चिरंतन कुमार को उनके कर्मठता को देखते हुये चिल्ड्रेन वेलफेयर ऐशोसियेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष् श्री सैय्यद शमाइल अहमद के द्वारा बिहार में प्राइवेट स्कूल चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसियेशन का संयुक्त सचिव बनाया गया है। चिरंतन कुमार
का कहना है कि
        कभी गम, तो कभी खुशी है ज़िन्दगी कभी धूप, तो कभी छाँव है ज़िन्दगी . . . . . . .
        विधाता ने जो दिया, वो अद्भुत उपहार है ज़िन्दगी
        कुदरत ने जो धरती पर बिखेरा वो प्यार है ज़िन्दगी .
        अगर जिन्दगी है तो ख्वाब है,ख्वाब है तो मंजिलें हैं,मंजिलें हैं तो रास्ते हैं,
        रास्ते हैं तो मुश्किलें हैं,मुश्किलें हैं तो हौसले हैं, हौसले हैं तो विश्वास है, कि जीत हमारी है |
चिरंतन कुमार इन दिनों मनीषा दयाल के साथ मिलकर बिहार की पावन धरती पर सीसीएल 2 का आयोजन कर रहें हैं जो अबतक तक बिहार का सबसे बड़ा एवेंट माना जा रहा है।श्री चिरंतन कुमार ने बताया कि बिहार में सीसीएल 2 जैसे बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया जाने से बिहार की अलग पहचान बनेगी। सीसीएल 2  की परिकल्पना Say NO to DRUGS  और  Say NO to DOWRY और स्वच्छ भारत निर्माण को ध्यान में रखकर की गयी है।
        बिहार की राजधानी पटना में वर्ष 1984 जन्में चिरंतन कुमार के पिता श्री प्रेन नाथ दास इंडियन एम्बैसी सउदी अरबिया में कार्यरत थे और पुत्र को भी उच्चअधिकारी बनाने का सपना देखा करते थे। वर्ष 1999 में मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद आंखो में बड़े सपने लिये चिरंतन कुमार दिल्ली चले गये जहां उन्होंने एमबीए फायनांस की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होने आइसीआईसीआई होमलोन में बतौर मार्केटिंग हेड वर्ष 2006 से वर्ष 2008 तक काम किया। चिरंतन कुमार यदि चाहते तो वह दिल्ली में रहते हुये गुजर बसर
कर सकते थे लेकिन वह अपनी जन्म भूमि को कर्मभूमि मानते हुये बिहार के लिये कुछ कर गुजरना चाहते थे। चिरंतन कुमार वर्ष
2009 में पटना आ गये।
        वर्ष 2009 में चिरंतन कुमार अपने पिता के स्कूल एवीएन से जुड़ गये और प्रबंधक के तौर पर काम करने लगे और अपनी मेहनत और लगन से स्कूल का नाम राजधानी पटना के मशहूर स्कूलों में दर्ज करा दिया। चिरंतन कुमार सामाजिक सरोकार से जुड़े व्यक्ति है और इसी को देखते हुये वह महिला सशक्तीकरण , वृद्ध आश्रम , बच्चों की शिक्षा , झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली महिला-बच्चों की मुफ्त चिकित्सा समेत कई सामाजिक काम करने वाली अनुमाया ह्यूमन रिसोर्स फाउंडेशन (एचआरएफ)  से जुड़ गये और सचिव के तौर पर काम करने लगे।
        कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों   । चिरंतन कुमार फैशन की दुनिया में भी बिहार को वैश्विक मंच पर ले जाने का सपना देखा करते थे और इसी को देखते हुये उन्होंने बिहार में पहली बार बड़े पैमाने पर मिस्टर एंड मिस बिहार का आयोजन किया जो फैशन की दुनिया में बिहार के लिये नयी कांति थी। यह शो न सिर्फ सुपरडुपर हिट हुआ बल्कि लोगों के लिये प्रेरणाश्रोत भी बना। हम अकेले ही चले थे जानिब-ए-मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया।
        लक्ष्य न ओजल होने पाये,कदम मिलाकर चल मंजिल तेरे पग चूमेगी,आज नहीं तो कल ।चिरंतन कुमार पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी काम करना चाहते थे और इसी को देखते हुये उन्होंने वर्ष 2016 में कॉरपोरेट क्रिकेट लीग का आयोजन किया जिसे अभूतपूर्व सफलता मिली। चिरंतन कुमार आज भी उसी जोशो खरोश के साथ बिहार को वैश्विक मंच पर ले जाने का सपना संजाये हुये है और उन्हें
काफी हद तक कामयाबी भी मिली है। चिरंतन कुमार का कहना है कि  हर घड़ी, हर पहर, हर दिन, हर पल दर्द में, खुशी में, नींद में, ख्वाब में कश्मकश हैं कई, हल है कहीं नहीं चल रहा हूँ मैं, मगर दौड़ है जिदंगी। दोस्ती, दुश्मनी, रिश्तों की है ना कमी अपनों में ही खुद को तलाशती जिदंगी इस शहर से उस शहर, इस डगर से उस डगर थक जाता हूँ मैं, मगर थकती नहीं है जिदंगी।