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Doctor बनकर देश की सेवा करना चाहती है रिसिका श्री

डॉक्टर बनकर देश की सेवा करना चाहती है रिसिका श्री
डॉक्टर बनकर देश की सेवा करना चाहती है रिसिका श्री

डॉक्टर बनकर देश की सेवा करना चाहती है रिसिका श्री


पटना 15 जुलाई नृत्यांगन हॉबी सेंटर की डायरेक्टर मौसम शर्मा की सुपत्री रिसिका श्री डॉक्टर बनकर देश की सेवा करना चाहती है।
राजधानी पटना के प्रतिष्ठित डांस सेंटर नृत्यांगन हॉबी सेंटर की डायरेक्टर मौसम शर्मा और सॉफटवेयर इंजीनियर रवि राज की सुपुत्री रिसिका श्री ने मैट्रिक की परीक्षा में शानदार सफलता हासिल कर परिवार का नाम रौशन किया है। सुश्री रिसिका डांस में काफी निपुण है और उसे डांस की मल्लिका और कोरियोग्राफर सरोज खान की ओर से कई बार सम्मानित किया जा चुका है। रिसिका का कहना है कि वह डांस के क्षेत्र के बजाये चिकित्सा के क्षेत्र में देश और परिवार का नाम रौशन करना चाहती है।


रिसिका श्री ने बताया कि कोरोना के संकट काल में डॉक्टरों की भूमिका और ज्यादा महत्वपूर्ण साबित हुई है। धरती पर डॉक्टरों को भगवान माना गया है। पूरी दुनिया में कोरोना की दहशत के बीच डॉक्टर और अस्पताल स्टाफ पूरे मनोयोग से संदिग्ध मरीजों की सेवा कर रहे हैं। ऐसे में मरीज के संपर्क में आना खासा खतरनाक भी साबित हो सकता था, लेकिन डॉक्टरों ने अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों का इलाज करने में लगे हुये हैं। पूर्व राष्ट्रपति डा.एपीजे अब्दुल कलाम को आदर्श मानने वाली रिसिका ने बताया कि वह आगे चलकर मेडिकल की पढ़ाई करेगी और डॉक्टर बनेगी। वह डाक्टर बनकर देश की सेवा
करना चाहती है।


आज भी कहीं ना कहीं भारतीय समाज में लड़की को जन्म देना प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा जाता है। लड़की को उसके भविष्य की जद्दोजहद में, समाज मदद करना तो दूर काँटों की राह तैयार किए बैठा रहता है। पर मुश्किलों के बादलो को चीर कर सफलता की रिमझिम बरसात से सरोबर होती कुछ लड़कियां हैं जिन्होंने अपनी पहचान अपने साहस से पाई हैं उनमें एक नाम है मौसम शर्मा । मौसम शर्मा ने न सिफ विकट परिस्थिति में रिसिका को पाला बल्कि उसे खुद की पहचान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। रिसिका श्री ने बताया कि वह अपनी मां श्रीमती मौसम शर्मा को अपनी प्रेरणा मानती है। रिसिका मां को
याद कर भावुक होकर एक पंक्ति गुनगुनाती है ,,बसे प्यारी, सबसे न्यारी,कितनी भोली भाली माँ. तपती दोपहरी में जैसे,शीतल छैया वाली माँ. मुझको देख -देख मुस्काती, मेरे आँसु सह न पाती.मेरे सुख के बदले अपने,सुख की बलि चढ़ाती माँ।