BHOJPURI MEDIA ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18 बिहार की ब्यूटी को वैश्विक मंच पर देखने का सपना संजाये हुये है संजना सिंह ज़िंदगी कि असली उड़ान बाकी है जिंदगी के कई इम्तेहान अभी बाकी है अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीन हमने अभी तो सारा आसमान बाकी है अपनी […]
BHOJPURI MEDIA
ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18
बिहार की ब्यूटी को वैश्विक मंच पर देखने का सपना संजाये हुये है संजना सिंह
ज़िंदगी कि असली उड़ान बाकी है
जिंदगी के कई इम्तेहान अभी बाकी है
अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीन हमने
अभी तो सारा आसमान बाकी है
जिंदगी के कई इम्तेहान अभी बाकी है
अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीन हमने
अभी तो सारा आसमान बाकी है
अपनी हिम्मत और लगन के बदौलत संजना सिंह आज ब्यूटीशियन के क्षेत्र में अपनी सशक्त पहचान बनाने में कामयाब हुयी है लेकिन इन कामयाबियों को पाने के लिये उन्हें अथक परिश्रम का सामना भी करना पड़ा है।
रात नहीं ख्वाब बदलता है,
मंजिल नहीं कारवाँ बदलता है;
जज्बा रखो जीतने का क्यूंकि,
किस्मत बदले न बदले ,
पर वक्त जरुर बदलता है |
मंजिल नहीं कारवाँ बदलता है;
जज्बा रखो जीतने का क्यूंकि,
किस्मत बदले न बदले ,
पर वक्त जरुर बदलता है |
कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं। इस बात को साबित कर दिखाया है संजना सिंह ने । संजना सिंह को हाल ही में एनजीटाउन का फाउंडेशन डे और सीसीएल 2 के जर्सी लांच पर यंग अचीवर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया है। इस समारोह का आयोजन एनजी टाउन के सीएमडी (संजय सिंह और नमिता सिंह ) द्वारा प्रायोजित कॉर्पोरेट क्रिकेट लीग (सी.सी.एल.) सीजन-2 की जर्सी लॉन्चिंग के उपलक्ष्य में किया गया जिसमे यंग अचीवर्स अवार्ड से उन 25 महिलाओं एवं पुरुषों को सम्मानित किया गया जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में राज्य एवं देश का नाम रौशन करने के साथ-साथ समाज के लिए प्रेरणादायी कार्य किया है।
राजधानी पटना की रहने वाली संजना सिंह के पिता अर्जुन कुमार सिंहऔर मां संयुक्ता देवी बेटी को उच्चअधिकारी बनाना चाहते थे हालांकि संजना उन दिनों अधिवक्ता के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहती थी। वर्ष 2002 में संजना सिंह की शादी जाने माने बिजनेस मैन राजेश कुमार के साथ हो गयी।जहां आम तौर पर युवती की शादी के बाद उसपर कई तरह की बंदिशे लगा दी जाती है लेकिन संजना सिंह के साथ ऐसा नही हुआ। संजना के पति के साथ ही ससुराल पक्ष के सभी लोगों ने उन्हें हर कदम सपोर्ट किया। संजना सिंह यदि चाहती तो एक सामान्य शादीशुदा महिला की तरह जिंदगी जी सकती थी लेकिन वह अपने बलबूते अपनी पहचान बनाना चाहती थी।
कामयाबी के सफ़र में मुश्किलें तो आएँगी ही
परेशानियाँ दिखाकर तुमको तो डराएंगी ही,
चलते रहना कि कदम रुकने ना पायें
अरे मंजिल तो मंजिल ही है एक दिन तो आएगी ही।
परेशानियाँ दिखाकर तुमको तो डराएंगी ही,
चलते रहना कि कदम रुकने ना पायें
अरे मंजिल तो मंजिल ही है एक दिन तो आएगी ही।
संजना सिंह बतौर ब्यूटिशियन अपनी पहचान बनाना चाहती थी और इसी को देखते हुये उन्होंने ब्यूटिशयन का कोर्स किया। इसके बाद वह ब्यूटी सैलून में काम करने लगी। संजना सिंह कुछ बड़ा करना चाहती थी और इसी को देखते हुये आंखो में बड़े सपने संजोये वह दिल्ली चली गयी जहां उन्होंने प्रतिष्ठित भी एलसीसी से एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स किया। संजना यदि चाहती तो दिल्ली में काम करते हुये जीवन बसर कर सकती थे लेकिन वह कुछ बड़ा करना चाहती थी।लहरों के साथ तो कोई भी तैर लेता है ..पर असली इंसान वो है जो लहरों को चीरकर आगे बढ़ता है। संजना अपने घर वर्ष 2006 में पटना वापस आ गये। जहां वह भीएलसीसी पटना में बतौर ब्यूटिशयन काम करने लगी।
चले हैं जिस सफ़र पर उसका कोई अंजाम तो होगा
जो हौंसला दे सके ऐसा कोई जाम तो होगा,
जो दिल में ठान ही ली है कामयाबी को अपना बनाने की
तो कोई न कोई इंतजाम तो होगा।
जो हौंसला दे सके ऐसा कोई जाम तो होगा,
जो दिल में ठान ही ली है कामयाबी को अपना बनाने की
तो कोई न कोई इंतजाम तो होगा।
