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बहुमुखी प्रतिभा से लोगों के दिलों में खास पहचान बनायी श्वेता शाही ने

बहुमुखी प्रतिभा से लोगों के दिलों में खास पहचान बनायी श्वेता शाही ने     खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,     जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है,     लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ,     जितनी […]
बहुमुखी प्रतिभा से लोगों के दिलों में खास पहचान बनायी श्वेता शाही ने
    खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,
    जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है,
    लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ,
    जितनी गहराई अन्दर है, बाहर उतना तूफ़ान बाकी है…
    अपनी हिम्मत और लगन के बदौलत जानी मानी मॉडल और फैशन डिजाइनर श्वेता साही आज मॉडलिंग और फैशन की दुनिया के साथ ही सामाजिकvक्षेत्र में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुयी है लेकिन इन कामयाबियों को पाने के लिये उन्हें अथक परिश्रम का सामना भी करना पड़ा है।
        श्वेता साही एक दशक से मॉडलिंग और फैशन के साथ ही महिला सशक्तिकरण के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य करने में लगी हुयी है। श्वेता साही अपनी व्यस्त जीवनशैली से समय निकालकर समाजसेवा में भी अपना पूरा योगदान देती हैं।श्वेता साही का मानना है आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं।महिलाएं अपनी शक्ति पहचानें। अब महिलाएं सशक्त हो रही हैं, वे किसी भी क्षेत्र में पुरूषों से कम नहीं हैं। जरूरत इस बात की है कि महिलाओं के प्रति समाज की सोच बदली जाए। आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनना महिलाओं के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण कदम है। वे विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए जीवन पथ पर अग्रसर हो।
        बिहार के दरभंगा में जन्मी श्वेता साही के पिता श्री अरविंद साही और मां नीलम साही बेटी को डॉक्टर या इंजीनियर बनाना चाहते थे। पिता की आज्ञा को सिरोधार्य मानकर श्वेता साही ने बीएसएसी जुलॉजी हार्नस की पढाई शुरू की। इस दौरान उनकी शादी वर्ष 2007 में रेलवे में उच्चअधिकारी के तौर पर कार्यरत संदीप कुमार से हो गयी।आम तौर पर युवती की शादी के बाद उसपर कई तरह की बंदिशे लगा दी जाती है लेकिन श्वेता के  साथ ऐसा नही हुआ। श्वेता के पति के साथ ही ससुराल पक्षे के लोगों ने उन्हें आगे बढने के लिये प्रेरित किया।
                 सपने उन्ही के पूरे होते है, जिनके सपनो मे जान होती है.
        पँखो से कुछ नही होता, ऐ मेरे
  हौंसलो से ही तो उड़ान होती है
            सपने उन्ही के पूरे होते है,
       श्वेता साही यदि चाहती तो एक सामान्य शादीशुदा महिला की तरह जिंदगी जी सकती थी लेकिन वह अपने बलबूते अपनी पहचान बनाना चाहती थी। श्वेता शाही ने हाजीपुर में एक वर्षीय ब्यूटिशयन कोर्स किया । इसी दौरान  उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुयी और वह पारिवारिक दायित्व का निर्वहन करने लगी।श्वेता शाही को समाज सेवा में भी गहरी रूचि थी। श्वेता शाही महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देना चाहती थी और इसी को देखते हुये वह महिला सशक्तीकरण की दिशा में काम करने वाली दैनिक जागरण संगिनी क्लब से जुड़
गयी जहां उनकी काबलियत को देखते हुये उन्हें उपाध्यक्ष भी बनाया गया। इसी दौरान वह  स्वंय सेवी संगठन सामायिक परिवेश से जुड़ गयी और महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर काम किया।
