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दुर्गा स्वरोत्सव 2025 का भव्य समापन : संगीत और नृत्य ने एस के मेमोरियल हॉल में बिखेरा जादू

दुर्गा स्वरोत्सव 2025 का भव्य समापन : संगीत और नृत्य ने एस के मेमोरियल हॉल में बिखेरा जादू
दुर्गा स्वरोत्सव 2025 का भव्य समापन : संगीत और नृत्य ने एस के मेमोरियल हॉल में बिखेरा जादू

दुर्गा स्वरोत्सव 2025 का भव्य समापन : संगीत और नृत्य ने एस के मेमोरियल हॉल में बिखेरा जादू

पटना : तीन दिवसीय बहुप्रतीक्षित सांस्कृतिक पर्व दुर्गा स्वरोत्सव 2025 का रविवार को पटना के एस के मेमोरियल हॉल में भव्य समापन हुआ। 26 से 28 सितम्बर तक आयोजित इस उत्सव ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य की आध्यात्मिकता और कलात्मक वैभव का अनुपम संगम प्रस्तुत किया। देश के ख्याति प्राप्त कलाकारों ने अपनी अद्भुत प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के प्रति अपनी गहरी निष्ठा प्रदर्शित की।

समापन संध्या पर प्रसिद्ध भजन गायिका विदूषी सूर्या गायत्री ने गणेशाय धीमहि, ऐगिरी नंदिनी, गरुड़ गमन तव, जय दुर्गे, हे गोविन्द हे गोपाल, जय राधा माधव, श्रीरामचंद्र कृपालु, ऐसी लगी लगन, हनुमान चालीसा, मेरे घर राम आए हैं, भो शम्भो और क्लिंग नर्तनम् तिल्लाना जैसे भजनों की भावपूर्ण प्रस्तुति दी।

उनकी दिव्य गायन प्रस्तुति के उपरांत विदूषी तनुश्री शंकर द्वारा अभिनव नृत्य प्रस्तुति हुई, जिसने संगीत और नृत्य के शाश्वत संगम को साकार कर उत्सव की गरिमा को और ऊंचाई प्रदान की।

दुर्गा स्वरोत्सव 2025 का आयोजन स्पिक मैके द्वारा कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार, श्रीकृष्ण स्मारक विकास समिति, कमिश्नर कार्यालय, पटना प्रमंडल तथा महिला विकास निगम, बिहार सरकार के सहयोग से किया गया। यह संयुक्त प्रयास पटना की ऐतिहासिक परंपरा दुर्गा पूजा के अवसर पर शास्त्रीय संगीत और नृत्य के आयोजन को पुनर्जीवित और संरक्षित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

उत्सव का उद्घाटन राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान ने किया। इस अवसर पर पद्मश्री पं. उल्हास कशालकर (हिंदुस्तानी वोकल), पद्मभूषण पं. विश्वमोहन भट्ट (मोहन वीणा), पं. रितेश मिश्रा एवं पं. रजनीश मिश्रा (हिंदुस्तानी वोकल), पद्मश्री पं. रोनू मजूमदार एवं डाॅ. मैसूर मंजीनाथ (बांसुरी एवं वायलिन), विदूषी सूर्या गायत्री (भजन) और विदूषी तनुश्री शंकर (नृत्य) ने अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को भावविभोर किया।

इनके साथ पद्मश्री पं. सुरेश तालवलकर, पं. अभिजीत बनर्जी, पं. रामकुमार मिश्र, पं. मिथिलेश झा और पं. विनय मिश्र जैसे दिग्गज सहयोगी कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुति से उत्सव की गरिमा को और समृद्ध किया।