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शिक्षा के साथ ही कला के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान बनायी किरणदीप श्रीवास्तव ने

शिक्षा के साथ ही कला के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान बनायी किरणदीप श्रीवास्तव ने     खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,    जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है,    लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ,    जितनी गहराई अन्दर […]

शिक्षा के साथ ही कला के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान बनायी किरणदीप श्रीवास्तव ने


    खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,
    जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है,
    लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ,
    जितनी गहराई अन्दर है, बाहर उतना तूफ़ान बाकी है…


        अपनी हिम्मत और लगन के बदौलत किरणदीप श्रीवास्तव आज शिक्षा के क्षेत्र के साथ ही कला के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने में कामयाब  हुयी हैं लेकिन इन कामयाबियों को पाने के लिये उन्हें अथक परिश्रम का सामना भी करना पड़ा है। किरणदीप का मानना है


    परेशानियों से भागना आसान होता है
    हर मुश्किल ज़िन्दगी में एक इम्तिहान होता है
    हिम्मत हारने वाले को कुछ नहीं मिलता ज़िंदगी में
    और मुश्किलों से लड़ने वाले के क़दमों में ही तो जहाँ होता है


बिहार में पटना जिले के विक्रम में जन्मी किरणदीप  श्रीवास्तव के पिता स्वर्गीय विनय कुमार श्रीवास्तव और मां श्रीमती अमृत कौर ने घर की लाडली बड़ी बेटी किरणदीप को अपनी राह खुद चुनने की आजादी दे रखी थी। बचपन के दिनों से ही किरणदीप श्रीवास्तव की रूचि संगीत की ओर थी और वह इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाना चाहती थी।जब वह महज चार वर्ष की थी तब उन्होंने
पंडित मृदुल से करीब चार वर्षो तक डांस की शिक्षा हासिल की। वर्ष 1987 में पंडित किशोर और पंडित गंगा दयाल पांडेय से वह नृत्य और शास्त्रीय संगीत की शिक्षा हासिल करने लगी।


        वर्ष 1994 में किरणदीप श्रीवास्तव को मिस पटना कॉलेज बनने का अवसर मिला। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद किरणदीप श्रीवास्तव शादी के अटूट बंधन में बंध गयी। उनके पति श्री दीपक श्रीवास्तव ने उन्हें हर कदम सर्पोट करते हैं। जहां आम तौर पर युवती की शादी के बाद उसपर कई तरह की बंदिशे लगा दी जाती है लेकिन किरणदीप श्रीवास्तव के साथ ऐसा नही हुआ। किरणदीप के पति के साथ ही ससुराल पक्ष के लोगों उन्हें हर कदम सर्पोट किया।  कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं। इस बात को साबित कर दिखाया है किरणदीप श्रीवास्तव ने।


        जिंदगी में कुछ पाना हो तो खुद पर ऐतबार रखना
        सोच पक्की और क़दमों में रफ़्तार रखना
        कामयाबी मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें
        बस खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार रखना।


        किरणदीप श्रीवास्तव यदि चाहती तो विवाह के बंधन में बंधने के बाद
एक आम नारी की तरह जीवन गुजर बसर कर सकती थी लेकिन वह खुद की पहचान बनाना चाहती थी। किरणदीप हालांकि इंटरमीडियट की पढ़ाई करने के बाद से ही स्कूल में शिक्षिका के तौर पर काम करती थी और उन्होंने शादी के बाद भी अपने इस प्रोफेशन को कायम रखा। किरणदीप का का कहना है कि समाज के विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है इसलिए जरूरी है कि समाज के सभी लोग शिक्षित हो। शिक्षा ही विकास का आधार है। समाज के लोग ध्यान रखें कि वह अपने बेटों ही नहीं बल्कि बेटियों को भी बराबर शिक्षा दिलवाएं।वर्तमान
परिप्रेक्ष्य में शिक्षा की महत्ता सर्वविदित है. स्पष्ट है कि सामाजिक सरोकार से ही समाज की दशा व दिशा बदल सकती है। किरणदीप ने बाल्डविन एकेदमी लिटरावैली ,सैफफोर्ड समेत कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में बतौर शिक्षिका काम किया।


        जुनूँ है ज़हन में तो हौसले तलाश करो
        मिसाले-आबे-रवाँ रास्ते तलाश करो
        ये इज़्तराब रगों में बहुत ज़रूरी है
        उठो सफ़र के नए सिलसिले तलाश करो


किरणदीप श्रीवास्तव बिहार की प्रतिभाओं को भी आगे लाना चाहती थी। किरणदीप
श्रीवास्तव का मानना है कि बिहार में प्रतिभाओं की कमी नही। यदि उन्हें उचित अवसर मिले तो वह न सिर्फ अपना बल्कि बिहार का नाम भी रौशन कर सकते हैं। इसी को देखते हुये किरणदीप श्रीवास्तव ने राजधानी पटना में वर्ष 2014 में न्यू संगीत अकादमी की स्थापना की। अकादमी में डांस , संगीत, अभिनय ,मार्शल आर्ट की शिक्षा दी जाती है। किरणदीप श्रीवास्तव की प्रतिभा
को देखते ही उन्हें स्कूल और कॉलेज के अलावा कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बतौर जज आमंत्रित किया गया है। किरणदीप आज शिक्षा के साथ ही कला के क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुकी है। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता,गुरू, पति के साथ ही अपने पुत्र अंकित दीप श्रीवास्तव और पुत्री अंतरा दीप श्रीवास्तव को भी देती हैं जिन्होंने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया।


        किरणदीप श्रीवास्तव अपनी सफलता का मूल मंत्र इन पंक्तियों में समेटे हुये हैं।


        जब टूटने लगे हौंसले तो बस ये याद रखना,
        बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते,
        ढूंड लेना अंधेरों में मंजिल अपनी,
        जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते।




 

About the author

Ankit Piyush

Ankit Piyush is the Editor in Chief at BhojpuriMedia. Ankit Piyush loves to Read Book and He also loves to do Social Works. You can Follow him on facebook @ankit.piyush18 or follow him on instagram @ankitpiyush.