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ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18
डासिंग के साथ ही इवेंट के क्षेत्र में भी खास पहचान बना चुके हैं उज्जवल कुमार
खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,
जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है,
लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ,
जितनी गहराई अन्दर है, बाहर उतना तूफ़ान बाकी है…
उज्जवल कुमार ने डासिंग के साथ ही इवेंट के क्षेत्र में भी अपनी
खास पहचान बना ली है लेकिन उन्हें इस कामयाबी को पाने के लिये अथक परिश्रम का सामना भी करना पड़ा है। बिहार की राजधानी पटना में जन्में उज्जवल कुमार के पिता श्री राजेन्द्र प्रसाद और मां श्रीमती आरती देवी बेटे को उच्चअधिकारी के तौर पर देखना चाहते थे। बचपन के दिनो से ही उज्जवल की रूचि डांस की तरफ थी और प्रभुदेवा से प्रभावित होने की वजह से वह डांसर-कोरियोग्राफर के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहते थे। उज्जवल स्कूल में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में परफार्म किया करते जिसके लिये उन्हें काफी सराहना मिला करती थी।
बंदे है हम उसके हम पर किसका जोर | उम्मीदो के सूरज, निकले चारो और ||
इरादे है फौलादी, हिम्मती है कदम ||| अपने हाथो किस्मत लिखने आज चले है हम।
वर्ष 1997 में उज्जवल कुमार ने स्वर्गीय अविनाश कुमार और संजय सावन से डांस सीखा। इसके बाद बतौर डांसर उज्जवल ने राजधानी पटना समेत कई शहरो में होने वाले कार्यक्रमों में शिरकत की जिसके लिये उन्हें काफी सराहना मिली। वर्ष 2000 आते आते उज्जवल ने डासं के क्षेत्र में अपनी पहचान बना ली। उज्जवल कुमार को भोजपुरी फिल्म अलबम में बतौर डांसर काम करने के अवसर मिलने लगे। उज्जवल ने एक के बाद करीब 25 अलबमों में बतौर डांसर काम किया।
उसे गुमाँ है कि मेरी उड़ान कुछ कम है
मुझे यक़ीं है कि ये आसमान कुछ कम है
वर्ष 2005 में उज्जवल कुमार ने अपने मित्र अमन कश्यप के सथ मिलकर यूए डांस एकेडमी की स्थापना की।उज्जवल कुमार ने हाल ही में यूए डांस अकादमी का तीसरा सिपारा मुहल्ला में खोला है। उन्होंने बताया कि गरीब परिवार के बच्चे जिनमें टैलेंट तो है लेकिन पैसे नही होने की वजह से डांस नही सीख पाते है उन्हें मुफ्त में ट्रेनिंग दी जायेगी। उज्जवल ने बताया कि वह अपने डांस इंस्टीच्यूट से 300 से अधिक बच्चों को मुफ्त ट्रेनिंग दे चुके हैं।
बेहतर से बेहतर कि तलाश करो मिल जाये नदी तो समंदर कि तलाश करो
टूट जाता है शीशा पत्थर कि चोट से टूट जाये पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो
वर्ष 2006 से उज्जवल कुमार ने भोजपुरी अलबम की कोरियोग्राफी भी शुरू कर दी जिससे उनकी अलग पहचान बनायी। इस बीच उज्जवल ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। वर्ष 2011 में उज्जवल ने बीबीए की पढ़ाई पूरी की।
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वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँ
हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है
इसके बाद उज्जवल ने इवेंट के क्षेत्र में कदम रख दिया। उज्जवल ने संजीव रंजन के साथ मिलकर रेड रत्ती कंपनी की स्थापना की और मिस्टर एंड मिस हरियाणा ,मिस्टर एंड मिस पटना सीजन 01-03 समेत कई शो का सफल संचालन किया।
परिंदो को मिलेगी मंज़िल एक दिन
ये फैले हुए उनके पर बोलते है
और वही लोग रहते है खामोश अक्सर
ज़माने में जिनके हुनर बोलते है
उज्जवल की फैशन और मॉडलिंग के प्रति समझ को देखते हुये उन्हें कई शो में शो स्टॉपर और जज बनने का अवसर मिला है। उज्जवल आज डासिंग और इवेंट के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब हुये हैं। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता के साथ ही अपने बड़े भाई दीपक कुमार को भी देते है जिन्हें हर कदम उन्हें सपोर्ट किया है। उज्जवल ने बताया कि शुरूआती दौर में घर वाले उनके डासर बनने के खिलाफ थे। ऐसे में उनके बड़े भाई दीपक कुमार ने उन्हें काफी सपोर्ट किया , इतना ही नही वह अपनी पॉकेट मनी भी उन्हें दे दिया करते थे। वह आज जो कुछ हैं उनमें उनके भाई का गहरा योगदान है।
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