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गरीबों की पहुँच से दूर हुआ बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड : संशय में छात्र, मुख्यमंत्री करें स्थिति साफ

गरीबों की पहुँच से दूर हुआ बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड : संशय में छात्र, मुख्यमंत्री करें स्थिति साफ
गरीबों की पहुँच से दूर हुआ बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड : संशय में छात्र, मुख्यमंत्री करें स्थिति साफ

गरीबों की पहुँच से दूर हुआ बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड : संशय में छात्र, मुख्यमंत्री करें स्थिति साफ

पटना (8 जुलाई 2019 : टना (8 जुलाई 2019) : बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के नये नियमों को लेकर छात्र-छात्राओं में संशय एवं अटकलों का दौर जारी है। एक तरफ जहाँ लैपटॉप के प्रावधान की खुशी है तो दूसरी तरफ नैक ‘ए’ ग्रेड, एनबीए या एनआईआरएफ कॉलेज खोजने एवं उनमें दाखिला पाने के उपाय खोजने की समस्या है। सोमवार के दिन जिला डीआरसी केन्द्रों से सैकड़ों छात्र-छात्राओं को उदास लौटना पड़ा।

राज्य सरकार ने विगत 5 जुलाई को बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना में संशोधन करते हुये एक निर्देश जारी किया कि अब से बिहार के बाहर के निजी कॉलेजों में पढ़ने वाले सिर्फ उन्हीं छात्र-छात्राओं को लोन दिया जायेगा, जिन्होंने नैक ‘ए’ ग्रेड कॉलेजों में दाखिला लिया हो, या फिर कोर्स एनबीए से मान्यता प्राप्त हों अथवा एआईआरएफ रैंकिंग में हो।

राज्य सरकार के इस निर्णय के बाद छात्र-छात्राओं में संशय के साथ-साथ कई वाजिब सवाल भी उठ खड़े हुये हैं –

1. पिछले साल जो छात्र-छात्राएँ इस योजना के तहत लोन लेकर राज्य के बाहर के कॉलेजों में पढ़ रहे हैं, क्या उनके दूसरे साल का फी सरकार देगी अथवा नहीं ?

2. इस वर्ष दाखिला लेने वाले जिन नये छात्र-छात्राओं के फी अब तक भेजे जा चुके हैं, क्या उन्हें अगले साल से फी भेजा जायेगा अथवा नहीं ?

3. इस वर्ष जिन छात्र-छात्राओं का आवेदन एवं वेरिफिकेशन हो चुका है, किन्तु फी अब तक नहीं गया है, उनके फी भेजे जायेंगे या नहीं ? क्या उन पर भी यह नया नियम लागू होगा ?

4. इस वर्ष जिन छात्र-छात्राओं का आवेदन हो चुका है, किन्तु कागजात वेरिफिकेशन नहीं हुआ है। क्या उन पर भी यह नया नियम लागू होगा ?

इन सब शंकाओं-आशंकाओं के बीच छात्र-छात्राओं में हड़कंप है।

कई ऐसे भी सवाल हैं जो खुद ही आपस में उलझे हुये हैं :

1. सरकार ने वर्ष 2019-20 सत्र के लिये 75000 छात्र-छात्राओं को लोन देने का लक्ष्य रखा था। किन्तु योजना में किये गये नये संशोधन के बाद यह लक्ष्य नामुमकिन है क्योंकि नैक ‘ए’ ग्रेड या एनबीए या एआईआरएफ के कॉलेजों में इतनी सीटें ही नहीं हैं। नये संशोधन के बाद 10000 छात्र-छात्राओं को भी इस योजना का लाभ उपलब्ध किया जाना मुश्किल होगा।

2. बिहार में राज्य सरकार का एक भी इंजीनियरिंग कॉलेज नैक से मान्यता नहीं है, न ही एआईआरएफ रैंकिंग में कोई कॉलेज शामिल है। राज्य में मौजूद निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों का भी यही हाल है। किन्तु बिहार के कॉलेजों के लिये यह नया नियम लागू नहीं होगा। इसका मतलब यह है कि बिहार के भीतर यदि जैसे-तैसे कॉलेज में भी बच्चे पढ़ेंगे तो भी वे बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड का लाभ उठा पायेंगे। पर बिहार के बाहर यदि वे पढ़ना चाहें तो उन्हें केवल टॉप ग्रेड के कॉलेजों में ही दाखिला लेना पड़ेगा। बाहर के राज्यों के वे कॉलेज जो बिहार के कॉलेजों से अच्छे भी हैं, पर अगर नैक, एनबीए या एआईआरएफ में नहीं हैं, तो उनमें पढ़ने वाले छात्र-छात्रायें इस योजना के लाभ से वंचित रहेंगे।

3. पिछले साल एवं इस वर्ष भी अब तक बिहार के ज्यादातर छात्र-छात्राओं ने राज्य के बाहर के वैसे ही कॉलेजों में दाखिला लिया है जिनके औसतन फी (हॉस्टल सहित) लगभग एक लाख रूपये सालाना हैं। ऐसे कॉलेजों में पढ़ने के लिये छात्र-छात्राओं के अभिभावकों को खुद से कोई भुगतान न के बराबर करना पड़ता है। किंतु नैक, एनबीए एवं एनआईआरएफ के कॉलेजों के औसतन फी (हॉस्टल सहित) लगभग दो लाख रूपये प्रति वर्ष है। ऐसे में जिन छात्र-छात्राओं को अगर किसी तरह नैक, एनबीए या एनआईआरएफ वाले कॉलेज मिल भी गये, उन्हें बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड से लोन लेने के बाबजूद 75 हजार से एक लाख रूपये सालाना तक खुद से देना पड़ेगा।

इस सारे हालातों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये शिक्षा प्रचार समिति के अध्यक्ष धनंजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना अब गरीब छात्र-छात्राओं की पहुँच से दूर हो गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री को वास्तविक स्थितियों से अवगत कराने पर वे इसका कोई-न-कोई निदान जरूर निकलेंगे।

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Ankit Piyush

Ankit Piyush is the Editor in Chief at BhojpuriMedia. Ankit Piyush loves to Read Book and He also loves to do Social Works. You can Follow him on facebook @ankit.piyush18 or follow him on instagram @ankitpiyush.

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