नियोजित शिक्षकों की मांग पूरी नही होने पर राजकीय सम्मान वापस करेंगी नम्रता आनंद
पटना 25 अप्रैल राष्ट्रीय युवा पुरस्कार एवम राजकीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित नियोजित शिक्षिका डॉ नम्रता आनन्द,राoमoविo सिपारा,फुलवारीशरीफ ने नियोजित शिक्षकों की मांग पूरी नही होने पर बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2018 में दिए गए शिक्षक सम्मान पुरस्कार सरकार को वापस करने का निर्णय लिया है।
समान काम-समान वेतन को लेकर नियोजित शिक्षक दो महीनों से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं।पटना हाइकोर्ट ने भी इस मुद्दे पर संज्ञान लेने को सरकार को परामर्श कई बार दी है लेकिन बिहार सरकार समझौता करने एवं राजकीय प्रारम्भिक शिक्षक समन्वय समिति की सात मांगों को मानने को तैयार नही है। कई महीने से वेतन नही दिया गया है, भूखों की कगार पर है,कई बीमारी से ग्रसित हैं और सरकार की अकुशल प्रबन्धन के कारण 60 शिक्षको की मृत्यु हो गयी है,जिसके लिए राज्य सरकार जिम्मेवार है।उनके आश्रितों को अनुकम्पा पर योग्यतानुसार बहाल किया जाय ,हड़ताल अवधि का भी वेतन भुगतान किया जाय । इससे पूर्व का भी वेतन भुगतान लम्बित है।
नम्रता आनंद ने कहा कि मैं सरकार को आगाह कराना चाहती हूं कि यदि 10 दिनों के अंदर वार्ता के जरिये इस समस्या का पहल कर ,कोई हल नही निकाल पाती है तो राज्य सरकार द्वारा दिया गया यह सम्मान पुरस्कार वापस करने की मेरी विवशता होगी। मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी से निवेदन करती हूँ कि नियोजित शिक्षकों को अन्य शिक्षकों की तरह राज्यकर्मी का दर्जा दें एवं वेतन विसंगति सम्बन्धी एवं कई तरह की वैधानिक सुविधा का लाभ दिया जाय। सरकार की अड़ियल रवैये के कारण बच्चों का भविष्य अधर में एवं अंधकार में है। गलत शिक्षा नीति /व्यवस्था में सुधार करने की भी आज जरूरत है
जिससे अविभावको का ध्यान निजी विद्यालयों की तरफ न जायँ। ऐसा लगता है मानो कि प्रत्येक वर्ष शिक्षक दिवस के अवसर पर यह पुरस्कार सहायक शिक्षको के साथ-साथ नियोजित शिक्षकों को भी देना एक औपचारिकता मात्र है। गौरतलब है कि इस कोरोना जैसे वैश्विक महामारी में भी नियोजित शिक्षकों इस बीमारी की गम्भीरता के बारे में अपने-अपने क्षेत्र में लोगों को जागरूक करने,मास्क,सैनिटाइजर बाँटने एवं दिव्यांगों खासकर किन्नर समुदाय ,जो वैधानिक रूप से सरकारी सुविधा से वंचित हैं, के बीच खाद्य सामग्री का वितरण कर रहे हैं।
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