News

अधिवक्ता बनना चाहती थी नमिता सिंह

अधिवक्ता बनना चाहती थी नमिता सिंह खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है, जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है, लहरों की ख़ामोशी को...