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कड़े संघर्ष के बाद फिल्म इंडस्ट्री में पहचान बनायी सुरेश कुमार चौधरी ने

कड़े संघर्ष के बाद फिल्म इंडस्ट्री में पहचान बनायी सुरेश कुमार चौधरी ने

बतौर जूनियर आर्टिस्ट अपने फिल्मी करियर की शुरूआत करने वाले सुरेश चौधरी ने फिल्म इंडस्ट्री में फिल्म निर्माता के तौर पर विशिष्ट
पहचान बनायी है ।उनकी ज़िन्दगी संघर्ष, चुनौतियों और कामयाबी का एक ऐसा सफ़रनामा है, जो अदम्य साहस का इतिहास बयां करता है। सुरेश कुमार चौधरी ने अपने करियर के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर  कामयाबी का परचम लहराया।

मां सीता की जन्मभूमि बिहार के सीतामढ़ी जिले के मेजरगंज में जमींदार परिवार में वर्ष 1944 में जन्में सुरेश चौधरी के पिता श्याम सुंदर प्रसाद चौधरी और मां श्रीमती गिरीजा चौधरी घर के लाडले छोटे बेटे को अपनी राह खुद चुनने की आजादी दी थी। मेजरगंज में मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ बड़ा करने की तमन्ना लिये सुरेश कुमार चौधरी मायानगरी मुंबई आ गये। कुछ समय तक मुंबई में रहने के बाद सुरेश चौधरी सीतामढ़ी आ गये। वर्ष 1965 में सुरेश चौधरी की शादी श्रीमती कौशल्या देवी से हो गयी।आंखो में बड़े सपने लिये सुरेश चौधरी ने एक बार फिर मुंबई का रूख किया।मुंबई आने के बाद सुरेश चौधरी ने जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर फिल्मों में काम करना शुरू किया। इसी क्रम में सुरेश चौधरी की मुलाकात मशहूर अभिनेता दारा सिंह से हुयी।

 

दारा सिंह , सुरेश चौधरी की कसरती बदन को देखकर काफी खुश हुये और अपनी एक फिल्म में काम करने का अवसर दिया। सुरेश चौधरी की प्रतिभा को देखते हुये दारा सिंह ने अपनी कई फिल्मो में सुरेश चौधरी को अभिनय करने का अवसर दिया। इसी क्रम में सुरेश र्चौधरी की मुलाकात जाने माने हास्य कलाकार ओम प्रकाश से हुयी। ओम प्रकाश ने सुरेश चौधरी को सलाह दी यदि मुंबई में लंबे समय तक टिकना है तो तकनीकी शिक्षा हासिल करनी होगी। ओम प्रकाश ने सुरेश चौधरी को गुरूदत्त फिल्मस प्रोडक्शन के मैनेजर लक्ष्मी नारायण वर्मा से मिलने की सलाह दी। ओम प्रकाश की सलाह पर अमल करते हुये सुरेश चौधरी गुरूदत्त फिल्म में बतौर सहायक कैमरामैन के तौर पर काम करने लगे। इस बीच उन्होंने जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर काम करना जारी रखा। इन्ही दिनों सुरेश चौधरी , प्रख्यात फिल्मकार मनमोहन देसाई के संपर्क में आ गये। मनमोहन देसाई ने सुरेश चौधरी को अपनी निर्मित कई फिल्मों में सहायक के तौर पर काम दिया। इसके बाद सुरेश चौधरी शशि कपूर के प्रोडक्शन हाउस से भी जुड़ गये और सहायक के तौर पर काम किया। सुरेश चौधरी कुछ बड़ा करने की हसरत रखते थे। इसी को देखते हुये वर्ष 1984 में उन्होंने अपनी खुद की प्रोडक्शन कंपनी सुरेश इंटरनेशनल की नींव रखी। वर्ष 1992 में सुरेश चौधरी ने वक्त का बादशाह का निर्माण किया। मनमोहन के साबिर के निर्देशन में बनी धर्मेन्द्र , विनोद खन्ना , राज बब्बर , नवीन निश्चल और अमजद खान जैसे सितारो से सजी वक्त का बादशाह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुयी।

 

वक्त का बादशाह की सफलता के बाद सुरेश चौधरी ने जैकी श्राफ और डिंपल कपाड़िया को लेकर फिल्म शेयर बाजार का निर्माण किया। इसके बाद सुरेश चौधरी ने कम बजट की फिल्म 500 का नोट का निर्माण किया हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अपेक्षित सफलता हासिल नही कर सकी। सुरेश चौधरी इन दिनों फिल्म चौपाटी बना रहे हैं। सुरेश चौधरी फिल्म निर्माण के साथ ही जूनियर आर्टिस्ट रिटायरमेंट फंड से जुड़े है और चेयरमैन के तौर पर कार्यरत हैं। सुरेश चौधरी को हाल ही में राजधानी पटना में वंदे मातरम फाउंडेशन की ओर से आयोजित भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री सम्मान से अलंकृत किया गया है। सुरेश चौधरी , संजय दत्त को लेकर फिल्म बनाने की भी प्लानिंग कर रहे हैं। सुरेश चौधरी ने बताया कि वह फिल्मकार और लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास को अपना गॉडफादर मानते हैं और उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में जो कुछ मुकाम बनाया है उसमें ख्वाजा अहमद अब्बास का अहम योगदान रहा है।