संबंध ही भगवत भक्ति का मूल है : रामभद्राचार्य जी महाराज
मन भूल मत जइयो सीतारानी के चरण….
मुजफ्फरपुर/बंदरा : भगवान उद्धार और संत सुधार करते है। संबंध ही भगवत भक्ति का मूल है। परम पिता परमेश्वर का नाम ही राम है। राम शब्द का अर्थ परम् ब्रह्म है। कालिदास ने भी कहा हरि का कोई अगर नाम है वो राम ही है। वेद ने और कवियों ने भी इस बात को माना। जब राम जी के लक्षण की बात आई तो वाल्मीकि ने नारद जी से पूछा कि कैसे जाने की यही रामजी है। तब नारद जी ने कहा कि जिनके नेत्र लाल कमल के समान,राजीव लोचन हो वही राम है। भगवत गुण दर्पण में कहा गया कि जिसमें 5 वीरता त्याग वीर, दया वीर, विद्या वीर, पराक्रम वीर, धर्म वीर हो वही उस कुल का वीर होता है। विश्वामित्र प्रभु को रघुवीर कह रहे है। प्रभु आप त्याग वीर है, ऐसा कोई त्याग नही कर सकता। आपको दान शिरोमनी कहा जाता है। उक्त बातें पद्मविभूषण जगतगुरु श्रीरामभद्राचार्य जी महाराज,(चित्रकूट धाम) ने मतलुपुर बाबा खगेश्वरनाथ मंदिर प्रांगण में चल रहे श्रीराम कथा के छठे दिन कही।
उन्होंने कहा कि कोई संकट आपके ऊपर आये तो बस इतना बोलिए की “मन भूल मत जइयो सीता रानी के चरण”…कथावाचन के दौरान जगतगुरु ने अपने अहिल्या स्थान दर्शन की कई बातें श्रोताओं से साझा करते हुए कहा कि जो विश्व का मित्र वही विश्वामित्र है। गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या के दुख को विश्वामित्र नही सह पाए और प्रभु से विनय करते हुए कहा कि यदि कोई भिक्षा मांगता है उसे भिक्षा मिलता है, प्रभु यह भीख मांग रही है इन्हें चरण रज प्रदान करें। प्रभु भगवान की कृपा शक्ति ने भगवान का चरण अहिल्या जी पर रखवा दिया और अहिल्या का उद्धार ह्यो गया। मिथिला के सुरमधुर भजनों को सुनकर श्रोता भाव विभोर हो उठे।
मुख्य यजमान मन्दिर न्यास समिति के अध्यक्ष पारसनाथ त्रिवेदी,अरुण कुमार राय,नन्द कुमार त्रिवेदी, सुभाष कुमार सह पत्नी ने ब्यास पूजन किया। मौके पर पूर्व कुलपति गोपालजी त्रिवेदी,श्यामनन्दन ठाकुर,वीरचन्द्र ब्रह्मचारी, बैद्यनाथ पाठक,फेकू राम, रामसकल कुमार,देवेंद्र पांडेय,मतलुपुर मुखिया पति अशोक कुमार,पैक्स अध्यक्ष नवीन कुमार,मन्दिर पुजारी राजन झा,गणेश झा,रमण त्रिवेदी,ललन त्रिवेदी समेत हजारों श्रोता मौजूद थे।



