श्वेता साही का कहना है कि चाहे खेल कूद हो अथवा अंतरिक्ष विज्ञान, हमारे देश की महिलाएं किसी से पीछे नहीं हैं। वे आगे बढ़ रही हैं और अपनी उपलब्धियों से देश का गौरव बढ़ा रही हैं।नारी सशक्तिकरण के बिना मानवता का विकास अधूरा है। वैसे अब ये मुद्दा Women Development का नहीं रह गया, बल्कि Women-Led Development का है।””यह जरूरी है कि हम स्वयं को और अपनी शक्तियों को समझें। जब कई कार्य एक समय पर करने की बात आती है तो महिलाओं को कोई नहीं पछाड़ सकता। यह उनकी शक्ति है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए।
        बेहतर से बेहतर कि तलाश करो
        मिल जाये नदी तो समंदर कि तलाश करो
        टूट जाता है शीशा पत्थर कि चोट से
        टूट जाये पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो
वर्ष 2014 में श्वेता साही ने एक साल का डांसिंग कोर्स किया और वर्ष 2016 में उन्होंने खुद का डासिंग इस्टीच्रयूट खोला। श्वेता साही मॉडलिंग की दुनिया में भी अपनी पहचाना बनाना चाहती थी। श्वेता साही ने वर्ष 2016 में मॉडलिंग हंट शो प्रिसेज ऑफ बिहार में शिरकत की और खिताब जीतने में सफल रही। वर्ष 2016 में ही श्वेता साही ने एमजे नाइट सीजन 06 में हिस्सा लिया और यहां भी सफलता का परचम लहरा दिया।
        ज़िन्दगी की असली उड़ान अभी बाकी है,
        ज़िन्दगी के कई इम्तेहान अभी बाकी है,
        अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीं हमने,
        अभी तो सारा आसमान बाकी है…
वर्ष 2017 में श्वेता साही ने राजधानी पटना में मिसेज बिहार में हिस्सा लिया । श्वेता शो की विजेता भले नही बन सकी लेकिन उन्होंने मिसेज पटना एटिच्यूड का खिताब हासिल कर लिया।श्वेता का मानना है कि
    परेशानियों से भागना आसान होता है
    हर मुश्किल ज़िन्दगी में एक इम्तिहान होता है
    हिम्मत हारने वाले को कुछ नहीं मिलता ज़िंदगी में
    और मुश्किलों से लड़ने वाले के क़दमों में ही तो जहाँ होता है
        वर्ष 2017 में ही श्वेता ने राजधानी पटना में हुये दशहरा महोत्सव में आयोजित बिहार रॉक्स के तले बाहुबली और देवसेना प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और विजेता का ताज अपने नाम कर लिया। श्वेता का मानना है कि जिंदगी में कुछ पाना हो तो खुद पर ऐतबार रखना ,सोच पक्की और क़दमों में रफ़्तार रखना कामयाबी मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें ,बस खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार रखना।
श्वेता शाही ने हाल ही में एक बुटिक खोला है।श्वेता के  डिजाइन किये कपड़े लोगों को बेहद पसंद आ रहे हैं।श्वेता शाही का कहना है कि बिहार प्रतिभा के मामले में किसी भी दूसरे राज्य से कम नहीं है। फिर चाहे वह फिल्‍म हो, फैशन हो या फिर कला का क्षेत्र हर जगह बिहार के लोगों ने अपनी सफलता के झंडे गाड़े हैं।राजधानी पटना किसी भी मेट्रो शहर से किसी भी मायने में कम नहीं है। हमारा युवा वर्ग फैशन इंडस्ट्री और ग्लैमर जगत से जितना प्रभावित है उतना ही आतुर वह उनमें जाने के लिए भी है। आधुनिक युग में युवा सिर्फ ढंकने और सुंदर बनने के लिए ही कपड़े नहीं पहनता बल्कि अब यह हमारे स्टेट्स और फैशन फंडे का सिंबल बन चुका है। मेरी ख्वाहिश है बिहार का फैशन वैश्विक मंच पर सराहा जाये।
       श्वेता शाही आज कामयाबी की बुलंदियों पर हैं लेकिन उनके सपने यूं ही नही पूरे हुये हैं यह उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है। श्वेता शाही अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय अपने पति संदीप कुमार और बेटे समीर कुमार के साथ ही परिवार के सभी सदस्यों को देती है जिन्होंने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया है। श्वेता साही समाज सेविका ममता मल्होत्रा ,विभा सिंह , मोनी त्रिपाठी और मनीषा दयाल का भी शुक्रिया अदा करती है जिन्होंने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया है। श्वेता साही अपने पति को रियल हीरो मानती है उन्हें याद कर गुनगुनाती है , आये हो मेरी जिंदगी में तुम बहार बन के , मेरे दिल में यूहीं रहना तुम प्यार-प्यार बन के।