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जानिए क्यों हुआ था इस मंदिर का निर्माण

जानिए क्यों हुआ था इस मंदिर का निर्माण
जानिए क्यों हुआ था इस मंदिर का निर्माण

जानिए क्यों हुआ था इस मंदिर का निर्माण

 

अपने कण कण में इतिहास समेटे बिहार की भूमि में कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जो उचित देखरेख के अभाव में जमीनदोंज होने के कगार पर हैं आज हम आपको लिए चलते हैं बिहार के ऐतिहासिक शहर हाजीपुर के कोनहारा घाट .आदिकाल से मंदिरों के निर्माण की परंपरा भारतीय समाज में विद्यमान रही है. भारत के कई मंदिरों में वहाँ की स्थानीय शैली का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है. देश में ऐसे कम ही मंदिर हैं जो कई तरह के शैलियों से बने है.

 

बिहार में ऐसा ही एक मंदिर है जिसमें उत्तर की नागर शैली, दक्षिण की द्रविड़ शैली के साथ बेसर शैली और स्थानीय शिल्प कौशल का भी प्रयोग किया गया है.शिल्प कौशल का बेहतरीन उदाहरण है बिहार के हाजीपुर (पटना) का नेपाली मंदिर जिसे ‘बिहार प्रदेश का खजुराहो’ भी कहा जाता है. यह देवालय पटना-मुजफ्फरपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर गांधी सेतु पुल पार कर जडुआ मोड़ से छह किलोमीटर की दूरी पर है. नेपाली मंदिर के एक ओर नारायणी गंडक के किनारे का नजारा मनभावन लगता है, वही दूसरी तरफ महाश्मशान में चिता हमेशा जलती रहती है.

 

पूरी तरह से लकड़ी का बना यह मंदिर अन्य मंदिरों से भिन्न है. कहा जाता है कि हाजीपुर के इस नेपाली मंदिर का निर्माण हरि सिंह के दादा राजा रंजीत सिंह द्वारा करवाया गया था. नेपाली मंदिर के पुजारी पराम बाबू दास का कहना है कि लगभग 550 वर्ष पूर्व इस मंदिर का निर्माण कराया गया था. स्थानीय लोगों का मानना है कि राजा रंजीत सिंह ने इस मंदिर का निर्माण प्रजा में काम विद्या की शिक्षा के प्रसार के लिए करवाया था. यहां काम विद्या के सोलह विशेष आसनों का उत्कृष्ट प्रदर्शन दर्शनीय है.

नेपाली मंदिर को देखने के बाद स्वतः आपको खुजराहो के शिल्प और कोणार्क की कलाकृतियों याद आ जाएगीं. यहाँ आकर देखने के बाद ऐसा लगता है कि इस मंदिर का निर्माण किसी विशेष उद्देश्य की संपूर्ति हेतु कराया गया. शोध विशेषज्ञ डॉ. विजय कुमार चौधरी का मानना है कि बिहार प्रदेश के उत्तर मुगलकालीन देवालय में नेपाली मंदिर अपनी बनावट व युग्म मूर्तियों के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है.

 

यहाँ सालों भर देशी-विदेशी पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है. मान्यता है कि यहाँ आने से श्रद्धालुओं के मन में कोई विकार नहीं रह जाता है एवं चित शांत और प्रसन्न हो जाता है. यहाँ प्रत्येक वर्ष पूरे श्रावण व कार्तिक माह में भक्तों के आगमन से विशाल मेला देखने को मिलता है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बिहार का यह मंदिर अपने अनूठी बनावट व शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है.

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Ankit Piyush

Ankit Piyush is the Editor in Chief at BhojpuriMedia. Ankit Piyush loves to Read Book and He also loves to do Social Works. You can Follow him on facebook @ankit.piyush18 or follow him on instagram @ankitpiyush.

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