BHOJPURI MEDIA. ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18 एकरिंग के साथ ही संगीत और अभिनय के क्षेत्र में भी खास मुकाम बनाया आज बादलों ने फिर साज़िश की जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की अगर फलक को जिद है ,बिजलियाँ गिराने की तो हमें भी ज़िद है ,वहीं पर आशियाँ बनाने की राजीव […]
BHOJPURI MEDIA.
ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18
एकरिंग के साथ ही संगीत और अभिनय के क्षेत्र में भी खास मुकाम बनाया
आज बादलों ने फिर साज़िश की
जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की
अगर फलक को जिद है ,बिजलियाँ गिराने की
तो हमें भी ज़िद है ,वहीं पर आशियाँ बनाने की
जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की
अगर फलक को जिद है ,बिजलियाँ गिराने की
तो हमें भी ज़िद है ,वहीं पर आशियाँ बनाने की
राजीव मिश्रा आज दौर में न सिर्फ एकरिंग की दुनिया में धूमकेतु की तरह छा गये हैं बल्कि संगीत और अभिनय की दुनिया में भी सफलता का परचम लहराया। उनकी ज़िन्दगी संघर्ष, चुनौतियों और कामयाबी का एक ऐसा सफ़रनामा है, जो अदम्य साहस का इतिहास बयां करता है।राजीव मिश्रा ने अपने अबतक के करियर के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर कामयाबी का परचम लहराया। राजीव मिश्रा को अभी हाल ही में मुंबई में हुये बिहार दिवस के अवसर पर सर्वश्रेष्ठ एंकर के पुरस्कार से नवाजा गया है। राजधानी पटना में एक कार्यक्रम में शिरकत करने आये राजीव मिश्रा ने बताया कि वह बिहार की माटी से जुड़े हुये हैं , भले ही वह मुंबइयां इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं लेकिन वह आज भी बिहार को अपनी जन्मभूमि के साथ ही कर्मभूमि भी मानते हैं। महाराष्ट्र जैसे राज्य में बिहार दिवस के अवसर पर सर्वश्रेष्ठ एंकर का सम्मान मेरे लिये बहुत बड़ा सम्मान है और इसे लेकर गौरान्वित महसूस कर रहा हूँ।मैं यह सम्मान बिहार की जनता को समर्पित करता हूँ।
मां सीता की जन्मभूमि बिहार के सीतामढ़ी जिले के पुरनइया थाना के चंडिया गांव में जन्में राजीव मिश्रा के पिता नंद किशोर मिश्रा और मां गीता देवी घर के बड़े बेटे और लाडले को चार्टड अकाउंटेट बनाने का सपना देखा करते। राजीव मिश्रा के पिता दिल्ली में पोस्टेड थे। राजीव मिश्रा अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते थे जहां उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। वर्ष 1997 में बीकाम की पढ़ाई पूरी करने के बाद राजीव मिश्रा ने इग्नू से जर्नलिस्म का कोर्स किया। इसके बाद उन्होने वीडियो एडेटिंग की शिक्षा ली। राजीव उन दिनों मीडिया के क्षेत्र में अपना नाम कमाना चाहते थे।
जुनूँ है ज़हन में तो हौसले तलाश करो
मिसाले-आबे-रवाँ रास्ते तलाश करो
ये इज़्तराब रगों में बहुत ज़रूरी है
उठो सफ़र के नए सिलसिले तलाश करो
मिसाले-आबे-रवाँ रास्ते तलाश करो
ये इज़्तराब रगों में बहुत ज़रूरी है
उठो सफ़र के नए सिलसिले तलाश करो
वर्ष 1997 में राजीव मिश्रा बैंगलोर चले गये जहां वह अंग्रेजी चैनल टीएमजी में काम करने लगे।लगभग तीन वर्षो तक टीएमजी में काम करने के बाद राजीव मिश्रा आंखो में बड़े सपने लिये हैदराबाद चले गये जहां वह इटीवी में सीनियर प्रोडयूसर के तौर पर काम करने लगे जिससे उन्हें काफी ख्याति मिली।करीब एक वर्ष के बाद राजीव मिश्रा अपनी जन्मभूमि बिहार को कर्मभूमि मानते हुये वर्ष 2001 में राजधानी पटना आ गये जहां वह इटीवी में सीनियर प्रोग्रामिंग हेड के तौर पर काम करने लगे। इसके बाद राजीव मिश्रा ने एक के बाद सुपरहिट शो कहो ना बिहार है ,कैंपस , जनता एक्सप्रेस ,दास्ताने जुर्म , मिसेज भाग्यशाली , सुनो पाटलिपुत्रा क्या बोले बिहार समेत सैकड़ों सुपरहिट शो के जरिये दर्शकों का दिल जीत लिया।
मैं आँधियों के पास तलाश-ए-सबा में हूँ
तुम मुझ से पूछते हो मेरा हौसला है क्या
तुम मुझ से पूछते हो मेरा हौसला है क्या
