BHOJPURI MEDIA ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18 फैशन के साथ ही सामाजिक सरोकार से भी जुड़ी है निशा डिडवानिया रख हौसला वो मन्ज़र भी आएगा, प्यासे के पास चल के समंदर भी आयेगा; थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर, […]
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ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18
फैशन के साथ ही सामाजिक सरोकार से भी जुड़ी है निशा डिडवानिया
रख हौसला वो मन्ज़र भी आएगा,
प्यासे के पास चल के समंदर भी आयेगा;
थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर,
मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आयेगा।
अपनी हिम्मत और लगन के बदौलत जानी मानी फैशन डिजाइनर और पटना की रितु बेरी कही जाने वाली निशा डिडवानिया आज फैशन की दुनिया के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुयी है लेकिन इन कामयाबियों को पाने के लिये उन्हें अथक परिश्रम का सामना भी करना पड़ा है।
निशा डिडवानिया एक दशक से फैशन के साथ ही महिला सशक्तिकरण के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य करने में लगी हुयी है। निशा डिडवानिया अपनी व्यस्त जीवनशैली से समय निकालकर समाजसेवा में भी अपना पूरा योगदान देती हैं। निशा का मानना है अब जरूरत है महिलाओं को सशक्त बनाने की ,अब हर किसी को जगना होगा, और सबको जगाना होगा बहुत खो लिया नारी ने, अब उसे उसका हक दिलाना होगा स्त्रियों को खुद इसकी शुरुआत करनी होगी स्त्रियों को खुद, स्वयं को आगे बढ़ाना होगा उम्मीद है जल्द हीं हालात बदलेंगे उम्मीद है अब वक्त करवट लेगा और नहीं रहेगी किसी स्त्री के चेहरे पर शिकन।आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं।महिलाएं अपनी शक्ति पहचानें। अब महिलाएं सशक्त हो रही हैं, वे किसी भी क्षेत्र में पुरूषों से कम नहीं हैं। जरूरत इस बात की है कि महिलाओं के प्रति समाज की सोच बदली जाए। आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनना महिलाओं के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण कदम है। वे विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए जीवन पथ पर अग्रसर हो।
बिहार के शेखपुरा जिले में जन्मी निशा डिडवानिया ने वर्ष 1991 में मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। निशा डिडवानिया के पिता पवन झुनझुनवाला और सररिता झुनझुन वाला पुत्री को उच्चअधिकारी के तौर पर देखना चाहते थे लेकिन निशा मॉडलिंग की दुनिया में अपनी पहचान बनाना चाहती थी।वर्ष 1996 में निशा की शादी जाने माने बिजनेस मैन संजय डिडवानिया से हो गयी. आम तौर पर युवती की शादी के बाद उसपर कई तरह की बंदिशे लगा दी जाती है लेकिन निशा के साथ के साथ ऐसा नही हुआ। निशा के पति के साथी ससुर शंभू प्रसाद डिडवानिया और सास पुष्पा डिडवानिया ने उन्हें हर कदम सर्पोट किया।
सपने उन्ही के पूरे होते है, जिनके सपनो मे जान होती है.
पँखो से कुछ नही होता, ऐ मेरे दोस्त!! होसलो से ही तो उड़ान होती है
सपने उन्ही के पूरे होते है,
निशा डिडवानिया यदि चाहती तो एक सामान्य शादीशुदा महिला की तरह जिंदगी जी सकती थी लेकिन वह अपने बलबूते अपनी पहचान बनाना चाहती थी साथ ही समाज के लिये भी कुछ करना चाहती थी।
बेहतर से बेहतर कि तलाश करो
मिल जाये नदी तो समंदर कि तलाश करो
टूट जाता है शीशा पत्थर कि चोट से
टूट जाये पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो
वर्ष 2006 में निशा डिडवानिया ने एक बुटिक खोला। निशा के डिजाइन किये कपड़े लोगों को बेहद पसंद आये। निशा को समाज सेवा में भी गहरी रूचि थी। वह महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देना चाहती थी और इसी को देखते हुये वह वर्ष 2012 में महिला सशक्तीकरण की दिशा में काम करने वाली दैनिक जागरण संगिनी क्लब से जुड़ गयी जहां उनकी काबलियत को देखते हुये उन्हें उपाध्यक्ष भी बनाया गया।निशा डिडवानिया महिलाओं को आह्वान कर कहती है।
मुझे भी आँखो में एक सपना सजाने दो
कल्पना के पंख लगा के मुझे भी कुछ दूर उड़ जाने दो
मुझे भी बनाने दो अपना एक सुनहरा सा जहान
मेरे दिल की कोमलता को मत यूँ रस्मो में बंध जाने दो
मत छिनो मुझे से मेरा वजूद यूँ कट्टर रिवाज़ो से
एक अपनी पहचान अब मुझे भी अपनी बनाने दो
छूना है मुझे भी नभ में चमकते तारो को
एक चमकता सितारा अब मुझे भी इस दुनिया में बन जाने दो !!
निशा डिडवानिया मॉडलिंग की दुनिया में अपना नाम रौशन करना चाहती थी।
वर्ष 2013 में निशा डिडवानिया ने मिसेज बिहार प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और विजेता का खिताब अपने नाम कर लिया। निशा
डिडवानियां को डांस में भी काफी रूचि है और उन्हें संगिनी कल्ब , लायंस क्लब समेत कई कार्यक्रमों में पुरस्कार मिल चुके हैं।
ज़िन्दगी की असली उड़ान अभी बाकी है,
ज़िन्दगी के कई इम्तेहान अभी बाकी है,
अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीं हमने,
अभी तो सारा आसमान बाकी है…
निशा डिडवानिया ने हाल ही में फैशन बुटिक और सैलून खोला है जिसके लिये उन्हें काफी तारीफें मिल रही है। निशा आज कामयाब महिलाओं में शुमार की जाती है। निशा डिडवानिया बिहार के फैशन को वैश्विक मंच पर देखने का संपना संजाये हुये है।निशा का कहना है कि बिहार प्रतिभा के मामले में किसी भी दूसरे राज्य से कम नहीं है। फिर चाहे वह फिल्म हो, फैशन हो या फिर कला का क्षेत्र हर जगह बिहार के लोगों ने अपनी सफलता के झंडे गाड़े हैं।
पर्वतो से ऊचा ओहदा हो अपना
समुद्र से निर्मल हो दिल ये अपना
दुनिया में मुझे हर कोई कहे अपना
दुखो की आग में न मुझे पड़े तपना
झूठ के सामने न कभी पड़े झुकना
कितना भी चलना पड़े जीवन में न रुकना
कठिन रास्तों पर भी कभी नही थकना
बस यही है मेरा सपना …
बस यही है मेरा सपना….
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