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ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18
बाढ़ पीडितों के काम आयी पप्पू की बुलेटबाजी
कहा जाता है कि जल ही जीवन है। मगर जब वही जल जलजला बन जाये, तो क्या होता है, ये कोसी समेत बिहार के लगभग 18 जिलों के लोग ज्यादा बेहतर बता पायेंगे। क्योंकि जब नदी की उफान और स्पर के टूटने से हंसती – खेलती जिंदगी बाढ़ के आगोश में होती है, तब एक तबाही की मुकम्मल दास्तान लिखती है। सन 2008 के कुसहा बाढ़ त्रासदी के बाद बिहार की अधिकांश जिले एक बार फिर भंयकर बाढ़ की मार झेलने को मजबूर है। हालत ऐसी बनी कि सरकारी तंत्र भी असहाय नजर आया। इसी बीच आयी एक बुलेट गाड़ी की आवाज, जिससे लेकर आने वाला शख्स बाढ़ से पीडि़त उन बेसहारा और असहाय लोगों की उम्मीद बन गया। उनकी निराशा में आशा की लौ जलाने वाला कोई और नहीं, मधेपुरा से सांसद व जन अधिकार पार्टी (लो) का राष्ट्रीय संरक्षक राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव था।
पप्पू यादव ने बाढ़ की भयावहता को भांप कर शुरू के दिनों से बाढ़ प्रभावित हिस्सों में राहत और बचाव को जुट गए। विद्रोही तेवर और मदद भाव से न सिर्फ लोगों के बीच खुद जाकर मदद पहुंचाया, बल्कि बाढ़ पीडि़तों के बीच दिन – रात खड़े रह कर उसका दर्द भी साझा किया। कई बार गुस्से में शासन प्रशासन को कोषा, तो कई बार आखों से सरकार और प्रशासन से लाखों की संख्या में बाढ़ की मार झेल रहे लोगों के लिए मदद भी मांगी। बावजूद इसके पूरा तंत्र बाढ़ राहत में विफल साबित रहा है, मगर पप्पू इस विपरीत परिस्थित में भी डटे रहे। आम लोगों के हमदर्द की फितरत रखने वाले इस सांसद ने लगातार 14 दिनों तक बाढ़ प्रभावित इलाके में राहत कार्य में जुटा रहा है और विभिन्न जिलों के जिलाधिकारी के साथ मिलकर बाढ़ राहत कार्य में कमियों को बताया और उसे दुरूस्त करने का निर्देश देते रहे हैं।
बाढ़ की इस विभिषिका में जब राज्य सरकार की निंद्रा टूटी तो वे हवाई सर्वेक्षण के जरिए बाढ़ की तो टोह लेते रहे, मगर उसकी मार झेल रहे लोगों की परेशानियों को बस मान भर लिया। मगर उस हालत में पप्पू आसमान से नीचे कभी बाढ़ की उफनती धार के बीच लोगों के लिए मदद लेकर जाते दिखे। सुदूर कई इलाकों में यातायात की व्यवस्था ठप थी। सड़कों का हाल बुरा था। पानी की वजह से कई जगह गाडि़यों का जाना मुश्किल था। मगर पप्पू यादव की जिद थी कि किसी भी हालत में लोगों तक पहुंच कर इस संकट की घड़ी में न सिर्फ मदद पहुंचाने की, बल्कि इस लड़ाई में उन्हें एक उम्मीद देने की भी। इस स्थिति में सांसद के जज्बे का सहारा बना बुलेट, जिसकी मदद से वे कई इलाकों में बाढ़ पीडि़तों तक पहुंच पाये और मदद पहुंचा पाये।
सांसद की बुलेटबाजी ने लाखों बाढ़ पीडि़तों को वो भरोसा दिया, जो उनसे वादे कर वोट ले जाने वाले अन्य जनप्रतिनिधियों ने नहीं दिया। हां, बाढ़ की पानी उतरने के बाद वे जनप्रतिनिधि आये जरूर, मगर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने का मैटेरियल लेकर चल गए। लेकिन सांसद पप्पू यादव इन सबसे इतर बाढ़ का पानी उतरने के बाद भी बुलेट गाड़ी दौड़ाते नजर आये। बाढ़ से क्षति का आकलन करते नजर आये और इसके हिसाब से उन्होंने इस बाढ़ को प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की, ताकि बाढ़ में बेघर हुए लोगों का पुनर्वास संभव हो सके और लोगों को हुए क्षति का मुआवजा मिल सके।
सिस्टम से बागी तेवर रखने वाले पप्पू ने अपनी पार्टी से जुड़े लोगों को राहत कार्य जारी रखने का निर्देश तो दिया ही, साथ ही बाढ़ का पानी पूरी तरह से उतरने के बाद भी पीडि़त लोगों की हर संभव सहायता का निर्देश दिया है। इस तरह इस बार बाढ़ की भयानक तबाही के बीच सांसद पप्पू यादव की बुलेटबाजी बाढ़ पीडि़तों के खूब काम आयी और उनकी टूटती उम्मीदों को एक सांसद सहारा मिला।
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