राजीव मिश्रा की ख्वाहिश फिल्मों में काम करने की भी थी। वह बतौर अभिनेता अपनी पहचान बनाना चाहते थे। दुनियां में बहुत सी ऐसी बातें होती हैं जो नामुमकिन नज़र आती हैं …. लेकिन यदि इंसान हिम्मत से काम करे और वो सच्चा है ……तो जीत उसी की होती है। लहरों के साथ तो कोई भी तैर लेता है ..पर असली इंसान वो है जो लहरों को चीरकर आगे बढ़ता है। राजीव मिश्रा ने बतौर अभिनेता अपने करियर की शुरूआत वर्ष 2008 में प्रदर्शित फिल्म नेहिया सनेहिया से की जो टिकट खिड़की पर हिट साबित हुयी। राजीव मिश्रा ने इसके बाद दुल्हा फूंकू चुल्हा और खेला जैसी कुछ अन्य फिल्मों में भी अपने अभिनय का जौहर दिखाया। खेला अभी रिलीज नहीं हुई है ।फिल्म में रवि किशन और रानी चटर्जी और कुणाल सिंह जैसे कलाकार जुड़े हुये हैं। इसके बाद राजीव मिश्रा ने महुआ चैनल के लिये सुर संग्राम , भौजी नंबर वन और के बनी कड़ोड़पति जैसे सुपरहिट शो में बतौर प्रोगामिंग हेड के तौर पर काम किया। अमिताभ बच्चन के सुपरहिट शो केबीसी की तर्ज पर बनाये गये शो के जरिये राजीव मिश्रा को काफी प्रशंसा मिली थी।।राजीव ने बिहारी बाबू यानी शत्रुघ्न सिन्हा को के बनी करोड़पति का होस्ट बनाया। इस शो में आमिर खान ,धर्मेन्द्र ,हेमा मालिनी ,सोनाक्षी सिन्हा ,गोविंदा ,मनोज तिवारी, रवि किशन और निरहुआ जैसे कलाकारों ने भी शिरकत की ।
वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँ
हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है
हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है
वर्ष 2013 में राजीव मिश्रा बिग गंगा से जुड़ गये और बतौर प्रोग्रामिंग हेड के तौर पर मुंबई में काम करने लगे। बिग गंगा पर प्रसारित राजीव मिश्रा के शो बिग मेम साब , विरहा मुकाबला , हिंदुस्तान का बिग स्टार , भक्ति सम्राट ,फोक जलवा और भक्ति सागर समेत कई शो के जरिये राजीव मिश्रा ने दर्शकों का दिल जीत लिया।वर्ष 2015 में राजीव मिश्रा को भक्ति सागर को होस्ट करने की जिम्मेवरी दी गयी जिसे उन्होंने सफलता पूर्वक निभाया।
मैं आँधियों के पास तलाश-ए-सबा में हूँ
तुम मुझ से पूछते हो मेरा हौसला है क्या
तुम मुझ से पूछते हो मेरा हौसला है क्या
राजीव मिश्रा पटना और मुम्बई ही नही लंदन तक को अपना दीवाना बना चुके हैं। लंदन में हुए इंटरनेशनल भोजपुरी फिल्म अवार्ड में रेड कारपेट एंकरके रूप में वे अपना अलग छाप छोड. गये और यह साबित कर दिया कि इंसान यदि चाह दे तो कोई काम मुश्किल नहीं। राजीव मिश्रा ने गायकी के क्षेत्र में भी अपना खास मुकाम बनाया है। वह करीब 40 अलबम गाकर लोगो के बीच अपनी अलगपहचान बना चुके हैं।उन्हाने अपने एक एल्बम देशवा हमार की शूटिंग लंदन मे की हैं ।.राजीव मिश्रा का पहला भजन संग्रह पागल मनवा रे का बाजार में जबरदस्ट्त क्रेज रहा …. उसके बाद उन्होने भक्ति गीतों के कई एल्बम गाये जो लोगों में काफी लोकप्रिय हुये। राजीव मिश्रा आज एकरिंग की दुनिया के साथ ही संगीत और फिल्म की दुनिया के क्षेत्र में भी कामयाबी की बुलंदियों पर है।राजीव मिश्रा अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता के साथ ही अपने परम मित्र और बड़े भाई समान जाने माने निर्देशक और एंकर अनिल पॉल अन्नू के अलावा शुभचितंको को भी देते है जिन्हें हर कदम उन्हें सपोर्ट किया है।
राजीव मिश्रा को युवा रोल मॉडल मानते हैं। राजीव मिश्रा उन्हें हर कदम सपोर्ट करते हैं। राजीव मिश्रा युवाओं को मोटिभेट करते हुये कहते हैं
टूटने लगे हौसले तो ये याद रखना,
बिना मेहनत के तख्तो-ताज नहीं मिलते,
ढूंढ़ लेते हैं अंधेरों में मंजिल अपनी,
क्योंकि जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते…
टूटने लगे हौसले तो ये याद रखना,
बिना मेहनत के तख्तो-ताज नहीं मिलते,
ढूंढ़ लेते हैं अंधेरों में मंजिल अपनी,
क्योंकि जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते…
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