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बिजनेस की दुनिया के नये गुरू बनना चाहते हैं सत्यांशु पांडेय

BHOJPURI MEDIA ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18 बिजनेस की दुनिया के नये गुरू बनना चाहते हैं सत्यांशु पांडेय आज बादलों ने फिर साज़िश की जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की अगर फलक को जिद है ,बिजलियाँ गिराने की तो हमें भी ज़िद है ,वहीं पर आशियाँ बनाने की         अपनी हिम्मत और लगन […]
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ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18

बिजनेस की दुनिया के नये गुरू बनना चाहते हैं सत्यांशु पांडेय
आज बादलों ने फिर साज़िश की
जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की
अगर फलक को जिद है ,बिजलियाँ गिराने की
तो हमें भी ज़िद है ,वहीं पर आशियाँ बनाने की
        अपनी हिम्मत और लगन के बदौलत सत्यांशु पांडेय आज कामयाब बिजनेस मैन के तौर पर शुमार किये जाते हैं। उनका रेस्टोरेंट चस्का  द एडिशन शहर के मशहूर रेस्टोरेंट में शुमार हो गया है। सत्याशु की कामयाबी की डगर इतनी आसान नही रही और इसके लिये उन्हें कड़ी मेहनत का सामना करना पड़ा। सत्यांशु की  ज़िन्दगी संघर्ष, चुनौतियों और कामयाबी का एक ऐसा सफ़रनामा है, जो अदम्य साहस का इतिहास बयां करता है। अपने कार्यकाल में उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया और हर मोर्चे पर कामयाबी का परचम लहराया।
 सत्यांशु का मानना है कि कामयाबी के  सफ़र में मुश्किलें तो आएँगी ही
        परेशानियाँ दिखाकर तुमको तो डराएंगी ही,
        चलते रहना कि कदम रुकने ना पायें
        अरे मंजिल तो मंजिल ही है एक दिन तो आएगी ही।
        राजधानी पटना में वर्ष 1989 में जन्में सत्यांशु पांडेय के पिता सुरेन्द्र नारायाण पांडेय सी आई डी बिहार से रिटायर्ड हैं। वह अपने पुत्र को इंजीनियर बनाना चाहते थे हालांकि सत्यांशु , मशहूर बिजनेस मैन स्व. धीरू भाई अंबानी से काफी प्रेरित थे और उन्हीं की तरह बिजनेस मैन के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहते थे।  पिता की आज्ञा को सिरोधार्य  मानकर सत्यांशु इंजीनीयरिंग की तैयारी करने लगे और उनका सेलेक्शन भी हो गया लेकिन उन्होंने इंजीनियरिंग में दाखिला नही लिया। सत्यांशु ने अपने करियर की शुरूआत वर्ष 2006 में दूरसंचार क्षेत्र में अग्रणी एयटटेल कंपनी में एक्जेयूटिव के तौर पर की और वह कॉल सेंटर में काम करने लगे। तीन-चार महीने तक एयरटेल में काम करने के बाद सत्यांशु पांडेय आंखो में बड़े सपने लिये दिल्ली चले गये जहां वह आइसीआई प्रुडेंसियल में बतौर ऑफिसर काम करने
लगे।
        जिंदगी में कुछ पाना हो तो खुद पर ऐतबार रखना
        सोच पक्की और क़दमों में रफ़्तार रखना
        कामयाबी मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें
        बस खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार रखना।
        सत्यांशु यदि चाहते तो दिल्ली में काम करते हुये जीवन बसर कर सकते थे लेकिन वह कुछ अलग करना चाहते थे। लहरों के साथ तो कोई भी तैर लेता है ..पर असली इंसान वो है जो लहरों को चीरकर आगे बढ़ता है। सत्यांशु अपनी जन्म भूमि को कर्मभूमि मानते हुये अपने घर वर्ष 2009 में पटना आ गये। इसके बाद सत्यांशु ने रेलिगेयर कंपनी में रिलेशनसिप मैनेजर के तौर पर एक साल तक काम किया। वर्ष 2012 सत्यांशु पांडेय के करियर का अहम पड़ाव साबित हुआ। सत्यांशु की काबिलियत को देखते हुये उन्हें वर्ष 2012 में पीएनबी मेट लाइफ का सीनियर मैनेजर बनाया गया। इस दौरान उन्हें कंपनी की ओर से बतौर प्रतिनिधि यूरोप , दुंबई और बैंकाक जैसे देशो में भेजा गया जहां
उन्होंने अपनी काबिलियत से कंपनी को लाखो रूपये का व्यापार लाकर दिया। वर्ष 2014 में सत्यांशु पांडेय को एचडीएफ लाइफ में कॉरपोरेट सेल्स मैनेजरके तौर पर काम करने का अवसर मिला।
        वर्ष 2015 सत्यांशु पांडेय की पारिवारिक जीवन के साथ ही व्यवसायिक जीवन में नया बदलाव लेकर आया। रश्मि रानी के साथ विवाह के अटूट बंघन में बंधने के बाद सत्येन्शु पांडेय  ने तय किया कि वह कुछ बड़ा काम करेंगे।
        तदबीर से बिगड़ी हुयी तकदीर बना ले अपने पे भरोसा हो तो एक दाँव लगा ले
       सत्यांशु पांडेय दिल में कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश थी । वह बिजनेस की दुनिया में पहचान बनाना चाहते थे। उन्होंने एक बार फिर से दाँव लगाया और यम्मी कवाब रेस्टोरेंट की नीवं रखी। वर्ष 2017 में सत्यांशु पांडेय ने चस्का द एडिकशन रेस्टोरेंट की शुरूआत की और वह आज शहर के कामयाब बिजनेस मैन के तौर पर शुमार किये जाते हैं। सत्यांशु पांडेय को हाल ही में बिहार के सबसे बड़े ईवेंट क्रिकेट कारपोरेट लीग सीजन 02 में फुड पार्टनर के तौर पर जुड़ने का अवसर मिला है। सत्यांशु पांडेय के रेस्टोरेंट चस्का द एडिक्शन के व्यंजन का लोगों ने भरपूर लुत्फ उठाया।
        सत्यांशु का मानना है कि सपने उन्ही के पूरे होते है, जिनके सपनो मे जान होती है, पँखो से कुछ नही होता, ऐ मेरे दोस्त!! हौसलो से ही तो उड़ान होती है सपने उन्ही के पूरे होते हैं। सत्यांशु के के सपने  सपने यूं ही पूरे नही हुये , यह उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है। मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है, हर पहलू ज़िन्दगी का इम्तेहान होता है। डरने वालो को मिलता नहीं कुछ ज़िन्दगी में, लड़ने वालो के कदमो में जहां होता है।
        सत्यांशु को शतरंज खेलने का भी बेहद शौक है। सत्यांशु समय मिलने पर लांग ड्राइव पर निकल जाया करते हैं। सत्यांशु अपनी सफलता का मूल मंत्र मेहनत और जूनून को मानते हैं। सत्यांशु का मानना है कि
         आसमां क्या चीज़ है
        वक्त को भी झुकना पड़ेगा
        अभी तक खुद बदल रहे थे
        आज तकदीर को बदलना पड़ेगा
        संभावनाओं की कोई कमी नहीं है और अगर आपके पास जूनून है तो कोई मंजिल दूर नहीं है।

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