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चमकी बुखार के रोकथाम में सहायक हो सकती हैं होम्योपैथी दवाएं : डॉ. नीतीश दुबे

प्रिवेंटिव मेडिसिन हरिओम होमियो के किसी भी शाखा से मुफ्त में प्राप्त किया जा सकता है
प्रिवेंटिव मेडिसिन हरिओम होमियो के किसी भी शाखा से मुफ्त में प्राप्त किया जा सकता है

चमकी बुखार के रोकथाम में सहायक हो सकती हैं होम्योपैथी दवाएं : डॉ. नीतीश दुबे

 

 प्रिवेंटिव मेडिसिन हरिओम होमियो के किसी भी शाखा से मुफ्त में प्राप्त किया जा सकता है

एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम को बोलचाल की भाषा में लोग चमकी बुखार कहते हैं। ये बीमारी बिहार में जानलेवा होती जा रही है। ये मस्तिष्क से जुड़ी एक गंभीर समस्या है। कोशिकाओं में सूजन आने से ये बीमारी होती है। ये एक संक्रामक बीमारी है। इसका वायरस शरीर में पहुचते ही खून में प्रवेश कर प्रजनन शुरू कर देता है। इसी रास्ते से ये मस्तिष्क में प्रवेश करता है और खतरे को बढ़ा देता है। बच्चों के शरीर की इम्युनिटी कम होती है। इस वजह से ये सॉफ्ट टारगेट हो जाते हैं।

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होम्योपैथी में हमेशा लक्षण को आधार मानकर दवाओं का चुनाव किया जाता है। स्वाइन फ्लू तथा डेंगू जैसी बीमारियों के रोकथाम में दुनिया ने इसकी प्रामाणिकता को स्वीकार किया है। वर्षों से चेचक के बचाव में होम्योपैथी दवाइयां बेहतर प्रिवेंटिव का काम करती आई हैं। चमकी बुखार के मामले में भी यह बेहतर प्रिवेंटिव हो सकती है। कोई भी व्यक्ति हरिओम होमियो से इसका प्रिवेंटिव मेडिसिन प्राप्त कर सकता है।
लगातार बुखार, बदन में ऐंठन, दांत पर दांत दबाए रखना, कमजोरी, बेहोशी, चिउंटी काटने पर शरीर में कोई गतिविधि नहीं होना इसके प्रमुख लक्षण हैं। ध्यान रखने योग्य बात यह है कि पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें। खासकर बच्चों के खानपान का विशेष ध्यान रखें। चमकी से ग्रस्त मरीजों में शुगर की कमी देखी जाती है। बच्चों को मीठी चीजें नियमित रूप से खाने को दें।

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कुछ होम्योपैथी दवाएं एहतियात के तौर पर लेना कारगर होगा, इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और बुखार में बीमारी के उपरोक्त लक्षण नहीं आ सकेंगे। ये दवाएं एक सप्ताह तक सावधानी के तौर पर लेने से बचाव करेगा।  दवाएं हैं – एजाडिडक्टआ मदर टिंक्चर पांच बूंद सुबह, जेल्सीमियम 200 तीन बूंद सुबह, इसके अलावा बुखार हो जाने की स्थिति में जेल्सीमियम 200 और आर्सेनिक एल्ब 200 बारी-बारी से उपयोग करें। साथ ही प्रचलित चिकित्सा पद्धति का उपयोग जारी रखें।

बरतें ये सावधानी

खाने से पहले और खाने के बाद हाथ जरूर धुलवाएं। साफ़ पानी पिएं। बच्चों के नाखून नहीं बढ़ने दें। गर्मी में बाहर खेलने नहीं जाने दें। इस मौसम में फल और खाना जल्दी खराब हो जाते हैं सो खास ध्यान रखें। बच्चे को सड़े हुए या जूठे फल नहीं खाने दें।

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Ankit Piyush

Ankit Piyush is the Editor in Chief at BhojpuriMedia. Ankit Piyush loves to Read Book and He also loves to do Social Works. You can Follow him on facebook @ankit.piyush18 or follow him on instagram @ankitpiyush.