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शिक्षक दिवस पर भोजपुरी आइकॉन मनोज भावुक का पटना में अभिनंदन

शिक्षक दिवस पर भोजपुरी आइकॉन मनोज भावुक का पटना में अभिनंदन
शिक्षक दिवस पर भोजपुरी आइकॉन मनोज भावुक का पटना में अभिनंदन

शिक्षक दिवस पर भोजपुरी आइकॉन मनोज भावुक का पटना में अभिनंदन

बंधु एंटरटेनमेंट द्वारा हमनवा की ओर से भोजपुरी साहित्य के लिए फिल्मफेयर से सम्मानित साहित्यकार श्री मनोज भावुक के सम्मान में शिक्षक दिवस के अवसर पर एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। उद्योगपति व समाजसेवी मुन्ना सिंह, प्रशासनिक अधिकारी व प्रख्यात शायर समीर परिमल एवं दिव्य आलेख पत्रिका के सम्पादक-अभिनेता अविनाश बन्धु ने संयुक्त रूप से श्री मनोज भावुक जी को अंग वस्त्र और स्मृतिचिन्ह दे कर समान्नित किया।

एनएनटी कंकड़बाग के प्रांगण में आयोजित इस कार्यक्रम में कार्यक्रम के संयोजक समीर परिमल ने कहा कि भोजपुरी के लिए जिस समर्पित भाव से और कई मोर्चे पर यथा साहित्य, सिनेमा, संपादन, संगीत, साक्षात्कार, टेलीविजन और ग्लोबल प्रोमोशन आदि के लिए मनोज भावुक काम कर रहे हैं, वैसा कोई दूसरा नहीं दिखता।

मनोज भावुक के कॉलेज के दिनों के साथी और जागो भारत फाउंडेशन के संस्थापक मुन्ना सिंह ने कहा कि मनोज भावुक बहुत दिनों तक शिक्षक की भूमिका में रहे और इंजीनियरिंग व मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्रों को पढ़ाया। बाद में इंजीनियर बने लेकिन अपने कलात्मक आग्रह और मातृभाषा प्रेम के चलते लंदन की नौकरी छोड़ कर भारत लौट आए और मीडिया से जुड़ गए। विभिन्न चैनलों पर प्रोड्यूसर रहे। सारेगामापा जैसा लोकप्रिय शो बनाया। सिनेमा का इतिहास लिखा। गीत-गजल की दुनिया में नाम कमाया। कई फिल्मों और धारावाहिकों में काम किया। और यह सब कुछ भोजपुरी में, भोजपुरी के लिए किया। विदेशों में भोजपुरी की संस्था कायम की। भोजपुरी के प्रचार-प्रसार के लिए कई देशों की यात्रा की। सच कहा जाय तो भोजपुरी में भावुक का लेखन और काम सर चढ़ कर बोलता है।

फ़िल्म क्रिटिक और कवि डॉ. कुमार विमलेंदु सिंह ने कहा कि मनोज भावुक भोजपुरी के अम्बेसडर हैं। किसी भी मातृभाषा के लिए काम करने वालों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। गंभीर अध्येता है। चाहे इनकी गजलें सुनिए या सिनेमा पर इनका काम देख लीजिए।

वहीं अविनाश बन्धु ने कहा कि जिस प्रकार से मनोज भावुक जी भोजपुरी साहित्य को विश्व पटल पर प्रसिद्धि दिलाने के लिए वर्षो से काम कर रहे है वो वंदनीय और अनुकरणीय है। हमें उन पर नाज़ है।

इस अवसर पर बोलो जिंदगी के निदेशक राकेश सिंह सोनू ने वरिष्ठ टेलीविजन पत्रकार राणा यशवंत की उस बात को कोट किया जो उन्होंने मनोज भावुक के बारे में अपने सोशल पेज पर लिखी है। राणा जी ने लिखा था कि ” मनोज भावुक को जब पढता हूं, सुनता हूं तो लगता है ऐसा तो मैं शायद नहीं लिख सकता। भोजपुरी के संस्कार और उसकी शब्दावली के साथ जो कारीगरी मनोज करते हैं, वह उन्हें इस दौर का सबसे बड़ा भोजपुरी कवि बनाती है। सिर्फ भोजपुरी के लिए आराम की नौकरी छोड़कर, जीवन को जोखिम में डालना, मनोज ही कर सकते हैं। यह साहस उन्हें एक अजेय योद्दा बनाता है। अपनी रचनाओं में मनोज समय का जैसा बोध लेकर चलते हैं, वह निरीक्षण की उनकी ताकत और भाषा के साथ सजगता का प्रमाण है। भोजपुरी के साथ जैसा कायदा मनोज बरतते हैं, वह अद्भुत है।

भावुक के सफर और योगदान पर उपस्थित वक्ताओं ने बहुत सारी भावुक बातें की। भोजपुरी साहित्यांगन के निदेशक डॉ. रंजन विकास ने कहा कि ” पटना भावुक की कर्मभूमि रही है। यहीं से उन्होंने भोजपुरी लेखन की यात्रा शुरू की। आचार्य पांडेय कपिल व कविवर जगन्नाथ के शिष्य मनोज भावुक ने उनकी लिगेसी को आगे बढ़ाया है। ”

इस अवसर पर डॉ. कुमार विमलेंदु सिंह, आराधना प्रसाद, कुमार पंकजेश, राकेश सिंह सोनू, प्रीतम कुमार, डॉ. रंजन विकास, रंजन प्रकाश, पीयूष आजाद, श्वेता गजल, रश्मि गुप्ता, राजकांता राज, उत्कर्ष आनंद भारत, श्याम श्रवण, अक्स समस्तीपुरी व विकास राज आदि कवियों ने काव्य पाठ भी किया। कार्यक्रम का संचालन मो. नसीम अख्तर और धन्यवाद ज्ञापन अविनाश बंधु ने किया।


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Ankit Piyush

Ankit Piyush is the Editor in Chief at BhojpuriMedia. Ankit Piyush loves to Read Book and He also loves to do Social Works. You can Follow him on facebook @ankit.piyush18 or follow him on instagram @ankitpiyush.

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