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मानवीय संवेदना को झकझोरती अमर ज्‍योति झा की शॉर्ट फिल्‍म ‘पुनर्जन्‍म‘ पहुंची JIFFA में

BHOJPURI MEDIA ANKIT PIYUSH मानवीय संवेदना को झकझोरती अमर ज्‍योति झा की शॉर्ट फिल्‍म ‘पुनर्जन्‍म‘ पहुंची JIFFA में बिहार के युवा निर्देशक अमर ज्‍योति झा की शॉर्ट फिल्‍म ‘पुनर्जन्‍म‘ झारखंड इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल अवार्ड (JIFFA)  के लिए नॉमिनेटेड हुई है। इससे पहले इस फिल्‍म को पुणे इंटरनेशनल फिल्‍म फेसिटवल में खूब सराहना मिली थी। मानव असंवेदनशीलता, झूठे आदर्शों और पाखंड को […]

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मानवीय संवेदना को झकझोरती अमर ज्‍योति झा की शॉर्ट फिल्‍म ‘पुनर्जन्‍म‘ पहुंची JIFFA में

बिहार के युवा निर्देशक अमर ज्‍योति झा की शॉर्ट फिल्‍म ‘पुनर्जन्‍म‘ झारखंड इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल अवार्ड (JIFFA)  के लिए नॉमिनेटेड हुई है। इससे पहले इस फिल्‍म को पुणे इंटरनेशनल फिल्‍म फेसिटवल में खूब सराहना मिली थी। मानव असंवेदनशीलता, झूठे आदर्शों और पाखंड को दर्शाती इस फिल्‍म को अमर ज्‍योति झा ने खुद निर्देशित किया है और अभिनय भी खुद ही किया। फिल्‍म की शूटिंग उन्‍होंने बनारस की गलियों के अलावा मणिकर्णिका घाट और पटना में की है। मालूम हो कि अमर ज्‍योति झा इससे पहले स्‍टार प्‍लस के सुपर हिट शो ‘क्‍योंकि सास भी कभी बहू थी’, ‘सावधान इंडिया’ जैसे धारावाहिक में भी एसोसिएट डायरेक्‍टर के रूप में काम कर चुके हैं।

पुणे के बाद झारखंड फिल्‍म इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल में नॉमिनेट होने के बाद अमर ज्‍योति झा ने बताया कि फिल्‍म ‘पुनर्जन्‍म‘ की कहानी का पात्र एक भूखा व्यक्ति है, जिसे अपने भोजन के लिए कई संघर्षो और पीड़ाओं से गुजरना पड़ता है। बूढ़े आदमी के अंतिम संस्कार में शामिल लोगों के द्वारा फेंके जा रहे पैसौं को चुन कर, वह श्मशान तक पहुंच जाता है और वहां अपने भोजन की खोज में व्यस्त हो जाता है। अतिंम सस्‍ंकार के बाद गंगा नदी में फेंके जाने वाली बेकार चीजों को भी उसे खाने नहीं दिया जाता है। वहां से भी उसे कर भगा दिया जाता है। कठिन संघर्षों के बाद भोजन तो उसे मिलती है, मगर वह खाना इंसान के लिए नहीं होता है।

उन्‍होंने बताया कि गाय के मूत्र के साथ अपनी प्यास को खत्म करने और गाय के भूसे से भूख को खत्म करने की प्रक्रिया में,लोग उसे एक महान संत, महात्मा या दिव्य व्यक्ति के रूप में समझने लगते हैं और भगवान की तरह उसकी पूजा करना शुरू कर देते हैं। लेकिन भूखा व्यक्ति इन सभी चीजों से अवगत नहीं है।अभी भी वह अपने आप को असहाय और अकेला  ही समझता है । लेकिन समाज के लोगों के द्वारा उस भूखे व्यक्ति का  पुनर्जन्म हो चुका है।और उसे, अब भोजन, उसकी मृत्यु से पहले तक मिलता ही रहेगा ।

झा के अनुसार, हिंदू या सनातन धर्म में पुनर्जन्म केवल मृत्यु के बाद ही कहा जाता है। लेकिन अगर हम अपने गंदें विचार,अपराध, डर, अमानवीय व्यवहार, पाखंड और घृणित कामों को त्याग देते हैं, तो हमारा दिमाग और आत्मा भी शुद्ध हो जाता है और शायद यही कारण है की कभी-कभी मौत से पहले भी पुनर्जन्म का आभास हो जाता है। यह फिल्‍म मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाली फिल्‍म है।

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Ankit Piyush

Ankit Piyush is the Editor in Chief at BhojpuriMedia. Ankit Piyush loves to Read Book and He also loves to do Social Works. You can Follow him on facebook @ankit.piyush18 or follow him on instagram @ankitpiyush.