वर्ष 2016 में संजना सिंह को दिल्ली में हुये ऑल इंडिया ब्यूटी कान्टेस्ट में हिस्सा लेने का अवसर मिला । संजना ने यहां भी अपनी प्रतिभा का नायाब नमूना पेश किया और वह विजेता का ताज हासिल करने में सफल रही।
बेहतर से बेहतर कि तलाश करो
मिल जाये नदी तो समंदर कि तलाश करो
टूट जाता है शीशा पत्थर कि चोट से
टूट जाये पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो
मिल जाये नदी तो समंदर कि तलाश करो
टूट जाता है शीशा पत्थर कि चोट से
टूट जाये पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो
वर्ष 2017 में संजना सिंह ने खुद का ब्यूटी सैलून काया की शुरूआत की। संजना का मानना है कि महिलाएं हों या पुरुष, आज सभी अपने सुंदर लुक के प्रति सजग नजर आते हैं। खूबसूरत बनने की उनकी ललक को ब्यूटी पार्लर अंजाम दे रहे हैं । जब सभी खूबसूरत नजर आना चाहते हैं तो निश्चित तौर पर ब्यूटी पार्लर और ब्यूटीशियन्स का काम भी बड़े पैमाने पर होगा ही। यही वजह है कि ब्यूटीशियन्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। आज के फलते-फूलते स्वरोजगारों पर यदि नजर डालें, तो ब्यूटी पार्लर का काम उनमें अलग ही चमकता नजर आएगा। पहले माना जाता था कि महिलाओं के लिए महिला ब्यूटीशियन और पुरुषों के लिए पुरुष ब्यूटीशियन ही होना चाहिए, लेकिन बड़े शहरों और फैशन के बढ़ते ट्रेंड ने इस सीमा को बेमानी बना दिया है। लोगों की पुरानी धारणाएं टूटती जा रही हैं।संजना के लिये ब्यूटी सैलून खोलना एक बड़ी चुनौती से कम नहीं थी. लोगों ने सराहना की। संजना ने गरीब एव जरूरतमंद युवतियों को नि:शुल्क पार्लर का काम करना सिखाया. आज वही महिला और युवतियां अपने पैरों पर खड़ी हैं और अपने परिवार का खर्च चला रही है।
संजना बिहार की ब्यूटी को वैश्विक मंच पर देखने का सपना संजाये हुये है। संजना सिंह ने बताया कि जहां तक ब्यूटीशियन बनने की बात है, तो ब्यूटीशियन बनना बहुत आसान है, लेकिन एक अच्छा ब्यूटीशियन बनने के लिए आपको प्रशिक्षण से लेकर अच्छी रुचि और अपने को अपडेट रखने की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा ब्यूटीशियन को डिजाइनिंग के हिसाब से सामने वाले को सजाने-संवारने का जितना अनुभव होगा, उसका काम और नाम भी उतना ही होगा।एक ब्यूटीशियन का काम यूं तो ग्राहकों के हिसाब से उनके चेहरे को खूबसूरत लुक देना होता है, लेकिन चेहरे को खूबसूरत बनाने के पीछे जो प्रक्रियाएं, यानी काम किए जाते हैं, उन्हें अनेक नाम दिए गए हैं। इन कामों में खासतौर पर थ्रेडिंग, ब्लीच, अनेक तरह के फेशियल, फेस पैक, हेड मसाज, बॉडी मसाज, हेयर स्टाइल, कलर व कटिंग आदि, रोलर सेटिंग, आई ब्रो, शैम्पू, मेंहदी,अनेक तरह का मेकअप, नेल केयर और इसी तरह के काम किए जाते हैं।
संजना सिंह ने हाल ही में अपने बिजनेस पार्टनर सुमित साव के साथ मिलकर सुमित स्टूडियों एंड सैलून :संजना मेक ओवर की शुरूआत की है और यहां भी उनके काम को लोग काफी पसंद कर रहे हैं। संजना सिंह ने कहा कि मेरा मानना है कि हम सबके लिए अवसर हैं, क्योंकि दुनिया अवसरों से भरी है। यह हमारे हाथों में है कि उस पल को पकड़े और जादू जगा दें। आज मेरे लिए सफलता का अर्थ है कि मैं जो करना चाहती हूं वह जब, जैसा करना चाहती हूं, कर सकूं। संजना आज कामयाबी की मंजिले तय कर सफलता के नये आयामों को छू रही है। संजना ने इसके लिये काफी हौसला रखा है।
रख हौसला वो मन्ज़र भी आएगा,
प्यासे के पास चल के समंदर भी आयेगा;
थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर,
मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आयेगा।
प्यासे के पास चल के समंदर भी आयेगा;
थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर,
मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आयेगा।
संजना अपनी सफलता का श्रेय पति राजेश कुमार को देती है जिन्होने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया है। संजना आज के दौर की युवतियों और महिलाओं का आह्वान कर कहती हैं मत घबराना जिंदगी में परेशानियों की पतझड़ से मेहनत की बसंत खुशियों की बहार जरूर लाएगी, खून पसीने से सींचना अपनी कोशिशों को इन कोशिशों के बल पर ही कामयाबी आएगी।
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