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इवेंट के दुनिया के सबसे बड़े खिलाड़ी बनना चाहते हैं सतीश कुमार

BHOJPURI MEDIA ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18 इवेंट के दुनिया के सबसे बड़े खिलाड़ी बनना चाहते हैं सतीश कुमार     ये जिंदगी है एक जुआ कभी जीत भी कभी हार भी        तू खेलता जा बाजियों पर बाजियां          ये जमाना मुझसे है मैं जमाने से नही       हर […]
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ANKIT PIYUSH (https://www.facebook.com/ankit.piyush18

इवेंट के दुनिया के सबसे बड़े खिलाड़ी बनना चाहते हैं सतीश कुमार
    ये जिंदगी है एक जुआ कभी जीत भी कभी हार भी
       तू खेलता जा बाजियों पर बाजियां
         ये जमाना मुझसे है मैं जमाने से नही
      हर फसानां मुझसे है हम फसाने से नही
        ये जिंदगी है एक जुआ कभी जीत भी कभी हार भी
        जिंदगी को खेल भावना से जीने वाले सतीश कुमार दास आज पटना के नामचीन बिजनेस मैन और इवेंट मैनेजर में शुमार किये जाते हैं लेकिन इसके लिये उन्हें अथक परिश्रम का सामना भी करना पड़ा है।बिहार की राजधानी पटना में वर्ष 1983 में जन्में सतीश दास के पिता पुण्यानंद दास केन्द्रीय कर्मचारी है और उन्हें उच्च अधिकारी के तौर पर देखने का सपना का देखा करते थे। वर्ष 2007 में बीकॉम की पढ़ाई पूरी करने के बाद सतीश दास आंखो में बड़े सपने लिये बैंगलूरू चले गये जहां उन्होंने प्रेसिडेंसी प्रबँधन संस्थान से एमबीए की पढ़ाई पूरी की। महान उद्योगपति धीरू भाई अंबानी से प्रेरित होने की वजह से सतीश दास उनकी तरह ही बिजनेस की दुनिया में अपना नाम करना चाहते थे।
         वर्ष 2010 में सतीश दास ने बैंगलूरू में ही एक एवेंट कंपनी ज्वाइन कर ली और वह बतौर मार्केटिंग हेड के तौर पर काम करने लगे। वर्ष 2012 में एक मशहुर मोबाइल कंपनी के रिसर्च के कार्य  के सिलसिले में सतीश दास पटना आ गये लेकिन विषम परिस्थितयों की वजह से वह इस काम से दूर हो गये । वर्ष 2012 में सतीश दास रियल स्टेट कंपनी मॆ अपना योगदान दिया  और वर्ष 2014 में इवेंट की दुनिया में वापस  प्रवेश कर गये।
        तदबीर से बिगड़ी हुयी तकदीर बना ले अपने पे भरोसा हो तो एक दांव लगा ले
       सतीश दास के दिल में कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश थी । वह बिजनेस और इवेंट की दुनिया में पहचान बनाना चाहते थे। उन्होंने एक बार फिर से दांव लगाया और मीडिया और एवेंट के क्षेत्र में पीआरओ के तौर पर काम करने लगे और इस काम में उन्होंने उल्लेखनीय सफलता हासिल की। वर्ष 2015 सतीश दास  की पारिवारिक जीवन के साथ ही व्यवसायिक जीवन में नया बदलाव लेकर आया। विवाह
के अटूट बंघन में बंधने के बाद सतीश दास ने  तय किया कि वह कुछ बड़ा काम करेंगे।
        सतीश दास सामाजिक सरोकार से जुड़े व्यक्ति हैं और इसी को देखते हुये वह2013 में स्वंय सेवी संस्था आर्ट ऑफ लिविंग से जुड़ गये । इस संस्था में लोगों को तनावमुक्त जिंदगी जीने के बारे में सिखाया जाता है। वर्ष 2017 में सतीश फुड बैंक के कोर ग्रुप से जुड़ गये और निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा कर रहे हैं। अक्षय कुमार को रियल खिलाड़ी मानने वाले सतीश दास उनकी ही तरह समाज के लिये कुछ करना चाहते हैं और कई सामाजिक संगठन से जुड़कर काम कर रहे हैं।
        लहरों के साथ तो कोई भी तैर लेता है ..पर असली इंसान वो है जो लहरों को चीरकर आगे बढ़ता है।
वर्ष 2017 में सतीश दास ने इंवेट और पीआर के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी वेबसप्रो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड की नींव रखी। इसी दौरान उनकी प्रतिभा को देखते हुये उन्हें राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फिल्मी मैगजीन फिल्मोग्राफी मैगजीन में बिहार के ब्यूरो चीफ का पदभार मिला। सतीश दास की काबलियत और कर्मठता को देखते हुये उन्हें बाद में फिल्मोग्राफी का इस्टजोन हेड भी बनाया गया। सपने उन्ही के पूरे होते है, जिनके सपनो मे जान होती है.
        पँखो से कुछ नही होता, ऐ मेरे दोस्त!! होसलो से ही तो उड़ान होती है सपने उन्ही के पूरे होते है,
        सतीश दास के सपने  सपने यूं ही पूरे नही हुये , यह उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है।    मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है, हर पहलू ज़िन्दगी का इम्तेहान होता है। डरने वालो को मिलता नहीं कुछ ज़िन्दगी में, लड़ने वालो के कदमो में जहां होता है। सतीश दास अपनी लगन के बदौलत मीडिया और इवेंट की दुनिया में सफलता का परचम लहरा रहे हैं। सतीश अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार और खासतौर पर  अपने माता पिता और अपनी जीवन संगिनी प्रियंका  को देते हैं जिन्होंने उन्हें हर कदम पर साथ  दिया है। सतीश दास भावुक होकर गुनगुनाते हुये  मुस्कान से मुश्किलों का हल देखते हैं।
        खुशियों की महक से है बनती जिंदगी,       सपनों की कलम से है लिखनी जिंदगी ।
        कहना है तुझसे बस इतना जिंदगी ,  हर मोड़ पर, तू संभलना जिंदगी ।
        जीत आसानी से मिले तो क्या जिंदगी ,      कभी-कभी दुख भी सहना जिंदगी ।
        पर आखिर में तो है हँसना जिंदगी ,        कांटो के बीच है रहना जिंदगी ।
        पर गुलाबों की तरह है महकना जिंदगी ।।    आखिर में है ये कहना जिंदगी ,
        कि हर वक्त यूं जियो जिंदगी ।
        कि अगले पल फिर मिले या ना मिले जिंदगी ।।

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